बेनीपट्टी (मधुबनी) नितीश कश्यप : देवपुरा (देपुरा) गांव मे आर्या सर्वांगीण विकास संस्थान द्वारा विगत वर्षों की भांति इस बार भी धूम-धाम से दुर्गा पूजा का आयोजन किया गया है। आयोजन समिति के सदस्यों ने बताया कि यह आयोजन 30 वर्षो से अधिके से हो रहा है।
देवपुरा गांव जो की बेनीपट्टी प्रखंड मुख्यालय से 6 किलोमीटर की दुरी पर बसा हुआ है। गांव के मध्य अवस्थित माँ दुर्गा की प्रतिमा भगवती देवपुरा वासनी के नाम से जानी जाती है। यहां की मान्यता है की जो भी श्रद्धालु यहां आते है उनकी मनोकामना माँ पूर्ण करती है।
पूजा का आयोजन कर रही आर्या सर्वांगीण विकास संस्थान जो की दुर्गा पूजा के साथ साथ प्रत्येक वर्ष पर्यावण एवं शिक्षा से जुड़ी समस्याओं जैसे नशामुक्ति, अशिक्षा जैसी विभिन्न समस्याओं के प्रति जागरूकता के लिए नाटक व अन्य माध्यम से समाज को जागरूक करने का काम प्रतिवर्ष करती आ रही है
साथ ही साथ इस संस्था की ख़ास बात यह है कि संस्था के सभी सदस्य दुर्गा पूजा के कलश स्थापना दिन से लेकर विसर्जन तक पाग धारण किये रहते है। सदस्यों का कहना है कि पाग पहन कर पूजा के दिनों में काम करने का उद्देश्य मिथिला की सभ्यता और संस्कृति बचाने के साथ साथ युवाओं को अपनी सभ्यता और संस्कृति से अवगत कराना है।
सालों साल यहाँ श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ रही है। आस पास के दर्जनों गांव के लोग इस पूजा में भाग लेते है। आरती के समय आस पास के गांवों से आये श्रद्धालुओं की अप्रत्याशित भीड़ माँ दुर्गा की प्रति आस्था को दर्शाती है।
देवपुरा गांव जो की बेनीपट्टी प्रखंड मुख्यालय से 6 किलोमीटर की दुरी पर बसा हुआ है। गांव के मध्य अवस्थित माँ दुर्गा की प्रतिमा भगवती देवपुरा वासनी के नाम से जानी जाती है। यहां की मान्यता है की जो भी श्रद्धालु यहां आते है उनकी मनोकामना माँ पूर्ण करती है।
पूजा का आयोजन कर रही आर्या सर्वांगीण विकास संस्थान जो की दुर्गा पूजा के साथ साथ प्रत्येक वर्ष पर्यावण एवं शिक्षा से जुड़ी समस्याओं जैसे नशामुक्ति, अशिक्षा जैसी विभिन्न समस्याओं के प्रति जागरूकता के लिए नाटक व अन्य माध्यम से समाज को जागरूक करने का काम प्रतिवर्ष करती आ रही है
साथ ही साथ इस संस्था की ख़ास बात यह है कि संस्था के सभी सदस्य दुर्गा पूजा के कलश स्थापना दिन से लेकर विसर्जन तक पाग धारण किये रहते है। सदस्यों का कहना है कि पाग पहन कर पूजा के दिनों में काम करने का उद्देश्य मिथिला की सभ्यता और संस्कृति बचाने के साथ साथ युवाओं को अपनी सभ्यता और संस्कृति से अवगत कराना है।
सालों साल यहाँ श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ रही है। आस पास के दर्जनों गांव के लोग इस पूजा में भाग लेते है। आरती के समय आस पास के गांवों से आये श्रद्धालुओं की अप्रत्याशित भीड़ माँ दुर्गा की प्रति आस्था को दर्शाती है।