विलय की राह पर एक साथ चलने वाले जदयू-राजद को अब चुनाव पूर्व गठबंधन भी दोनों दलों के नेताओ के बोल के कारण गर्दिश में नजर आ रहा है.मंगलवार को राजद के उपाध्यक्ष रघुवंश सिंह ने तो साफ-साफ लहजो में कह दिया की राजद नीतीश के चेहरे पर चुनाव नहीं लड़ेगी,राजद में भी कई चेहरे है.वही जदयू के श्याम रजक ने भी पलटवार करते हुए "रघुवंश" के बयान को बीजेपी के लिए लाभकारी बताया.इधर बुधवार को जदयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने भी चुप्पी तोड़ते हुए कह दिया की राजद से जदयू का गठबंधन हुआ तो भी अच्छा नहीं हुआ तो भी अच्छा,मगर नीतीश कुमार ही हमारे नेता होंगे.इस बयानबाजी के बीच कांग्रेस अध्यक्ष डा.अशोक चौधरी भी कूद कर नीतीश के चेहरे पर ही बिहार विधानसभा चुनाव लड़ने की बात कह दी.जानकारों की माने तो बिहार के राजनीति में अचानक दलितों के नेता माने जाने वाले मांझी को भी राजद रिझाने में लगा है.राजद प्रमुख लालू यादव ने तो कई बार मांझी को गठबंधन में शामिल होने का निमंत्रण दे चुके है.बिहार में मांझी अगर राजद के साथ नहीं जाते है तो 17 प्रतिशत वोटो का बिखराव हो जायेगा जो कही न कही राजद को नुकसान पंहुचा सकता है.वैसे भी राजद 2010 के विधानसभा चुनाव में लगभग 143 ऐसी सीटें गवां दी जिसमें राजद प्रत्याशी 4 से 5 हजार मतों से चुनाव हार गये थे.इसी को देखते हुए रघुवंश बाबू जदयू पर आक्रामक हो रहे है.हालांकि कुछ राजनितिक विस्लेशनकर्ताओ का मानना है की रघुवंश बाबू का बयान जदयू पर शुरू से दवाब बनाना है...कहाँ राजद-जदयू सहित अन्य जनता दल को भी विलय में साथ लाने की बात हो रही थी,मगर दोनों फिलहाल गठबंधन के सवाल पर भी अब राजी नहीं होते दिख रहे है.
विशेष प्रस्तुति : कन्हैया मिश्रा (चीफ एडिटर - BNN)


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