बेनीपट्टी अनुमंडल क्षेत्र में स्वच्छ भारत मिशन के नाम पर कथित मकान सर्वे, जनगणना, शौचालय सर्वे, स्वच्छता अभियान जागरूकता का नाम लेकर ग्रामीण इलाकों में प्रति घर ₹30 की वसूली मामले में BNN न्यूज़ के खुलासे के बाद वसूली करने वाले गैंग के सभी सदस्य रफूचक्कर हो गए हैं। वहीं इस खुलासे के बाद जिन अधिकारियों को सामने आकर मीडिया के सवालों का जवाब देना चाहिए वह चुप्पी साधे हुए हैं।

प्रखंड विकास पदाधिकारी मनोज कुमार व प्रखंड कार्यालय के बड़ा बाबू कैलाश कुमार अनुमंडल कार्यालय से लेटर प्राप्त होने का हवाला देकर खुद का बचाव कर रहे हैं। वहीं इस पर बेनीपट्टी अनुमंडल पदाधिकारी अशोक कुमार मंडल का पक्ष जानने की कोशिस हमारी टीम ने कई बार की, लेकिन वह कुछ भी बोलने से बच रहे हैं।

इधर जो वसूली गैंग के सदस्य गांव-गांव जाकर प्रखंड विकास पदाधिकारी मनोज कुमार के द्वारा निर्गत पत्र को दिखाकार शान से 22 जनवरी से लेकर कल 19 फरवरी तक वसूली के काम में लगे हुए थे, वे सभी BNN न्यूज़ के खुलासे के बाद  गायब हो चुके हैं। आज 20 फरवरी की सुबह BNN न्यूज़ के खुलासे के बाद किसी भी गांव में ₹30 वसूली की खबर सामने नहीं आई है। और जब वसूली करने वाले कथित कर्मियों के मोबाइल नंबर पर ग्रामीण संपर्क साधने की कोशिस कर रहे हैं तो कोई कह रहा है कि वह पटना में है तो कोई फोन नहीं उठा रहा है। वहीं कितनों के मोबाइल नंबर बंद बताये जा रहे हैं।

शुक्रवार की सुबह जैसे ही BNN न्यूज़ ने वसूली को लेकर खुलासा किया, अनुमंडल क्षेत्र के गांव-पंचायतों के प्रतिनिधियों के कान खड़े हो गये। बीडीओ मनोज कुमार के द्वारा निर्गत पत्र के आलोक में जो पंचायत प्रतिनिधि मुखिया, पंचायत समिति सदस्य, वार्ड सदस्य, सरपंच, व पंचायत सचिव स्वैच्छिक वसूली करने वाले लोगों की मदद कर रहे थे, सभी की जिज्ञासा बढ़ी कि आखिरकार मामले की सच्चाई क्या है। गांव पंचायत के जिन लोगों ने पंचायत के मुखिया, पंचायत समिति सदस्य, वार्ड सदस्य, सरपंच, व पंचायत सचिव के विश्वास पर ₹30 दे दिए सभी ने अपने पंचायत प्रतिनिधियों से सवाल करना शुरू किया तो किसी के पास ठोस जवाब नहीं था।

इसी कड़ी में हमारी टीम में मामले के खुलासे में अपने तथ्यों को मजबूत करने के लिए गंगुली पंचायत के मुखिया पति व पैक्स अध्यक्ष प्रेम शंकर राय से संपर्क किया और मामले को लेकर जानकारी लेनी चाही। उन्होंने वसूली करने वाले युवक वीर बहादुर राम को फोन लगाया जो उनके पंचायत में बीडीओ के नाम से निर्गत लेटर लेकर वसूली कर रहा था। कल तक वसूली करने वाले उस युवक ने मुखिया पति व पैक्स अध्यक्ष प्रेम शंकर राय को बताया कि वह बीडीओ मनोज कुमार के साथ बैठक में है, इसीलिए आज वह नहीं आएगा। जबकि युवक ने झूठ बोला था, उस समय बीडीओ मनोज कुमार मैट्रिक परीक्षा केंद्र पर थे ऐसी हमें जानकारी मिली। इस बातचीत के आधार पर भी इस बात की पुष्टि होती हुई नजर आई कि मामले में प्रशासन की लापरवाही के कारण बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा हुआ है।

दूसरी तरफ गौर करने वाली बात यही भी है कि आयुक्त कार्यालय दरभंगा प्रमंडल के जिस पत्रांक - 166, दिनांक 09.01.2021 के पत्र को आधार मानकर बेनीपट्टी अनुमंडल कार्यालय से प्रखंड कार्यालय को पत्र जारी किया गया, फर्जी पत्र होने के बावजूद भी उसमें यह लिखा हुआ है कि जनजागरूकता फैलाने हेतु प्रत्येक मकानों में स्लोगन की बनी नंबर प्लेट, जिसका मूल्य ₹40 रुपया है, मकान मालिक की स्वेच्छा से लगाया जाना है। इसमें यह कहीं नहीं लिखा हुआ है कि लोगों से प्लेट लगाने के बदले में नंबर प्लेट जिसका मूल्य ₹40 रुपया है वह ₹40 रुपया मकान मालिक से लिया जाना है।  



मतलब यह हुआ कि शंभू प्रसाद जायसवाल, ग्राम + पोस्ट - भभुआ, जिला - कैमूर, वह लोगों को जागरूक करने के लिए 40 रुपये की कीमत वाली प्लेट को मकानों पर लगाना चाहते हैं, वह भी गृहस्वामी के स्वेच्छा से। फर्जी लेटर होने के बावजूद भी इसमें यह कहीं नहीं लिखा हुआ है कि प्लेट लगाए जाने के बदले में आम जनता से 40 रुपया लिया जाना है। बल्कि पत्र में प्लेट की कथित लागत मूल्य को दर्शाया गया है।

