३१. डॉ विजयकांत मिश्रा
जन्म १० अगस्त १९२७ डो. विजयकांत मिश्रक जन्म मंगरौनी गाम - जे नव्य न्याय आ तांत्रिक साधनाक जन्म-स्थली अछि- (जिला मधुबनी) मे भेलन्हि। ओ 1948 मे प्राचीन भारतीय इतिहास आ संस्कृति विषयमे एलाहाबाद विश्वविद्यालयसँ सनात्तकोत्तर उपाधि कएलाक बाद कतेक बरख धरि बिहार सरकार आ पटना विश्वद्यालयसँ सम्बद्ध रहलाह आ 1957 ई. सँ भारतीय पुरात्तत्व विभागमे काज कएलन्हि आ ओकर शिशुपालगढ़, कौशाम्बी, वैशाली, हस्तिनापुर, कुम्हरार, पाटलिपुत्र, करियन, सोनपुर, बिलावली, नालन्दा, राजगीर, चन्द्रवल्ली, आ हम्पी खुदाइमे विभिना भूमिकामे भाग लेलन्हि।
हिनकर लिखल-सम्पादित पोथी सभमे अछि:
1.वैशाली,1950
2.कुम्हरार एक्सकेवेशंस: 1950-1957
3.पुरातत्व की दृष्टिमे वैशाली
4.नागेश भट्टाज पारिभाषेन्दुशेखर
5.मिथिला आर्ट एण्ड आर्किटेक्चर (सम्पादित)
6.कल्चरल हेरिटेज ऑफ मिथिला
7.श्रृंगार भजनावली- एक अध्ययन
8.क्षेत्र पुरातत्वविज्ञान -
9.पुरातत्व शब्दावली
३२. स्व. अनिलचन्द्र ठाकुर
जन्म 13 सितम्बर 1954 ई.केँ कटिहार जिलाक समेली गाममे भेलन्हि। 1982 ई.मे हिन्दी साहित्यमे स्नातकोत्तर केलाक बाद नवम्बर '93 सँ नवम्बर '94 धरि "सुबह" हस्तलिखित पत्रिकाक सम्पादन-प्रकाशन कएलन्हि आ कोशी क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकमे अधिकारी रहथि। मैथिली, अंगिका, हिन्दी आ अंग्रेजीमे समानरूपेँ लेखन। मृत्युक पूर्व ब्रेन ट्यूमरसँ बीमार चलि रहल छलाह। प्रकाशित कृति: आब मानि जाउ(मैथिली उपन्यास)- पहिने भारती-मंडन पत्रिकामे प्रकाशित भेल, फेर मैलोरग द्वारा पुस्तकाकार प्रकाशित भेल। कच( अंगिकाक पहिल खण्ड काव्य,1975) एक और राम (हिन्दी नाटक,1981) एक घर सड़क पर (हिन्दी उपन्यास, 1982) द पपेट्स (अंग्रेजी उपन्यास, 1990) अनत कहाँ सुख पावै (हिन्दी कहानी संग्रह,2007) आब मानि जाउ(मैथिली उपन्यास)- एहि उपन्यासमे एक एहन युवतीक संघर्ष-गाथा अंकित अछि जे अपन लगनसँ जीवन बदलैत अछि। असंख्य गामक ई कथा, कुलीनताक अधःपतनक कथा, संस्कारविहीनताक उद्घाटन आ भविष्यक पीढ़ीकेँ बचएबाक चेतौनी छी ई कथा।
३३. डा. रमानन्द झा ‘रमण’
जन्म: 02 जनबरी,1949, शिक्षा-एम.ए., पीएच.डी., आजीविका- भारतीय रिजर्व बैंक, पटना (सेवा निवृत्त)। प्रकाशन: मौलिक- समीक्षा 1. नवीन मैथिली कविता,1982, 2. मैथिली नऽव कविता,1993, 3. मैथिली साहित्य ओ राजनीति, 1994, 4. अखियासल, 1995, 5. बेसाहल,2003, 6. भजारल, 2005., 7. निर्यात कैसे शुरू करें? हिन्दी- रिजर्व बैंक, पटनाक प्रकाशन सम्पादित 8. मैथिलीक आरम्भिक कथा, 1978 समीक्षा, 9. श्यामानन्द रचनावली, 1981, 10. जनार्दनझा‘ जनसीदनकृत निर्दयीसासु (1914) आ पुनर्विवाह (1926), 1984, 11. चेतनाथझाकृत श्रीजगन्नाथपुरी यात्रा (1910), 1994, 12. तेजनाथ झाकृत सुरराजविजय नाटक (1919), 1994, 13. रासबिहारीलाल दासकृत सुमति (1918), 1996, 14. जीबछ मिश्रकृत रामेश्वर (1916), 1996, 15. भेटघॉंट (भेटवार्ता), 1998, 16. रूचय तँ सत्य ने तँ फूसि, 1998, 17. पुण्यानन्द झाकृत मिथिला दर्पण (1925), 2003, 18. यदुवर रचनावली (1888-1934) 2003, 19. श्रीवल्लभ झा (1905-1940) कृत विद्यापति विवरण, 2005, 20. मैथिली उपन्यासमे चित्रित समाज, 2003, 21. पण्डित गोविन्द झाः अर्चा ओ चर्चा, 1997 प्रबन्ध सम्पादक, 22. कवीश्वर चेतना, 2008, चेतना समिति, पटना अनुवाद 23. मौलियरक दू नाटक, 1991, साहित्य अकादमी, 24. छओ बिगहा आठ कटठा, 1999, साहित्य अकादमी, 25. मानवाधिकार घोषणा Universal Declaration of Human Rights २००७( यूनेसको), 26. राजू आ’ टाकाक गाछ, 2008 रिजर्व बेंक -वित्तीय शिक्षा योजना के अन्तर्गत पत्रिका सम्पादन-सह सम्पादन 1. प्रयोजन, 1993 (मासिक), 2. कोषाक्षर (हिन्दी) 1982, 3. घर बाहर त्रैमासिक, चेतना समिति, पटना कार्यशाला 1. National Workshop on Literary Translation,- Dec 20.1991 to January 12,02,1992, Sahitya Akademi, New Delhi2.Bonds Beyond the Borders (India-Nepal civil society interaction on Cross Border issues) - Consulate General of India, Birgunj, Nepal and B.P. Koirala India-Nepal Foundation-May 27-28, 20062.Preparation of Intensive Course in Maithili- ERLC, Bhubneswar जूरी 6th Inter National Maithili Drama Festival,1992 Biratnagar, Nepal पुरस्कार- सम्मान
1. जार्ज ग्रियर्सन पुरस्कार, 1994-95, राजभाषा विभाग,बिहार सरकार, मैथिली नऽव कविता पुस्तक पर, 2. भाषा भारती सम्मान, 2004-05 छओ बिगहा आठ कटठा, (अनुवाद) CIIL, मैसूर। राजेन्द्र विमल (1949- )। चामत्कारिक लेखन-प्रतिभाक स्वामी राजेन्द्र विमल नेपालक मैथिली साहित्यक एक स्तम्भ छथि। मैथिली, नेपाली आ हिन्दी भाषाक प्राज्ञ विमल शिक्षाक हकमे विद्यावारिधि (पी.एच.डी.)क उपाधि प्राप्त कएने छथि। सुललित शब्द चयन एवं भाषामे प्राञ्जलता डा. विमलक लेखनक विशेषता रहलनि अछि। अपन सिद्धहस्त लेखनसँ ई कोनहु पाठकक हृदयमे स्थान बना लैत छथि। कथा आ समालोचनाक सङ्गहि मर्मभेदी गीत गजल लिखबामे प्रवीण डा. विमलक निबन्ध, अनुवाद आदि सेहो विलक्षण होइत छनि। कम्मो लिखिकऽ यथेष्ट यश अरजनिहार डा. विमलक लेखनीक प्रशंसा मैथिलीक सङ्गसङ्ग नेपाली आ हिन्दी साहित्यमे सेहो होइत रहलनि अछि। खास कऽ मानवीय संवेदनाक अभिव्यक्तिमे हिनक कलम बेजोड़ देखल जाइत अछि। त्रिभुवन विश्वविद्यालय अन्तर्गत रा.रा.ब. कैम्पस, जनकपुरधाममे प्राध्यापन कएनिहार डा. विमलक पूर्ण नाम राजेन्द्र लाभ छियनि। हिनक जन्म २६ जुलाई १९४९ ई. कऽ भेल अछि। साहित्यकारक नव पीढ़ीकेँ निरन्तर उत्प्रेरित करबाक कारणे ई डा.धीरेन्द्रक बाद जनकपुर-परिसरक साहित्यिक गुरुक रूपमे स्थापित भऽ गेल छथि। जनकपुरधामक देवी चौक स्थित हिनक घर सदति साहित्यक जिज्ञासु सभक अखाड़ा जकाँ बनल रहैत अछि।
३४.प्रकाश झा
सुपरिचित रंगकर्मी। राष्ट्रीय स्तरक सांस्कृतिक संस्था सभक संग कार्यक अनुभव। शोध आलेख (लोकनाट्य एवं रंगमंच) आ कथा लेखन। राष्ट्रीय जूनियर फेलोशिप, भारत सरकार प्राप्त। राजधानी दिल्लीमे मैथिली लोक रंग महोत्सवक शुरुआत। मैथिली लोककला आ संस्कृतिक प्रलेखन आ विश्व फलकपर विस्तारक लेल प्रतिबद्ध। अपन कर्मठ संगीक संग मैलोरंगक संस्थापक, निदेशक। मैलोरंग पत्रिकाक सम्पादन। संप्रति राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय, नई दिल्लीक रंगमंचीय शोध पत्रिका रंग- प्रसंगक सहयोगी संपादकक रूपमे कार्यरत।
