बेनीपट्टी(मधुबनी)। कन्हैया मिश्रा : दहेज में नाव दो ,फिर होगी शादी, जी हां ये खबर सौ फीसदी सच है।अभी तक आपने वर पक्ष की ओर से दहेज में कार, लाखों की राशि अथवा कोई मंहगी सामान की मांग करते हुए सुना व देखा होगा,परंतु बेनीपट्टी प्रखंड के करहारा गांव के लोग दहेज में अजीबो-गरीब सामान दहेज स्वरुप मांग करते है।करहारा गांव के लोग दहेज में नाव की मांग करते है।नाव की मांग पुरा नहीं करने पर आज भी उक्त गांव में किसी लड़की शादी नहीं होती है।दरअसल गांव वालों की अंतहीन पीड़ा के कारण नाव की मांग की जाती है।सरकार के विकास के दावें कितने वर्षो से होते रहे है, लेकिन उक्त करहारा गांव में विकास की एक बूंद भी नसीब नहीं हुई।करहारा गांव चारों ओर से धौंस नदी से घिरा हुआ है।जिसके कारण गांव के सैंकड़ों लोगों को वर्ष के छः माह पानी हेलकर अथवा चचरी होकर आवाजाही करने की समस्या बनी रहती है।ऐसे में नाव ही एकमात्र उक्त गांव का सहारा बना हुआ है।गांव के लोगों की आर्थिक स्थिति बेहतर नहीं होने के कारण लोगों को दहेज में भी नाव मिलने की उम्मीदें जगती है।जिसका वे लोग उक्त समय पर उपयोग कर गांव से आवाजाही करने के लिए नाव की मांग करते है।बतातें चलें कि उक्त गांव में आवाजाही करने के लिए कोई भी साधन आज के युग में नहीं होने से जहां विकास की बात बेमानी लगती है, जबकि आज के आधुनिक युग में हवाईजहाज की यात्रा करना अब महत्वपूर्ण नहीं रह गया है। पंचायत के पूर्व मुखिया भोगेंद्र मंडल ने समाचार संकलन के दौरान बताया कि धौंस नदी पर पुल निर्माण के लिए उनके द्वारा कई बार प्रयास किया गया।बिहार के शायद किसी भी पंचायत की दुर्दशा ऐसी नहीं होगी, जैसी इस पंचायत की है।गांव में आने-जाने का पथ का निर्माण कराया जाता है, लेकिन बाढग्रस्त पंचायत होने के कारण पथ टूट जाती है।ऐसे में ग्रामीणों को दोहरी मार लगती है।उक्त गांव के लोगां के परेशानी का आलम ये है कि गांव में कोई बीमार होता है तो आज भी खाट पर लादकर मरीजों को इलाज के लिए लाया जाता है।गांव के लोगां ने नदी पर पुल के निर्माण के लिए कई बार आन्दोलन भी किया,परंतु परिणाम शुन्य ही रहा।


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