घोघरडीहा। प्रखंड के उत्क्रमित उच्च माध्यमिक विद्यालय केवटना में रविवार को भारत की प्रथम महिला शिक्षिका सावित्री बाई फुले एवं भारत की प्रथम मुस्लिम महिला शिक्षिका फातिमा शेख की 192 वीं जयंती और शहीद परमेश्वर के 67 वीं जयंती के अवसर पर वर्ग छठी से 10 वीं तक के बालिकाओं के बीच "भारत में स्त्री शिक्षा के प्रसार में सावित्री बाई फुले के योगदान" विषय पर निबंध और भाषण प्रतियोगिता का आयोजन सेवा बिहार प्रखंड इकाई घोघरडीहा के तत्वाधान में किया गया। 

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कार्यक्रम का विधिवत उद्घाटन सेवानिवृत पुलिस निरीक्षक बालकृष्ण यादव एवं मुख्य अतिथि राम नरेश यादव ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर किया। जिसके बाद  कार्यक्रम में उपस्थित प्रतिभागियों और गणमान्य व्यक्तियों के द्वारा तीनों समाज सुधारकों के चित्र पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि अर्पित किया गया। विद्यालय के   प्रधानाध्यापक भुवनेश्वर ठाकुर की अध्यक्षता एवं शिक्षक गोपाल राय के मंच संचालन में सेवा बिहार के जिला संयोजक राम नरेश यादव के हाथों निबंध प्रतियोगिता में प्रथम द्वितीय और तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले प्रतिभागियों को" सामाजिक क्रांति के योद्धा सावित्री बाई भारत" नामक एक-एक पुस्तक, नोटबुक एवं कलम देकर पुरस्कृत किया गया। 

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प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए सेवा बिहार के जिला संयोजक श्री यादव ने माता सावित्री बाई फुले की योगदानो को स्मरण करते हुए  कहा कि "स्वाभिमान से जीने के लिए पढ़ाई करो पाठशाला ही इंसानों का सच्चा गहना है. विशिष्ट अतिथि बालकृष्ण यादव अपने सम्बोधन में कहा कि सावित्री बाई फुले ने विधवा विवाह, छुआछूत, दलित और महिला की मुक्ति के लिए अभियान चलाते हुए भारत में बालिकाओं के लिए प्रथम विद्यालय 1948 ई० में फातिमा शेख की मदद से फातिमा शेख के भाई उस्मान शेख के घर महाराष्ट्र के पुणे शहर में खोला था,जो आगे चलकर महिला शिक्षा के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित हुआ। 

आज हमारी बेटियां हर क्षेत्र में कही से भी पुरुषों से कम नहीं है। जिसमे माता सावित्री बाई फुले और फातिमा शेख की योगदानों को कभी भुलाया नहीं जा सकता है। प्रमोद कुमार ने अपने सम्बोधन में  शोषित वंचित और गरीब छात्रों की मजबूत आवाज रहे शहीद परमेश्वर को याद करते हुए कहा कि सामंती ताकतों द्वारा क्रांतिकारी छात्र नेता को मौत के घाट उतार दिया गया। 

आज दुनियां बदल रहा है लेकिन कुछ लोगों की सामंती सोच आज भी कायम है। जो समरस समाज की स्थापना में बाधक बन रहा है। कहा इस तरह के निबंध और भाषण प्रतियोगिता के माध्यम से आने वाला नई पीढ़ी अपने पूर्वजों और नायकों के बारे में जान सकेंगे।  

कार्यक्रम में दर्जनों प्रतिभागी बालक बालिकाओं के साथ सेवा बिहार के बालकृष्ण यादव, रमनरेश यादव, गोपाल राय, प्रमोद कुमार, ओम प्रकाश यादव, दानी लाल राय, भुवनेश्वर ठाकुर, रविंद्र कुमार रमण, मिथिलेश कुमार, राम बालक यादव, कमलेश कुमार, उमेश कुमार यादव, नरेंद्र कुमार, श्याम मंडल, लालेन्द्र प्रसाद राय, सुरेश कुमार यादव, चंद्रासोहन यादव, अनित कामत ,जामुन प्रसाद यादव, देवेंद्र कामत, सत्यदेव राम, घनश्याम पासवान, पप्पू कुमार राय, मिथिलेश कुमार पासवान, जितेन्द्र कुमार पासवान सहित दर्जनों गणमान्य व्यक्ति शामिल हुए।


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