३५.डॉ मित्रनाथ झा (१९५६-)
पिता स्वनामधन्य मिथिला चित्रकार स्व. लक्ष्मीनाथ झा प्रसिद्ध खोखा बाबू, ग्राम-सरिसब, पोस्ट सरिसब- पाही, भाया- मनीगाछी, जिला- मधुबनी (भारत), सम्प्रति मिथिला शोध संस्थान, दरिभङ्गामे पाण्डुलिपि विभागाध्यक्ष ओ एम.ए. (संस्कृत) कक्षाक शिक्षार्थीकेँ एम.ए. पाठ्यक्रमक सभ पत्रक अध्यापन। लेखन, उच्चस्तरीय शोध ओ समाज-सेवामे रुचि। संस्कृत, मैथिली, हिन्दी, अंग्रेजी, भोजपुरी ओ उर्दू भाषामे गद्य-पद्य लेखन। राष्ट्रीय ओ अन्तर्राष्ट्रीय स्तरपर सुप्रतिष्ठित अनेकानेक पत्र-पत्रिका, अभिनन्दन-ग्रन्थ ओ स्मृति-ग्रन्थादिमे अनेक रचना प्रकाशित। राष्ट्रीय ओ अन्तर्राष्ट्रीय स्तरपर आयोजित अनेक सेमिनार, कॉनफेरेन्स, वर्कशॉप आदिमे सक्रिय सहभागिता ।
३६.सुनील कुमार मल्लिक, गायक, जनकपुर, नेपाल
1968- मैथिलीक गायक-सग्ङीतकारक रूपमे प्रसिद्ध छथि । मैथिली भाषाक गीतसभमे मौलिक तथा सार्थक सग्ङीतक सृजनमे हिनक सक्रियता प्रशंसनीय छनि । सुनीलक गायन तथा सग्ङीतमे कैसेट एलबमसभ सेहो बाहर भेल अछि ।लेखनदिस हिनक सक्रियता परिमाणात्मक रूपमे कम रहितहुँ गुणात्मक दृष्टिएँ हृदयस्पर्शी मानल जाइत अछि ।पेशासँ विज्ञान-शिक्षक छथि ।
३७.काशीकान्त मिश्र "मधुप" (1906-1987)
’राधाविरह’ (महाकाव्य) पर साहित्य अकादेमी पुरस्कार प्राप्त मैथिलीक प्रशस्त कवि आ मैथिलीक प्रचार-प्रसारक समर्पित कार्यकर्ता ’झंकार’ कवितासँ क्रान्ति गीतक आह्वान कएलनि । प्रकृति प्रेमक विलक्षण कवि । ’घसल अठन्नी कविताक लेल कथ्य आ शिल्प-संवेदना—दुहू स्तर पर चरम लोकप्रियता भेटलनि।
३८.महेन्द्र मलंगिया
मैथिलीक सुपरिचित नाटककार, रंग निर्देशक एवं मैलोरंगक संस्थापक अध्यक्ष । लोक साहित्य पर गंभीर शोध आलेख । मैथिलीमे 13टा नाटक, 19टा एकांकी, 14टा नुक्कड़ आ 10टा रेडियो नाटक प्रकाशित आ आकाशवाणी सँ प्रसारित । सीनियर फेलोशिप (भारत सरकार), इंटरनेशनल थिएटर इंस्टिच्यूट (नेपाल), प्रबोध साहित्य सम्मान आदि सँ सम्मानित । संप्रति ज्योतिरीश्वर लिखित मैथिलीक प्रथम पुस्तक वर्णरत्नाकर पर शोध कार्य ।
श्री महेन्द्र मलगियाक जन्म २० जनबरी १९४६ मे मधुबनी जिलाक मलंगिया गाममे भेलन्हि। मलंगियाजी मैथिली हिन्दी, अंग्रेजी आ नेपाली भाषाक जानकार आ थियेटर शिक्षण, पटकथा लेखन आ तत्सम्बन्धी शोधक फ्रीलान्स शिक्षक छथि। सम्मान, उपाधि आ पुरस्कार: २००६(सीनियर फ़ेलो, मानव ससाधन विकास विभाग, भारत सरकार), २००५ ई. मे मैथिली भाषाक सर्वाधिक प्रतिष्ठित प्रबोध सम्मान, उनाप सम्मान, परवाहा (उवा नाट्य परिषद, परवाहा), भानु कला पुरस्कार (कला जानकी संस्थान, जनकपुर), २००४- पाटलिपुत्र पुरस्कार ( प्रांगन थिएटर, पटना), इप्टा पुरस्कार (कटिहार इप्टा, कटिहार), २००३- गोपीनाथ आर्यल पुरस्कार (इन्टरनेशनल थिएटर इन्स्टीट्यूट, नेपाल), यात्री चेतना पुरस्कार (चेतना समिति, पटना), बैद्यनाथ सियादेवी पुरस्कार (बी.