बिहार के नगर निकाय चुनाव को लेकर अधिसूचना जारी होते ही चुनावी क्षेत्रों में सरगर्मी बढ़ गई है. अधिसूचना जारी होते ही पूरे बिहार में आदर्श आचार संहिता लागू हो गई है. राज्य निर्वाचन आयोग ने आदर्श आचार संहिता के साथ कई पाबंदियां लग गई है. अगर आप निकाय चुनाव लड़ रहे है तो आपको जानना जरूरी है कि आचार संहिता के दौरान थोड़ी भी लापरवाही आपके सपने को तबाह कर सकती है. चुनाव के नजदीक आने के कारण लोगों को लुभाने के लिए अगर जल्दी में कोई नए योजना का काम किया तो अचार संहिता का उल्लंघन माना जाएगा और आपकी उम्मीदवारी रद्द हो सकती है. पहले से चल रहे योजनाओं के काम को पूरा करने में कोई पाबंदी नहीं है. निकाय क्षेत्रों के अंदर आज के बाद नई घोषणाएं भी नहीं कर सकते.

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निकाय चुनाव के दौरान कोई भी उम्मीदवार किसी भी तरह से किसी भी राजनीतिक दल का झंडा, बैनर या चिन्ह का इस्तेमाल नहीं कर सकता. अगर किसी भी उम्मीदवार ने किसी भी पार्टी के चुनाव चिन्ह या झण्डा का इस्तेमाल किया तो उम्मीदवारी चली जाएगी. राज्य निर्वाचन आयोग ने सख्ती के साथ निर्देश जारी किया है कि किसी भी राजनीतिक दलों के चिन्ह का सहारा नहीं लिया जा सकता. राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के साथ भी सभा, और प्रचार किया तो कार्रवाई तय है.

चुनाव में पैसे का नाजायज इस्तेमाल ना हो, इसे लेकर निर्वाचन आयोग सख्त है.राज्य निर्वाचन आयोग ने अगले महीने प्रस्तावित नगरपालिका आम चुनाव में प्रत्याशियों की चुनावी खर्च की सीमा निर्धारित कर दी है। आयोग के अनुसार नगर पंचायत में वार्ड पार्षद अधिकतम 20 हजार रुपये तो नगर निगम क्षेत्र में अधिकतम 80 हजार रुपये खर्च कर सकेंगे। इसी तरह नगर परिषद के वार्ड पार्षद उम्मीदवार 40 हजार रुपये तक अधिकतम खर्च कर सकेंगे। नगर निगम के वार्ड पार्षद पद के लिए आबादी के अनुसार खर्च की सीमा तय की गई है। नगर निगम क्षेत्र में चार से दस हजार आबादी वाले वार्ड में अधिकतम 60 हजार रुपये खर्च करने की अनुमति होगी, जबकि दस से बीस हजार की आबादी वाले वार्ड में 80 हजार रुपये तक चुनाव में खर्च किए जा सकेंगे। तय सीमा से ज्यादा खर्च साबित हो जाने पर गाज गिर सकती है।

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अचार संहिता के दौरान नहीं कर सकते ये काम

चुनाव के दौरान आचार संहिता लगने के बाद उम्मीदवारों को कई बातों का रखना होगा ध्यान वरना सारी मेहनत बेकार हो सकती है. प्रचार के दौरान जुलूस निकालने के लिए जगह, समय और लोगों की स्थिति की जानकारी पहले से पुलिस अधिकारियों को देनी होगी. इसके लिए पहले से लिखित अनुमति लेना जरूरी है. जुलूस या प्रचार के लिए निकलने से पहले जिस रास्ते या मुहल्ले से होकर गुजरेगा वहां लागू निषेधात्मक निर्देश का पालन करना होगा. यातायात के नियमों का भी सख्ती से पालन करना होगा. मतदान के दिन गाड़ी के परिचालन पर पूर्णतः प्रतिबंध रहेगा, इसलिए बूथ तक जाने के लिए जारी नियमों का सख्ती से पालन करना होगा.


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