बेनीपट्टी (मधुबनी)। स्वास्थ्य विभाग में मूलभूत सुविधाओं की कमी के कारण स्वास्थ्य कर्मियों की परेशानी बढ़ रही है। बेनीपट्टी अनुमंडल में संचालित प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र के कर्मियों तो दूर चिकित्सकों के रात्रि-विश्राम के लिए भी एक कमरा का निर्माण नहीं हुआ है। भवन के अभाव में स्वास्थ्य कर्मी मुख्यालय में किराये के मकान अथवा मधुबनी से आवाजाही करते है। जिसके कारण स्वास्थ्य विभाग की रोजमर्रा का कार्य प्रभावित हो रहा है। जबकि मुख्यालय के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में फिलहाल करीब एक दर्जन चिकित्सक प्रतिनियुक्त है। हैरत है कि चिकित्सा पदाधिकारी के लिए भी भवन का निर्माण वर्षों से अब तक नहीं कराया गया है। सूत्रों की माने तो भवन के अभाव के कारण अधिकांश चिकित्सक ओपीडी कर बेनीपट्टी से चले जाते है।फलस्वरुप विशेषज्ञ चिकित्सक की आवश्यकता होने पर पीएचसी में परेशानी हो जाती है। पीएचसी परिसर में स्वास्थ्य कर्मियों व चिकित्सकों के आवासीय भवन निर्माण की मांग कई बार स्वास्थ्य कर्मियों एवं रोगी कल्याण समिति के सदस्यों के द्वारा विभिन्न स्तरों पर उठाई जा चुकी है। बावजूद अब तक एक भी कर्मी के लिए भवन का निर्माण नहीं हो पाया है। अलबत्ता, इन वर्षों में पूर्व में निर्मित विभिन्न भवन जमींदोज होने के कगार पर पहुंच चुका है। स्थिति इतनी बद्तर है कि कभी-कभार चिकित्सक डाटा ऑपरेटर के कार्यालय में रात्रि-विश्राम करते देखे जा चुके है। गौरतलब है कि बेनीपट्टी में अनुमंडलीय अस्पताल के निर्माण की बात कई बार विभिन्न राजनीतिक दलों के द्वारा किये जाने के बाद भी अब तक अनुमंडलीय अस्पताल के निर्माण की पहल नहीं की जा सकी है। जबकि अनुमंडलीय अस्पताल के निर्माण की घोषणा कई बार की जा चुकी है। ऐसे में न तो अनुमंडल अस्पताल का निर्माण हो रहा है ओर न ही एकमात्र पीएचसी को संसाधन से लैस किया जा रहा है। जिसका खामियाजा कार्यरत चिकित्सक व पीएचसी पहुंचने वाले रोगियों को भुगतना पड़ रहा है। स्थानीय लोगों की माने तो प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में भवन निर्माण के लिए पर्याप्त भूमि उपलब्ध है। बावजूद विभाग भवन का निर्माण नहीं करा पा रही है। लोगो की माने तो पीएचसी से बेहतर सुविधा अतरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में होती है। इस संबंध में पूछे जाने पर प्रखंड चिकित्सा पदाधिकारी डा. रविन्द्र कुमार सिंह ने बताया कि संसाधन की कमी के संबंध में स्वास्थ्य विभाग को कई बार पत्राचार किया जा चुका है। संसाधन नहीं होने पर भी चिकित्सक अपने कार्य से पीछे नहीं हटते है।
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