एस.डी.पी. काठमाण्डू), २०००- चेतना समिति सम्मान (चेतना समिति, पटना), जिला विकास धनुषा साहित्य पुरस्कार (जिला विकास समिति, जनकपुर), १९९९- विद्यापति सेवा संस्थान सम्मान (विद्यापति सेवा संस्थान सम्मान, दरभंगा), १९९८- रंग रत्न उपाधि (अन्तर्राष्ट्रीय मैथिली साहित्य परिषद, राँची), १९९७- सर्वोत्तम निर्देशक पुरस्कार (सांस्कृतिक संस्थान, काठमाण्डू), १९९१- भानु कला पुरस्कार, विराटनगर (भानु कला परिषद, बिराटनगर), १९९०- सर्वनाम पुरस्कार (सर्वनाम समिति, काठमाण्डू), १९८५- आरोहण सम्मान, काठमाण्डू, १९८३- वैदेही पुरस्कार (विद्यापति स्मारक समिति, राँची), शोध कार्य: सलहेस: एकटा ऐतिहासिक अध्ययन, विरहा: मिथिलाक एकटा लोकरूप, सामा चकेबा: लोकनाट्यक एक अवलोकन, सलहेसक काल निर्धारण, विद्यापतिक उगना, शिवक गण, मधुबनी एकटा नगर अछि, हम जनकपुर छी, ई जनकपुर अछि। हिनकर दू टा पोथी “ओकरा आँगनक बारहमासा” आ “काठक लोक” ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगाक मैथिली पाठ्यक्रममे अछि। हिनकर दू टा पोथी त्रिभुवन विश्वविद्यालय, काठमाण्डू केर एम.ए. पाठ्यक्रममे अछि। हिनकर कैकटा आलेख आ किताब सेकेण्डरी आ हायर सेकेण्डरी पाठ्यक्रममे अछि।
प्रकाशित पोथी: नाटक: ओकरा आँगनक बारहमासा,जुआयल कंकनी, गाम नञि सुतय, काठक लोक, ओरिजनल काम, राजा सलहेस, कमला कातक राम, लक्ष्मण आ सीता, लक्ष्मण रेखा खण्डित, एक कमल नोरमे, पूष जाड़ कि माघ जाड़, खिच्चड़ि, छुतहा घैल, ओ खाली मुँह देखै छै। ई सभटा कैक बेर आ कैक ठाम खेलाएल गेल अछि। एकाङ्की: टूटल तागक एकटा ओर, लेवराह आन्हरमे एकटा इजोत, गोनूक गबाह, हमरो जे साम्ब भैया, “बिरजू, बिलटू आओर बाबू”, मामा सावधान देहपर कोठी खसा दिअ, नसबन्दी, आलूक बोरी, भूतहा घर, प्रेत चाहे असौच, फोनक करामात, एकटा बताहि आयल छलय, मालिक सभ चल गेलाह, भाषणक दोकान, फगुआ आयोजन आ भाषण, भूत, एक टुकड़ा पाप, मुहक कात, प्राण बचाबह सीता राम, ओ खाली घैल फोड़य छै। ई सभटा मंचित भऽ चुकल अछि। २५ टा चौबटिया नाटक: चक्रव्युह, लटर पटर अहाँ बन्द करू, बाढ़ि फेर औतय, एक घर कानन एक घर गीत, सेर पर सवा सेर, ई गुर खेने कान छेदेने, आब कहू मन केहेन लगैए, नव घर, हमर बौआ स्कूल जेतए, बेचना गेलए बीतमोहना गबए गीत, मोड़ पर, ककर लाल आदि। ई सभटा चौबटिया वीथीपर खेलायल गेल अछि। ११ टा रेडियो नाटक: आलूक बोरी, ई जनम हम व्यर्थ गमाओल, नाकक पूरा, फटफटिया काका आदि।ई सभटा टा पटना, दरभंगा आ नेपालक रेडियो स्टेशनसँ प्रसारित भेल अछि। सम्पादन: मैथिली एकाङ्की (साहित्य अकादमी, नई दिल्ली), विदेहक नगरीसँ (कविता संग्रह), मैथिली भाषा पुस्तक (सेकेण्डरी स्कूल पोथी), लोकवेद (मैथिली पत्रिका)। कथा: प्रह्लाद जड़ि गेल, धार, एक दिनक जिनगी, बनैया सुगा, बालूक भीत, बुलबुल्ला आदि। लघुकथा: डपोरशंख, मुहचिड़ा आदि। सदस्यता: अध्यक्ष, मैथिली लोक रंग, सदस्य कार्यकारी बोर्ड, मिनाप, जनकपुर, यात्री मधुबनी, मिथिला सांस्कृतिक मंच, मधुबनी। राष्ट्रीय आ अन्तर्राष्ट्रीय सेमिनार सभमे सहभागिता।
३९.श्री मैथिली पुत्र प्रदीप.
