बेनीपट्टी (मधुबनी)। बेनीपट्टी को अनुमंडल का दर्जा मिले, 35 वर्ष गुजर गये, परंतु जनप्रतिनिधियों के उपेक्षा के कारण अब तक बेनीपट्टी बाजार में मूलभूत सुविधाओं की घोर कमी है। सड़क के दोनों किनारों पर नाला का निर्माण का मसला हो या तीन किमी में फैले बाजार में सार्वजनिक शौचालय का मामला। हर मामले में जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा का शिकार होते रहा है, बेनीपट्टी बाजार। एक तरफ बेनीपट्टी मुख्यालय को नगर का दर्जा देने की सुगबुगाहट होते रहती है,वहीं बेनीपट्टी में अब तक अनुमंडल मुख्यालय का विकास कार्य नहीं हो पाया है। जिसके कारण बाजार के लोग जनप्रतिनिधियों से खासे नाराज रहते है। स्थिति इतनी खराब है कि बेनीपट्टी के सबसे महत्वपूर्ण लोहिया चौक पर हाईमास्ट लाईट तक नहीं लगाई गयी, जबकि उक्त लाईट की मांग को लेकर कई बार धरना-प्रदर्शन तक हो चुका है। नाला के अभाव में होटल व्यवसायी एवं स्थानीय लोग अपने घरों का गंदा पानी सड़कों पर बहाने को मजबूर है। जिसके कारण गाहे-बेगाहे दुर्घटना होती रहती है। तो वहीं स्थानीय प्रशासन के लापरवाही के कारण अतिक्रमण सुरसा की मूंह की तरह खड़ी है। जो स्टेट हाईवे को निगलने की तैयारी कर रहा है। बावजूद समस्या की ओर कोई भी अधिकारी अथवा जनप्रतिनिधि कार्रवाई तो दूर बोलने तक को तैयार नहीं है। बस पड़ाव का मामला अब लटका बेनीपट्टी में कई प्रयासों के बाद भी मुख्यालय में बस पड़ाव की समस्या आज भी यथावत की स्थिति में है। जबकि अनुमंडल मुख्यालय के अन्य प्रखंडों में बस पड़ाव की समस्या वर्षों पूर्व खत्म हो चुकी है। बेनीपट्टी के संसारी चौक पर बस पड़ाव बनाने की फाईल को लेकर अब तक दो भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी एवं तीन बिहार प्रशासनिक सेवा के अधिकारी भाग-दौड़ कर चुके है,परंतु अब तक सफलता हासिल नहीं हो पायी है। अब भी बेनीपट्टी के स्टेट हाईवे पर बेनीपट्टी का अस्थाई बस पड़ाव बना हुआ है। जो अपने आप में विडंबना है। गौरतलब है कि बेनीपट्टी अनुमंडल पड़ोसी मुल्क नेपाल के सीमा से जुड़ा हुआ है। यहां से रोजाना बिहार के कई प्रांत सहित बॉर्डर एरिया के लिए बसें निकलती है। बावजूद बस पड़ाव का फाईल सरकारी कार्यालयों में धुल फांक रहा है। गैस एजेंसी की सुविधा के लिए टकटकी अनुमंडल मुख्यालय के इर्द-गीर्द विभिन्न कंपनियों के गैस एजेंसी संचालित हो रही है, लेकिन बेनीपट्टी मुख्यालय का दुभार्ग्य है कि अब तक बेनीपट्टी में किसी भी कंपनी का गैस एजेंसी नहीं हो पायी है। जिसके कारण मुख्यालय के करीब पांस से सात हजार उपभोक्ताओं को मधुबनी की दौड़ लगानी पड़ रही है, अथवा उंचे दामों पर गैस सिलिंडर की खरीदारी करनी पड़ रही है। सनद रहे कि मधुबनी के एक एजेंसी के द्वारा पूर्व के वर्षों में शिविर लगाकर उपभोक्ताओं को गैस सिलिंडर मुहैया कराई जाती थी, परंतु करीब चार से पांच वर्ष से उक्त शिविर नहीं लग पायी। स्टेट हाईवे के किनारे नहीं बना नाला स्टेट हाईवे-52 के किनारे बसे बेनीपट्टी मुख्यालय में अब तक नाला का निर्माण नहीं हो पाया। जिसके