बेनीपट्टी(मधुबनी)। पुलिस को संसाधन से लैस करने की कवायद को आईना दिखा रहा है, बेनीपट्टी का अरेड़ थाना, जहां एसएचओ व सहायक पुलिस अधिकारियों के लिए भवन तो दूर थाना पर आराम से कार्य करने के लिए भी भवन की दरकार है। थाना का भवन इस कदर जर्जरता की भेंट चढ़ चुका है कि बारिश होते ही थाना पर मौजूद अधिकारी अपने सिर को बचाने से पूर्व कागज को समेटने में जुट जाता है। वहीं आंधी-तूफान में अधिकारियों को थाना का छप्पर उड़ने की चिंता अलग ही सताती रहती है। एक तरफ बिहार सरकार जहां सूबे में सुशासन लाने के दावे कर रहा है। वहीं अरेड़ थाना की बदत्र स्थिति से अंदाजा लगाया जा सकता है कि उक्त थाना पर कार्यरत अधिकारी कितनी समस्याओं को झेल कर दैनिकी कार्य एवं लोगों की सुरक्षा कर रहे है। बता दें कि बेनीपट्टी प्रखंड के तैंतीस पंचायत के करीब चौदह पंचायत के दर्जनों गांवों की सुरक्षा के लिए मधुबनी-सीतामढ़ी पथ के बगल में अरेड़ थाना को स्थापित किया गया। उक्त समय में थाना के लिए भूमि की समस्याओं को देख स्थानीय लोगों ने थाना के लिए जमीन किराए पर दी। उक्त समय अरेड़ को ओपी का दर्जा दिया गया। परंतु अरेड़ ओपी क्षेत्र के परसिमन को देख बिहार सरकार ने वर्ष-2007 में अरेड़ ओपी को थाना का दर्जा दे दिया। जिसके बाद अरेड़ थाना में अधिकारियों की पोस्टिंग होनी शुरु हो गई। लेकिन संसाधन की कमी हर समय अरेड़ थाना को खलती रही। इस थाना की स्थिति के संबंध में विभाग के सभी अधिकारियों को जानकारी होने के बाद भी अरेड़ थाना के लिए उपयुक्त जमीन तलाश कर अपना भवन निर्माण कराने की पहल अब तक नहीं हो पायी है। जिसके कारण स्थिति इस कदर भयावह है कि थाना का दर्जा प्राप्त अरेड़ में महिला हाजत तक नहीं है। महिला आरोपियों की गिरफ्तारी कर दूसरे थाना को भेजा जाता है। वहीं सिरिस्ता का हाल भी खराब बना हुआ है। बता दें कि अरेड़ को थाना का दर्जा प्राप्त किए वर्षो गुजर जाने के बाद भी अरेड़ थाना को सिरिस्ता कार्य के लिए मुंसी नसीब नहीं हुआ है। फलस्वरुप, आज भी दफादार से मुंसी का कार्य लिया जा रहा है। मुंसी के साथ वायरलैस ऑपरेटर का पद वर्षों से रिक्त पड़ा हुआ है। जबकि सूचना आदान-प्रदान किए जाने को लेकर हमेशा वायरलैस पर कर्मी का होना अतिआवश्यक है। फिलहाल अरेड़ थाना में एसएचओ समेत दो अवर निरीक्षक व तीन सहायक अवर निरीक्षक है। क्षेत्र से सूचना संग्रह किए जाने के लिए तैनात चौकीदार की निर्धारित 39 में मात्र 21 चौकीदार ही कार्यरत बच गए है। जिसके कारण क्षेत्र से सूचना संग्रह करना भी एक समस्या बन गई है। एसएचओ गया सिंह ने बताया कि संसाधन की कमी के बावजूद पुलिस अधिकारी अपने कार्य से समझौता नहीं करते है। पुलिस हर सूरत में अपना दायित्व निभा लेती है। वहीं अंचलाधिकारी पुरेन्द्र कुमार सिंह ने बताया कि अरेड़ थाना के लिए जमीन उपलब्ध होने पर दिया जाएगा।