(१९३६- )। ग्राम- कथवार, दरभंगा। प्रशिक्षित एम.ए., साहित्य रत्न, नवीन शास्त्री, पंचाग्नि साधक। हिनकर रचित "जगदम्ब अहीं अवलम्ब हमर’ आ ’सभक सुधि अहाँ लए छी हे अम्बे हमरा किए बिसरै छी यै" मिथिलामे लेजेंड भए गेलअछि।
४०.अयोध्यानाथ चौधरी
धनुषा, नेपाल 1947- मूलत: कविक रूपमे परिचित छथि। नेपालक आधुनिक कविताक क्षेत्रमे हिनक नाम उल्लेखनीय अछि। श्री चौधरीक लेखनमे मानवीय संवेदनाक प्रतिबिम्ब पाओल जाइत अछि। कविताक संग कथा आ निबन्धमे सेहो ई कलम चलबैत छथि। फड़िछाएल लेखन हिनक विशेषता थिकनि।धनुषा जिलाक दुहबी गामक रहनिहार श्री चौधरीक जन्म ६अक्टुबर १९४७कऽ भेल छनि। हिनक क्षितिजक ओहिपार नामसँ एक कविता-संग्रह प्रकाशित छनि।
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जन्म १० अगस्त १९२७ डो. विजयकांत मिश्रक जन्म मंगरौनी गाम - जे नव्य न्याय आ तांत्रिक साधनाक जन्म-स्थली अछि- (जिला मधुबनी) मे भेलन्हि। ओ 1948 मे प्राचीन भारतीय इतिहास आ संस्कृति विषयमे एलाहाबाद विश्वविद्यालयसँ सनात्तकोत्तर उपाधि कएलाक बाद कतेक बरख धरि बिहार सरकार आ पटना विश्वद्यालयसँ सम्बद्ध रहलाह आ 1957 ई. सँ भारतीय पुरात्तत्व विभागमे काज कएलन्हि आ ओकर शिशुपालगढ़, कौशाम्बी, वैशाली, हस्तिनापुर, कुम्हरार, पाटलिपुत्र, करियन, सोनपुर, बिलावली, नालन्दा, राजगीर, चन्द्रवल्ली, आ हम्पी खुदाइमे विभिना भूमिकामे भाग लेलन्हि।
हिनकर लिखल-सम्पादित पोथी सभमे अछि:
1.वैशाली,1950
2.कुम्हरार एक्सकेवेशंस: 1950-1957
3.पुरातत्व की दृष्टिमे वैशाली
4.नागेश भट्टाज पारिभाषेन्दुशेखर
5.मिथिला आर्ट एण्ड आर्किटेक्चर (सम्पादित)
6.कल्चरल हेरिटेज ऑफ मिथिला
7.श्रृंगार भजनावली- एक अध्ययन
8.क्षेत्र पुरातत्वविज्ञान -
9.पुरातत्व शब्दावली
३२. स्व. अनिलचन्द्र ठाकुर
जन्म 13 सितम्बर 1954 ई.केँ कटिहार जिलाक समेली गाममे भेलन्हि। 1982 ई.मे हिन्दी साहित्यमे स्नातकोत्तर केलाक बाद नवम्बर '93 सँ नवम्बर '94 धरि "सुबह" हस्तलिखित पत्रिकाक सम्पादन-प्रकाशन कएलन्हि आ कोशी क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकमे अधिकारी रहथि। मैथिली, अंगिका, हिन्दी आ अंग्रेजीमे समानरूपेँ लेखन। मृत्युक पूर्व ब्रेन ट्यूमरसँ बीमार चलि रहल छलाह। प्रकाशित कृति: आब मानि जाउ(मैथिली उपन्यास)- पहिने भारती-मंडन पत्रिकामे प्रकाशित भेल, फेर मैलोरग द्वारा पुस्तकाकार प्रकाशित भेल। कच( अंगिकाक पहिल खण्ड काव्य,1975) एक और राम (हिन्दी नाटक,1981) एक घर सड़क पर (हिन्दी उपन्यास, 1982) द पपेट्स (अंग्रेजी उपन्यास, 1990) अनत कहाँ सुख पावै (हिन्दी कहानी संग्रह,2007) आब मानि जाउ(मैथिली उपन्यास)- एहि उपन्यासमे एक एहन युवतीक संघर्ष-गाथा अंकित अछि जे अपन लगनसँ जीवन बदलैत अछि। असंख्य गामक ई कथा, कुलीनताक अधःपतनक कथा, संस्कारविहीनताक उद्घाटन आ भविष्यक पीढ़ीकेँ बचएबाक चेतौनी छी ई कथा।
३३. डा. रमानन्द झा ‘रमण’
जन्म: 02 जनबरी,1949, शिक्षा-एम.ए., पीएच.