कारण बाजार में होटल का व्यवसाय कर रहे अथवा स्थानीय लोग बाजार में ही अपने घरों का गंदा पानी बहाने के लिए मजबूर है। स्थिति इतनी खराब होती है कि रातों को सड़कों पर पता नहीं चलता है कि बारिश हुई है, अथवा गंदा पानी का बहाव हुआ है। गंदा पानी में चिकनाईयुक्त पदार्थ होने के कारण अक्सर बाईक सवार गिरते देखे जाते है। स्थानीय लोगों ने बताया कि अनुमंडल कार्यालय के समीप से नाला का निर्माण कराने की योजना करीब तीन वर्ष पूर्व प्रारंभ की गयी थी। सूत्रों की माने तो उक्त योजना बाजार के अतिक्रमण के समस्या के कारण सफल नहीं हो पाया। सूबे के पीएचईडी मंत्री बिनोद नारायण झा ने अपने विधायक अवधि में नाला का निर्माण कराने का प्रयास किया था। सुरसा मूंह बाये खड़ा है सडकों का अतिक्रमण प्रशासनिक उपेक्षा के कारण बेनीपट्टी बाजार का सड़क अतिक्रमित होता जा रहा है। धीरे-धीरे अतिक्रमण का जाल फैलता ही जा रहा है। बावजूद अधिकारी अपने एक्शन पर नहीं आ रहे है। स्थिति इतनी खराब है कि सप्ताह के दो दिन बुद्ध व शनिवार को बेहटा हाट के उस पार जाना युद्ध जीतने के जैसा उत्साह पैदा कर देता है। सड़क पर ही फल व्यवासायी के द्वारा ठेला लगा दिया जाता है तो अतिक्रमणकारियों के मनोबल की बात करें तो बेनीपट्टी थाना के सामने रेडिमेड दुकानदार सड़कों पर ही दुकान फैला देते है। अंचलाधिकारी के डांट-फटकार के बाद भी पूराने यात्री शेड, रजिस्ट्री ऑफिस, उपडाकघर सहित कई जगहों पर अतिक्रमणकारियों का बोलबाला है। तीन किमी के बाजार में एक भी शौचालय नहीं जी हां, सुनकर थोड़ा अजीब लगेगा, लेकिन ये सौ फीसदी सच है। स्वच्छता के प्रति भले ही सरकार व प्रशासनिक अधिकारी अभियान चलाये जाने की बात करते हो, लेकिन तीन किमी में फैले बेनीपट्टी बाजार में एक भी शौचालय अथवा मूत्रालय की व्यवस्था नहीं है। जिसके कारण आये दिन लोगों को समस्या होती है। खासकर एक वर्ग के लोगों का तो समस्याओं का अंत ही नहीं है। वर्षों पूर्व थाना के समीप निर्मित शौचालय के जर्जरता एक अनुपयुक्त होने के कारण जमींदोज कर दिया गया। घोषणा हुई की लाखों की लागत से अत्याधुनिक शौचालय का निर्माण होगा, लेकिन अभी तक घोषणा को अमलीजामा नहीं पहनाया गया। लोगों ने कहा, समस्याओं का कब होगा निदान समाजसेवी विजय कुमार झा :- मुख्यालय की समस्याओं के प्रति न तो अधिकारी गंभीर है, न ही कोई जनप्रतिनिधि, जिसका खामियाजा लोगों को भुगतना पड़ रहा है। विकास के नाम पर बाजार का कोई विकास नहीं किया जा रहा है। पान दुकानदार, जीतेन्द्र झाः- दिन भर बेनीपट्टी में व्यवसाय करते है। लेकिन बाजार में मूलभूत सुविधाओं के कमी के कारण बहुत समस्या होती है। खासकर शौचालय के समस्या के कारण अधिक लोग परेशान है। सभी समस्याओं पर ध्यान दे रही प्रशासन बेनीपट्टी बाजार के मूलभूत समस्याओं पर ध्यान आकृष्ठ कराने पर एसडीएम मुकेश रंजन ने बताया कि बाजार की सभी समस्याओं पर प्रशासन ध्यान दे रही है। सभी समस्याओं का निराकरण कर लिया जाएगा। अतिक्रमण पर कार्रवाई के निर्देश दिये गये है। बाजार में शौचालय का भी निर्माण कराया जाएगा।