बेनीपट्टी (मधुबनी)। प्रखंड मुख्यालय के डिहुलीशेर में मूलभूत सुविधाओं की घोर किल्लत बनी हुई है। महादलित वर्ग के लोगों को मुख्यधारा में लाने के कई योजनाएं संचालन होने के बाद भी इस मुहल्लें का समुचित विकास अब तक नहीं हो पाया है। मुहल्लें में एक आंगनबाड़ी केन्द्र व एक सरकारी स्कूल का संचालन होने के बाद भी मुहल्लें के बच्चें शिक्षा की मुहिम से जुड़ नहीं पा रहे है। अतिपिछड़ा वर्ग के कुछ परिवार के छोड़ दे तो अधिकांश सरकारी योजनाएं के लिए ही स्कूल आवाजाही कर रहे है। वहीं मुहल्लें में लोगों को शुद्ध पेयजल के लिए अभी भी टकटकी लगी हुई है। सामूहिक रुप से अधिष्ठापित चापाकल से पानी लेकर यहां के लोग भोजन करते है। जबकि सरकार हर घर नल का जल योजना का ढिंढोरा पीट रही है। मुहल्लें के लोग अधिकतर मजदूरी कर जीवन-यापन करते है। स्थानीय लोगों की माने तो मुख्यालय में होने के बावजूद अधिकारी इस मुहल्लें की ओर अब तक रुख नहीं किए है। जिसके कारण चंहुओर मनमानी की जा रही है। जानकारी दें कि बेनीपट्टी पंचायत को इस मुहल्लें से तीन बार मुखिया मिला है। वर्तमान त्रिस्तरीय चुनाव में भी स्थानीय सह पूर्व मुखिया गनौर सदाय की पत्नी विमल देवी बेनीपट्टी पंचायत के मुखिया की कुर्सी पर काबिज है। बावजूद मुहल्लें का समुचित विकास से कोसों दूर समझ से परे है। गौरतलब है कि इस मुहल्लें में आवाजाही के लिए पथ का नामोनिशान तक नहीं था, परंतु कुछ वर्ष पूर्व सीएम ग्राम संपर्क योजना के तहत मुहल्लें को मुख्य सड़क से जोड़ने का कार्य किया गया। सड़क निर्माण में हुई कथित अनियमितता के कारण उक्त मुहल्लें को जोड़ने वाली पथ भी निर्माण के कुछ ही वर्षों में जर्जर हो गया है। बता दें कि प्रखंड के पश्चिमी क्षेत्र में बाढ़ के पानी का दवाब बढ़ने पर इस मुहल्लें में भी बाढ़ का पानी करीब हर बाढ़ में आ जाता है। मुहल्लें से आवाजाही की समस्या उत्पन्न हो जाती है। गत बाढ़ में भी मुहल्लें के लोग करीब तीन से चार दिनों तक पानी के बीच घिरे हुए थे। स्थानीय लोगों ने बताया कि मुहल्लें में अशिक्षा के कारण सबसे अधिक समस्या होती है। सरकारी योजनाओं की सतत निगरानी कर धरातल पर उतारा जाएं, तो संभवत : विकास की रेलगाड़ी पटरी पर सही ढंग से दौड़ पाएगी।


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