डी., आजीविका- भारतीय रिजर्व बैंक, पटना (सेवा निवृत्त)। प्रकाशन: मौलिक- समीक्षा 1. नवीन मैथिली कविता,1982, 2. मैथिली नऽव कविता,1993, 3. मैथिली साहित्य ओ राजनीति, 1994, 4. अखियासल, 1995, 5. बेसाहल,2003, 6. भजारल, 2005., 7. निर्यात कैसे शुरू करें? हिन्दी- रिजर्व बैंक, पटनाक प्रकाशन सम्पादित 8. मैथिलीक आरम्भिक कथा, 1978 समीक्षा, 9. श्यामानन्द रचनावली, 1981, 10. जनार्दनझा‘ जनसीदनकृत निर्दयीसासु (1914) आ पुनर्विवाह (1926), 1984, 11. चेतनाथझाकृत श्रीजगन्नाथपुरी यात्रा (1910), 1994, 12. तेजनाथ झाकृत सुरराजविजय नाटक (1919), 1994, 13. रासबिहारीलाल दासकृत सुमति (1918), 1996, 14. जीबछ मिश्रकृत रामेश्वर (1916), 1996, 15. भेटघॉंट (भेटवार्ता), 1998, 16. रूचय तँ सत्य ने तँ फूसि, 1998, 17. पुण्यानन्द झाकृत मिथिला दर्पण (1925), 2003, 18. यदुवर रचनावली (1888-1934) 2003, 19. श्रीवल्लभ झा (1905-1940) कृत विद्यापति विवरण, 2005, 20. मैथिली उपन्यासमे चित्रित समाज, 2003, 21. पण्डित गोविन्द झाः अर्चा ओ चर्चा, 1997 प्रबन्ध सम्पादक, 22. कवीश्वर चेतना, 2008, चेतना समिति, पटना अनुवाद 23. मौलियरक दू नाटक, 1991, साहित्य अकादमी, 24. छओ बिगहा आठ कटठा, 1999, साहित्य अकादमी, 25. मानवाधिकार घोषणा Universal Declaration of Human Rights २००७( यूनेसको), 26. राजू आ’ टाकाक गाछ, 2008 रिजर्व बेंक -वित्तीय शिक्षा योजना के अन्तर्गत पत्रिका सम्पादन-सह सम्पादन 1. प्रयोजन, 1993 (मासिक), 2. कोषाक्षर (हिन्दी) 1982, 3. घर बाहर त्रैमासिक, चेतना समिति, पटना कार्यशाला 1. National Workshop on Literary Translation,- Dec 20.1991 to January 12,02,1992, Sahitya Akademi, New Delhi2.Bonds Beyond the Borders (India-Nepal civil society interaction on Cross Border issues) - Consulate General of India, Birgunj, Nepal and B.P. Koirala India-Nepal Foundation-May 27-28, 20062.Preparation of Intensive Course in Maithili- ERLC, Bhubneswar जूरी 6th Inter National Maithili Drama Festival,1992 Biratnagar, Nepal पुरस्कार- सम्मान
1. जार्ज ग्रियर्सन पुरस्कार, 1994-95, राजभाषा विभाग,बिहार सरकार, मैथिली नऽव कविता पुस्तक पर, 2. भाषा भारती सम्मान, 2004-05 छओ बिगहा आठ कटठा, (अनुवाद) CIIL, मैसूर। राजेन्द्र विमल (1949- )। चामत्कारिक लेखन-प्रतिभाक स्वामी राजेन्द्र विमल नेपालक मैथिली साहित्यक एक स्तम्भ छथि। मैथिली, नेपाली आ हिन्दी भाषाक प्राज्ञ विमल शिक्षाक हकमे विद्यावारिधि (पी.एच.डी.)क उपाधि प्राप्त कएने छथि। सुललित शब्द चयन एवं भाषामे प्राञ्जलता डा. विमलक लेखनक विशेषता रहलनि अछि। अपन सिद्धहस्त लेखनसँ ई कोनहु पाठकक हृदयमे स्थान बना लैत छथि। कथा आ समालोचनाक सङ्गहि मर्मभेदी गीत गजल लिखबामे प्रवीण डा. विमलक निबन्ध, अनुवाद आदि सेहो विलक्षण होइत छनि। कम्मो लिखिकऽ यथेष्ट यश अरजनिहार डा. विमलक लेखनीक प्रशंसा मैथिलीक सङ्गसङ्ग नेपाली आ हिन्दी साहित्यमे सेहो होइत रहलनि अछि। खास कऽ मानवीय संवेदनाक अभिव्यक्तिमे हिनक कलम बेजोड़ देखल जाइत अछि। त्रिभुवन विश्वविद्यालय अन्तर्गत रा.रा.ब. कैम्पस, जनकपुरधाममे प्राध्यापन कएनिहार डा. विमलक पूर्ण नाम राजेन्द्र लाभ छियनि। हिनक जन्म २६ जुलाई १९४९ ई. कऽ भेल अछि। साहित्यकारक नव पीढ़ीकेँ निरन्तर उत्प्रेरित करबाक कारणे ई डा.धीरेन्द्रक बाद जनकपुर-परिसरक साहित्यिक गुरुक रूपमे स्थापित भऽ गेल छथि। जनकपुरधामक देवी चौक स्थित हिनक घर सदति साहित्यक जिज्ञासु सभक अखाड़ा जकाँ बनल रहैत अछि।
३४.प्रकाश झा
सुपरिचित रंगकर्मी। राष्ट्रीय स्तरक सांस्कृतिक संस्था सभक संग कार्यक अनुभव। शोध आलेख (लोकनाट्य एवं रंगमंच) आ कथा लेखन। राष्ट्रीय जूनियर फेलोशिप, भारत सरकार प्राप्त। राजधानी दिल्लीमे मैथिली लोक रंग महोत्सवक शुरुआत। मैथिली लोककला आ संस्कृतिक प्रलेखन आ विश्व फलकपर विस्तारक लेल प्रतिबद्ध। अपन कर्मठ संगीक संग मैलोरंगक संस्थापक, निदेशक। मैलोरंग पत्रिकाक सम्पादन। संप्रति राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय, नई दिल्लीक रंगमंचीय शोध पत्रिका रंग- प्रसंगक सहयोगी संपादकक रूपमे कार्यरत।
