मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सदन में गुरुवार को विश्वास मत हासिल कर लिया। लेकिन, सियासी हलचल का दौर जारी है। महागठबंधन की ओर से जदयू विधायक को तोड़ने के लिए 10-10 करोड़ रुपये और मंत्री पद का प्रलोभन दिए जाने के साथ विधायक बीमा भारती और दिलीप राय के अपहरण की शिकायत कोतवाली थाने में दर्ज कराई गई है। हरलाखी विधायक सुधांशु शेखर ने इस संबंध में केस दर्ज कराया है। डीएसपी (कानून एवं व्यवस्था) कृष्णमुरारी प्रसाद ने बताया कि इंजीनियर सुनील और डॉक्टर संजीव के खिलाफ दर्ज मामले की छानबीन हो रही है। दोनों को पूछताछ के लिए बुलाया गया है।
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विधायक सुधांशु शेखर ने लिखित शिकायत में कहा है कि एक परिचित के माध्यम से इंजीनियर सुनील ने नौ फरवरी को उनसे बात की थी। उन्होंने महागठबंधन के साथ आने के लिए उन्हें 10 करोड़ और मंत्री पद का प्रलोभन दिया था। 10 फरवरी को पूर्व मंत्री नागमणि कुशवाहा ने जानकारी दी थी कि एक कांग्रेस नेता बात करने चाहते हैं। इसके कुछ देर बाद कांग्रेस नेता ने उनके पास इंटरनेट कॉल की। उसने खुद को राहुल गांधी का करीबी बताते हुए कहा कि हमारे साथ आ जाईये। विश्वासमत प्रस्ताव में गठबंधन का साथ दीजिए। इसके बदले आपकी सारी मांग पूरी की जाएगी।
हिलसा के विधायक श्रीकृष्ण मुरारी शरण को भी राजद प्रवक्ता शक्ति यादव ने 31 जनवरी को फोन कर गठबंधन को समर्थन देने पर मंत्री पद का प्रलोभन दिया था। इसी प्रकार से विधायक निरंजन कुमार मेहता को भी प्रलोभन और धमकी दी गई। सुधांशु शेखर ने विधायक बीमा भारती और दिलीप राय के अपहरण का आरोप लगाया। उन्होंने पुलिस को बताया कि गठबंधन का समर्थन करने के लिए दोनों का डरा धमका कर अगवा कर लिया गया है ताकि 12 फरवरी को वे जदयू के विरोध में वोट करें। दोनों विधायक से शिकायत देने तक उनका संपर्क नहीं हो पा रहा था।
डीएसपी (कानून एवं व्यवस्था) ने बताया कि 11 फरवरी को आवेदन दिया गया था। मुकदमा दर्ज कर आरोपों का सत्यापन किया जा रहा है। वहीं, जांच के दौरान मोटी रकम की जो पेशकश की गई है उसके स्रोत का भी पता लगाया जाएगा।
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जानकारी के लिए बता दें कि बिहार में फ्लोर टेस्ट से पहले विधायकों की खरीद-फरोख्त की खबरें लगातार सामने आ रही थी। केंद्र और राज्य की खुफिया एजेंसियां भी अपनी नजर बनाई हुई थी। क्राइम ब्रांच या स्पेशल शाखा समेत अन्य खुफिया एजेंसियों के लोग राजनीतिक सरगर्मी के केन्द्र बने सभी मुख्य स्थानों पर सादे लिबास में जमे हुए थे। आयकर विभाग जैसी एजेंसी पैसे के अवैध लेनदेन या अगर कहीं कैश का मूवमेंट होता है, तो उस पर पैनी नजर बनाए हुए थे। कौन-कहां आ रहे या जा रहे हैं, किसकी क्या भूमिका है, इन सभी गतिविधि को ताड़ने में अपने-अपने तरीके से इन एजेंसियों के लोग जुट गए थे।
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