बेनीपट्टी (मधुबनी)। प्रखंड के परजुआर पंचायत के सुदूर दहिला गांव में शिक्षा का अलख जगाने के लिए सरकार के द्वारा संचालित उत्क्रमित मध्य विद्यालय में शिक्षक व संसाधन की घोर कमी के कारण शैक्षणिक माहौल पूरी तरह से चरमरा गई है। संसाधन की कमी का आलम ये है कि प्यास लगने पर स्कूली छात्र पड़ोस के घर पर जाकर पानी पीते है, या फिर अपने साथ बोतलबंद पानी लाने के लिए मजबूर होते है। वहीं स्कूल को उत्क्रमित का दर्जा मिलने के बाद भी विभाग की ओर से स्कूल की सरंचना मजबूत नहीं की गयी। स्कूल में नामांकित सैंकड़ों छात्रों के पठन-पाठन के लिए महज तीन शिक्षक ही दिए गये है। जिसमें विद्यालय प्रभारी अक्सर विभागीय कार्यों में ही उलझे नजर आते है। ऐसी स्थिति में विद्यालय की पढ़ाई क्या होगी, ये समझना सहज है। विद्यालय प्रभारी भी विभागीय पेंच को भविष्य समझ कर अपना दायित्व निभाने में जुटा हुआ है। शिक्षकों के कमी व संसाधन के कमी की जानकारी कई बार विभाग को दिए जाने के बाद भी स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ। गौरतलब है कि दहिला के उत्क्रमित मध्य विद्यालय में फिलहाल 280 छात्र-छात्राएं नामांकित है। जिन्हें पढ़ाने के लिए प्रभारी समेत तीन शिक्षक है। वहीं वर्गवार कक्ष संचालन के लिए विभाग की ओर से पूर्व में सात कमरों का निर्माण कराया गया। वहीं दो कमरों का निर्माण फिलहाल अधर में लटका हुआ है। स्थानीय लोगों ने बताया कि स्कूल में नामांकित छात्र शिक्षकों की घोर कमी के कारण पढ़ाई नहीं कर पाते है। एमडीएम के बाद स्कूल से अधिकांश छात्र गायब हो जाते है। बता दें कि दहिला के उक्त स्कूल की पूर्ण चहारदिवारी भी नहीं की गयी है। स्थानीय असमाजिक तत्वों के द्वारा स्कूल का  मुख्य द्वार तोड़ दिए जाने के कारण विद्यालय परिसर असुरक्षित हो गया है। वहीं स्कूल के दक्षिण भाग चहारदिवारी नहीं होने के कारण दिन भर ग्रामीणों की आवाजाही उक्त परिसर से होती है। जिसके कारण छात्रों के पठन-पाठन में समस्या उत्पन्न हो जाती है। विद्यालय प्रभारी ओमप्रकाश दास ने बताया कि राशि के आवंटन नहीं होने के कारण चहारदिवारी का निर्माण नहीं कराया गया। वहीं प्रभारी ने बताया कि स्थानीय असमाजिक तत्वों के परेशानी से विद्यालय को हमेशा क्षति होती है।


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