३५.डॉ मित्रनाथ झा (१९५६-)
पिता स्वनामधन्य मिथिला चित्रकार स्व. लक्ष्मीनाथ झा प्रसिद्ध खोखा बाबू, ग्राम-सरिसब, पोस्ट सरिसब- पाही, भाया- मनीगाछी, जिला- मधुबनी (भारत), सम्प्रति मिथिला शोध संस्थान, दरिभङ्गामे पाण्डुलिपि विभागाध्यक्ष ओ एम.ए. (संस्कृत) कक्षाक शिक्षार्थीकेँ एम.ए. पाठ्यक्रमक सभ पत्रक अध्यापन। लेखन, उच्चस्तरीय शोध ओ समाज-सेवामे रुचि। संस्कृत, मैथिली, हिन्दी, अंग्रेजी, भोजपुरी ओ उर्दू भाषामे गद्य-पद्य लेखन। राष्ट्रीय ओ अन्तर्राष्ट्रीय स्तरपर सुप्रतिष्ठित अनेकानेक पत्र-पत्रिका, अभिनन्दन-ग्रन्थ ओ स्मृति-ग्रन्थादिमे अनेक रचना प्रकाशित। राष्ट्रीय ओ अन्तर्राष्ट्रीय स्तरपर आयोजित अनेक सेमिनार, कॉनफेरेन्स, वर्कशॉप आदिमे सक्रिय सहभागिता ।
३६.सुनील कुमार मल्लिक, गायक, जनकपुर, नेपाल
1968- मैथिलीक गायक-सग्ङीतकारक रूपमे प्रसिद्ध छथि । मैथिली भाषाक गीतसभमे मौलिक तथा सार्थक सग्ङीतक सृजनमे हिनक सक्रियता प्रशंसनीय छनि । सुनीलक गायन तथा सग्ङीतमे कैसेट एलबमसभ सेहो बाहर भेल अछि ।लेखनदिस हिनक सक्रियता परिमाणात्मक रूपमे कम रहितहुँ गुणात्मक दृष्टिएँ हृदयस्पर्शी मानल जाइत अछि ।पेशासँ विज्ञान-शिक्षक छथि ।
३७.काशीकान्त मिश्र "मधुप" (1906-1987)
’राधाविरह’ (महाकाव्य) पर साहित्य अकादेमी पुरस्कार प्राप्त मैथिलीक प्रशस्त कवि आ मैथिलीक प्रचार-प्रसारक समर्पित कार्यकर्ता ’झंकार’ कवितासँ क्रान्ति गीतक आह्वान कएलनि । प्रकृति प्रेमक विलक्षण कवि । ’घसल अठन्नी कविताक लेल कथ्य आ शिल्प-संवेदना—दुहू स्तर पर चरम लोकप्रियता भेटलनि।
३८.महेन्द्र मलंगिया
मैथिलीक सुपरिचित नाटककार, रंग निर्देशक एवं मैलोरंगक संस्थापक अध्यक्ष । लोक साहित्य पर गंभीर शोध आलेख । मैथिलीमे 13टा नाटक, 19टा एकांकी, 14टा नुक्कड़ आ 10टा रेडियो नाटक प्रकाशित आ आकाशवाणी सँ प्रसारित । सीनियर फेलोशिप (भारत सरकार), इंटरनेशनल थिएटर इंस्टिच्यूट (नेपाल), प्रबोध साहित्य सम्मान आदि सँ सम्मानित । संप्रति ज्योतिरीश्वर लिखित मैथिलीक प्रथम पुस्तक वर्णरत्नाकर पर शोध कार्य ।
श्री महेन्द्र मलगियाक जन्म २० जनबरी १९४६ मे मधुबनी जिलाक मलंगिया गाममे भेलन्हि। मलंगियाजी मैथिली हिन्दी, अंग्रेजी आ नेपाली भाषाक जानकार आ थियेटर शिक्षण, पटकथा लेखन आ तत्सम्बन्धी शोधक फ्रीलान्स शिक्षक छथि। सम्मान, उपाधि आ पुरस्कार: २००६(सीनियर फ़ेलो, मानव ससाधन विकास विभाग, भारत सरकार), २००५ ई. मे मैथिली भाषाक सर्वाधिक प्रतिष्ठित प्रबोध सम्मान, उनाप सम्मान, परवाहा (उवा नाट्य परिषद, परवाहा), भानु कला पुरस्कार (कला जानकी संस्थान, जनकपुर), २००४- पाटलिपुत्र पुरस्कार ( प्रांगन थिएटर, पटना), इप्टा पुरस्कार (कटिहार इप्टा, कटिहार), २००३- गोपीनाथ आर्यल पुरस्कार (इन्टरनेशनल थिएटर इन्स्टीट्यूट, नेपाल), यात्री चेतना पुरस्कार (चेतना समिति, पटना), बैद्यनाथ सियादेवी पुरस्कार (बी.एस.डी.