पटना (बिहार) कन्हैया मिश्रा  : एनडीए के अंदर दो दलित नेताओं का कद गठबंधन के अंदर ही टकराने लगा है। लोजपा अध्यक्ष व केंद्रीय खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री रामविलास पासवान ने साफ शब्दों में कहा कि लोजपा एनडीए के अंदर पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी का तो स्वागत करती है, लेकिन उनके पांच विधायकों का विरोध आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में भी जारी रहेगा जिन्होंने लोजपा से नाता तोड़कर जदयू का झंडा उठा लिया था। मौके पर उपस्थित लोजपा के प्रदेश अध्यक्ष पशुपति कुमार पारस ने मांझी खेमे के उन पांचों विधायकों का नाम लेकर कहा कि हम चुनाव में इनका समर्थन नहीं करेंगे। मांझी खेमे के इन पांच विधायकों में पूर्व मंत्री नरेंद्र सिंह के दोनों पुत्र सुमित सिंह और अजय प्रताप सिंह, टेकारी विधायक अनिल कुमार, साहेबगंज विधायक राजू सिंह और मुजफ्फरपुर के कांटी विधायक अजीत सिंह शामिल हैं। रविवार को लोजपा के प्रदेश कार्यालय में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में रामविलास पासवान ने कहा कि नीतीश कुमार और लालू प्रसाद को पासवान जाति से एलर्जी हो सकती है लेकिन मुझे न तो कुर्मी से और न ही यादव जाति से किसी तरह की एलर्जी है। लोजपा को दलितों की पार्टी कहे जाने पर भी उन्होंने आपत्ति व्यक्त की और कहा कि लोजपा को तो सभी जातियों का समर्थन हासिल है। पासवान ने नीतीश कुमार के विकास मॉडल का मजाक उड़ाते हुए कहा कि बिहार में शिक्षा के नाम पर साइकिल और पोशाक राशि के वितरण में जितने कमीशन वसूले गए हैं उतने में राज्य के हर जिले में साइकिल की फैक्ट्री लगाई जा सकती थी। उन्होंने कहा कि योग से खुद को दूर रखने वाले नीतीश कुमार और लालू प्रसाद बिहार विधानसभा चुनाव के बाद योगासन में जाने वाले हैं। एक सवाल के जवाब में पासवान ने कहा कि एनडीए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बिहार विधानसभा का चुनाव लड़ेगा। हमें चुनाव से पहले किसी को नेता स्वीकार करने की जरूरत नहीं है। इसकी जरूरत तो लालू प्रसाद और नीतीश कुमार के गठबंधन को है, क्योंकि कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी का चाबुक पडऩे के बाद लालू जी को जहर का घूंट पीकर नीतीश कुमार को नेता स्वीकार करना पड़ा है।
हमारे यहां नेतृत्व को लेकर किसी तरह विवाद नहीं है। संवाददाता सम्मेलन में पारस के अलावा लोजपा के प्रधान महासचिव डॉ. सत्यानंद शर्मा, प्रदेश प्रवक्ता ललन कुमार चंद्रवंशी समेत कई और नेता मौजूद थे ।
उधर बैशाली में दो दिवसीय कार्यकारिणी मीटिंग में आने वाला विधानसभा में पार्टी की और से केंद्रीय मंत्री उपेन्द्र कुशवाहा को मुख्यमंत्री का दावेदार बता कर भाजपा पर दवाब देने की शुरुआत कर दी है वही दूसरी और राजग में शामिल दो अलग अलग महादलित नेता केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान और मांझी में भी टकराहट और रालोसपा के बयान से सियासी सरगर्मी तेज हो गयी है । इधर बीजेपी के सुशील कुमार मोदी ने रालोसपा की मांग पर कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया.चुनाव पूर्व जिस तरह राजग के घटक दलो में आपसी खींचातानी हो रही है,आने वाले दिनों में बीजेपी के मुहीम के लिए परेशानी हो सकती है ।


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