बेनीपट्टी (मधुबनी)। बाढ़ की विभिषिका का दंश झेले भले ही पांच माह से अधिक हो गया, लेकिन प्रशासनिक उदासीनता के कारण लोगों को आज भी बाढ़ की भयावहता लोगों के आंखो के सामने तैर रहा है। प्रशासनिक उदासीनता के कारण बाढ़ के पांच माह के बाद भी गांवों की तस्वीरें नहीं बदल पाई है। गांवों में बाढ़ में ध्वस्त ग्रामीण सड़के व बांध क्षतिग्रस्त अवस्था में है। बाढ़ का पानी कम होते ही सभी गांवों में क्षतिग्रस्त सड़क व बांधों की मरम्मत कराने के प्रशासनिक दावें किए गये थे। परंतु यदा-कदा गांवों के क्षतिग्रस्त सड़कों का मरहम-पट्टी कर अन्य को छोड़ दिया गया। जानकारी के अनुसार बाढ़ में करोड़ों रुपये के बांध व ग्रामीण सड़कों की क्षति हुई थी। बसैठ के सीता मुरलीधर उच्च विद्यालय के समीप ध्वस्त बांध, मेघवन में पूर्व पंचायत समिति सदस्य प्रवेज आलम के घर के समीप ध्वस्त बांध, शिवनगर चौक के पश्चिमी भाग में अवस्थित बांध करीब सौ फीट की दूरी में अब भी ध्वस्त पड़ा हुआ है। वहीं ग्रामीण सड़कों की मरहम पट्टी के बाद भी स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ। पूर्व से जर्जर पाली से कमतौल की सड़क जो बाढ़ के महाप्रलय में पूर्णरुप से क्षतिग्रस्त हो गया, उक्त सड़क पर मरहम-पट्टी कर दी गयी, लेकिन सड़क को समतल नहीं करने के कारण सड़क अब जानलेवा साबित हो रही है। स्थिति इतनी खराब है कि बाईक भी सही से पार नहीं कर पा रहा है। वहीं पाली के उत्तरवारी टोल के ग्रामीण सड़क की स्थिति भी बेहतर नहीं कही जा सकती है। जबकि उक्त टोले का सड़क बाढ़ से करीब एक वर्ष पूर्व ही निर्माण कराया गया था। वहीं असलम चौक से नजरा को जोड़ने वाली सड़क की स्थिति भी पूर्व से बद्तर हो गयी। उधर पाली के सोईली गांव में प्रवेश करने वाली ग्रामीण पथ के मध्य कटाव हो गया, जिसका अभी तक निदान नहीं किया गया। प्रवेज आलम ने बताया कि बांधों की मरम्मत कराने के लिए बाढ़ के बाद हुई बैठक में प्रस्ताव दिया गया था। कई बार अधिकारियों को भी स्थिति की जानकारी दी गयी, लेकिन स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ। उधर बर्री पंचायत के ग्रामीण सड़कों की स्थिति भी काफी खराब बनी हुई है। इस संबंध में एसडीएम मुकेश रंजन ने बताया कि सभी स्थलों के संबंध में जानकारी ली जा रही है। प्रशासन यथासंभव मरम्मत के लिए पहल करेगी। वहीं बांधों का भी मरम्मत कराने का प्रयास किया जाएगा।