बेनीपट्टी(मधुबनी) कन्हैया मिश्रा : ग्राम स्वराज लागू करने के महात्मा गांधी के सपने को सरकार भले ही फलीभूत करने में लगी हुई है।लोगों को थाना-कोर्ट कचहरी से मुक्ति के लिए ग्राम कचहरी को सशक्त करने के दावें करते रहते है।लेकिन पंचायत चुनाव के मतगणना के बाद निर्वाचित ग्राम कचहरी के सर्वेसर्वा सरपंच की शैक्षणिक स्थिति का अवलोकन  करते है तो साफ तौर पर कहा जा सकता है कि आरक्षण व कोटे के कारण ग्राम कचहरी सशक्त बनने के जगह कमजोर ही होगा।बेनीपट्टी प्रखंड के 33 पंचायत के ग्राम कचहरी के सरपंच के निर्वाचित होने के बाद स्थिति है कि प्रखंड के 19 सरपंच अशिक्षित अथवा प्रारंभिक शिक्षा ही ग्रहण किये हुए है।ऐसी स्थिति में जनता व गरीब-गुरबा को सस्ती न्याय देने की इस योजना पर अभी से ही ग्रहण लगता दिख रहा है।शिक्षित सरपंच की बात करें तो 33 सरपंच में से धकजरी के सरपंच पोस्ट ग्रेजुएट है तो पाली, त्यौंथ व परजुआर के सरपंच भी ग्रेजुएट की श्रेणि में है।वहीं निर्वाचित सरपंच में तीन सरपंच इंटर पास तो चार सरपंच मध्य अथवा उच्च विद्यालय से ही शिक्षा प्राप्त किये हुए है।जानकारों की माने तो ऐसे अशिक्षित जनप्रतिनिधि खासकर सरपंच के चुने जाने से ग्राम कचहरी प्रभावित ही होगी।ग्राम कचहरी के सुसंगत धाराओं से लोगों को लाभ दिलाना संभव होता नहीं दिख रहा है।


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