बेनीपट्टी(मधुबनी)। एक सप्ताह से चल रही शीतलहर से आलू फसल को पाला पड़ने का खतरा उत्पन्न हो गया है. किसान चिंता में पड़ गये हैं. इस आशंका से आलू की कीमत भी बढ़ने लगी है. पाला से आलू प्रभावित नहीं हो इसलिए प्रतिदिन पाला रोधक दवा से आलू के पौधों का स्प्रे किया जा रहा है.आलू की खेती महंगा और अधिक श्रम वाला खेती होता है. किसान राजेश कुमार कहते हैं कि पहले पाला से आलू को बचाने के लिये खेत की मेड़ पर घास फूस जलाया जाता था. अब दवाई के छिड़काव के कारण खरपतवार नष्ट हो जाते हैं. इसलिए पाला से बचाने के लिये भी दवाई पर ही निर्भर रहना पड़ता है. किसानों ने कहा कि धूप निकलने से कोहरा बढ़ने और पाला गिरना निश्चित है. किसानों ने कहा कि अगर दो से तीन दिन भी पाला गिरा तो आलू बुरी तरह प्रभावित हो जायेगा.
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किसानों ने बताया कि डेढ़ से दो हजार रुपये प्रति क्विंटल की दर से बीज खरीद कर आलू खेतों में लगाया गया. एक बीघा खेत में छह से सात क्विंटल बीज लगता है. बीज का कीमत, फिर रोपनी के वक्त और मिट्टी चढ़ाने के समय रासायनिक खाद व गोबर खाद दिया जाता है. दो तीन बार पटवन भी किया जाता है. इतने खर्च करने के बावजूद भी दस से 15 मन का कटठा आलू का उत्पादन नहीं हो सका तो निश्चित ही आलू घाटे की खेती साबित होकर रह जायेगा. पिछले पांच छह दिनों से बढ़ते कुहासे को लेकर प्रखंड के आलू के किसान काफी चिंतित दिख रहे है. प्रखंड के पश्चिमी क्षेत्र में अधिक मात्रा में आलू की खेती की जाती है. लेकिन ठंड के साथ साथ पाला गिरने से आलू किसान चिंतित दिख रहे है. वहीं किसानों के द्वारा पाला से बचाव के लिए प्रत्येक सप्ताह स्प्रे कर आलू का बचाव करते है.
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