पी. काठमाण्डू), २०००- चेतना समिति सम्मान (चेतना समिति, पटना), जिला विकास धनुषा साहित्य पुरस्कार (जिला विकास समिति, जनकपुर), १९९९- विद्यापति सेवा संस्थान सम्मान (विद्यापति सेवा संस्थान सम्मान, दरभंगा), १९९८- रंग रत्न उपाधि (अन्तर्राष्ट्रीय मैथिली साहित्य परिषद, राँची), १९९७- सर्वोत्तम निर्देशक पुरस्कार (सांस्कृतिक संस्थान, काठमाण्डू), १९९१- भानु कला पुरस्कार, विराटनगर (भानु कला परिषद, बिराटनगर), १९९०- सर्वनाम पुरस्कार (सर्वनाम समिति, काठमाण्डू), १९८५- आरोहण सम्मान, काठमाण्डू, १९८३- वैदेही पुरस्कार (विद्यापति स्मारक समिति, राँची), शोध कार्य: सलहेस: एकटा ऐतिहासिक अध्ययन, विरहा: मिथिलाक एकटा लोकरूप, सामा चकेबा: लोकनाट्यक एक अवलोकन, सलहेसक काल निर्धारण, विद्यापतिक उगना, शिवक गण, मधुबनी एकटा नगर अछि, हम जनकपुर छी, ई जनकपुर अछि। हिनकर दू टा पोथी “ओकरा आँगनक बारहमासा” आ “काठक लोक” ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगाक मैथिली पाठ्यक्रममे अछि। हिनकर दू टा पोथी त्रिभुवन विश्वविद्यालय, काठमाण्डू केर एम.ए. पाठ्यक्रममे अछि। हिनकर कैकटा आलेख आ किताब सेकेण्डरी आ हायर सेकेण्डरी पाठ्यक्रममे अछि।
प्रकाशित पोथी: नाटक: ओकरा आँगनक बारहमासा,जुआयल कंकनी, गाम नञि सुतय, काठक लोक, ओरिजनल काम, राजा सलहेस, कमला कातक राम, लक्ष्मण आ सीता, लक्ष्मण रेखा खण्डित, एक कमल नोरमे, पूष जाड़ कि माघ जाड़, खिच्चड़ि, छुतहा घैल, ओ खाली मुँह देखै छै। ई सभटा कैक बेर आ कैक ठाम खेलाएल गेल अछि। एकाङ्की: टूटल तागक एकटा ओर, लेवराह आन्हरमे एकटा इजोत, गोनूक गबाह, हमरो जे साम्ब भैया, “बिरजू, बिलटू आओर बाबू”, मामा सावधान देहपर कोठी खसा दिअ, नसबन्दी, आलूक बोरी, भूतहा घर, प्रेत चाहे असौच, फोनक करामात, एकटा बताहि आयल छलय, मालिक सभ चल गेलाह, भाषणक दोकान, फगुआ आयोजन आ भाषण, भूत, एक टुकड़ा पाप, मुहक कात, प्राण बचाबह सीता राम, ओ खाली घैल फोड़य छै। ई सभटा मंचित भऽ चुकल अछि। २५ टा चौबटिया नाटक: चक्रव्युह, लटर पटर अहाँ बन्द करू, बाढ़ि फेर औतय, एक घर कानन एक घर गीत, सेर पर सवा सेर, ई गुर खेने कान छेदेने, आब कहू मन केहेन लगैए, नव घर, हमर बौआ स्कूल जेतए, बेचना गेलए बीतमोहना गबए गीत, मोड़ पर, ककर लाल आदि। ई सभटा चौबटिया वीथीपर खेलायल गेल अछि। ११ टा रेडियो नाटक: आलूक बोरी, ई जनम हम व्यर्थ गमाओल, नाकक पूरा, फटफटिया काका आदि।ई सभटा टा पटना, दरभंगा आ नेपालक रेडियो स्टेशनसँ प्रसारित भेल अछि। सम्पादन: मैथिली एकाङ्की (साहित्य अकादमी, नई दिल्ली), विदेहक नगरीसँ (कविता संग्रह), मैथिली भाषा पुस्तक (सेकेण्डरी स्कूल पोथी), लोकवेद (मैथिली पत्रिका)। कथा: प्रह्लाद जड़ि गेल, धार, एक दिनक जिनगी, बनैया सुगा, बालूक भीत, बुलबुल्ला आदि। लघुकथा: डपोरशंख, मुहचिड़ा आदि। सदस्यता: अध्यक्ष, मैथिली लोक रंग, सदस्य कार्यकारी बोर्ड, मिनाप, जनकपुर, यात्री मधुबनी, मिथिला सांस्कृतिक मंच, मधुबनी। राष्ट्रीय आ अन्तर्राष्ट्रीय सेमिनार सभमे सहभागिता।
३९.श्री मैथिली पुत्र प्रदीप.
(१९३६- )। ग्राम- कथवार, दरभंगा। प्रशिक्षित एम.ए., साहित्य रत्न, नवीन शास्त्री, पंचाग्नि साधक। हिनकर रचित "जगदम्ब अहीं अवलम्ब हमर’ आ ’सभक सुधि अहाँ लए छी हे अम्बे हमरा किए बिसरै छी यै" मिथिलामे लेजेंड भए गेलअछि।
४०.अयोध्यानाथ चौधरी
धनुषा, नेपाल 1947- मूलत: कविक रूपमे परिचित छथि। नेपालक आधुनिक कविताक क्षेत्रमे हिनक नाम उल्लेखनीय अछि। श्री चौधरीक लेखनमे मानवीय संवेदनाक प्रतिबिम्ब पाओल जाइत अछि। कविताक संग कथा आ निबन्धमे सेहो ई कलम चलबैत छथि। फड़िछाएल लेखन हिनक विशेषता थिकनि।धनुषा जिलाक दुहबी गामक रहनिहार श्री चौधरीक जन्म ६अक्टुबर १९४७कऽ भेल छनि। हिनक क्षितिजक ओहिपार नामसँ एक कविता-संग्रह प्रकाशित छनि।