जबकि बेनीपट्टी प्रखंड कार्यालय से जो पत्र सभी पंचायत के मुखिया, पंचायत समिति सदस्य, वार्ड सदस्य, सरपंच, व पंचायत सचिव को अमल में लाने के लिए जारी किया गया है, उसमें प्लेट की कीमत 40 की जगह 30 कर दिया गया है। और आयुक्त कार्यालय दरभंगा प्रमंडल के नाम से निर्गत फर्जी लेटर में अंकित निर्देशों से हटकर बेनीपट्टी प्रखंड कार्यालय से जारी पत्र में यह बताया गया है कि जनजागरूकता फैलाने हेतु प्रत्येक मकानों में स्लोगन की बनी नंबर प्लेट लगाने के लिए यह 30 रुपया लेते हैं, जो कि मकान मालिक के स्वेच्छा से लगाया जाना है। जबकि कई जगहों पर खासकर वार्ड सदस्य अपने वार्डों में यह कहते हुए नजर आये हैं कि नंबर प्लेट लगवा लो.. बीडीओ साहब का पत्र है, नहीं लगवाओगे तो कोई सरकारी फायदा नहीं मिलेगा।

 

ऐसे में जब साफ़ प्रतीत हो रहा है कि मामला शक के घेरे में हैं, तो प्रशासनिक पदाधिकारियों को इस मामले पर चुप्पी तोड़नी चाहिए। और जवाब देना चाहिये कि आखिरकार....

1. जब कमिश्नर के सचिव दुर्गानंद झा ने मीडिया को यह स्पष्ट रूप से यह जानकारी दी है कि इस तरह का कोई पत्र आयुक्त कार्यालय दरभंगा प्रमंडल के पत्रांक - 166, दिनांक 09.01.2021 उनके जानकारी और उनके हस्ताक्षर के साथ जारी नहीं हुआ है। और जो पत्र जारी है वह फर्जी है, अनुमंडल पदाधिकारी इस पर रोक लगाए। ऐसे में अनुमंडल प्रशासन अब भी चुप्पी क्यों साधी हुई है ?

2. बेनीपट्टी अनुमंडल की जनता के साथ जो धोखाधड़ी हुई है, 28 दिनों में जो लाखों की वसूली हुई है उसकी जिम्मेदारी कौन लेगा, क्या जनता के पैसे वापस होंगे ?

3. पंचायत चुनाव के समय में बेनीपट्टी बीडीओ द्वारा पंचायत के तमाम प्रतिनिधियों के नाम कथित ' 30 रूपये वसूली गैंग' को सहयोग करने का पत्र जारी करना, और खुलासे में पता चलना कि यह फर्जीवाड़ा वसूली था। ऐसे में पंचायत की राजनीति करने वाले प्रतिनिधियों के दामन पर वसूली में प्रत्यक्ष/अप्रत्यक्ष शामिल होने का दाग लगना, वसूली करवाने का जैसे आरोपों का लगना.. इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा ? क्या इस साजिश का शिकार हुए पंचायत प्रतिनिधि मुखिया, पंचायत समिति सदस्य, वार्ड सदस्य, सरपंच, व पंचायत सचिव चुप बैठेंगे ?

4. अगर स्वैच्छिक सर्वे वसूली सही है तो यह सर्वे जो कि 22 जनवरी से शुरू हुआ और 19 फरवरी तक चला, 20 फरवरी को  BNN के खुलासे के बाद बाद अचानक सर्वे बंद क्यों हो गया ? सर्वे करने वाले कहां लापता हो गये ? प्रशासन के पास सूची तो होगी सर्वे करने वालों की, क्योंकि प्रशासन ने व्यक्ति के नामों से पत्र निर्गत किया था

5. अगर प्रशासन यह कहकर खुद का बचाव करना चाहे कि अनुमंडल कार्यालय के मेल एड्रेस पर मेल आया और उसे अमल में लाया गया, भूलवश मेल का वेरिफिकेशन नहीं हो सका जिसकी वजह से कथित स्वैच्छिक वसूली बढ़ती चली गई। ऐसे में प्रशासन से हमारा सवाल है कि अगर प्रशासन ने आयुक्त कार्यालय दरभंगा प्रमंडल के पत्रांक - 166, दिनांक 09.01.2021 के फर्जी निर्देश पत्र को सही मानकर अक्षरशः पालन किया तो आयुक्त कार्यालय दरभंगा प्रमंडल से जारी फर्जी पत्र में प्लेट की कीमत 40 रुपया दर्शाया गया है, उसको बदलकर कीमत 40 रूपये की जगह 30 रूपये क्यों किया गया ? और यह किसनें किया ? किसके कहने पर किया ?

BNN न्यूज़ व जनता के इन तमाम सवालों व स्वैच्छिक वसूली से जुड़े राज से पर्दा अनुमंडल पदाधिकारी, अनुमंडल के सम्बंधित कर्मी, प्रखंड विकास पदाधिकारी, प्रखंड के सम्बंधित कर्मी ही उठा पाएंगे। क्योंकि भले आधुनिकता चरम पर हो, बावजूद भी लेटर ना तो खुद से टाइप होता है, ना ही ऑटोमेटिक लेटर पर 40 रूपये के बदले में 30 रुपया अंकित हो जाता है और ना ही ऑटोमेटिक लेटर पर अधिकारियों के हस्ताक्षर हो जाते हैं।

हमें प्रशासन से इन सवालों के जवाब का इंतज़ार रहेगा


फिलहाल नीचे यह वीडियो देखिये... बेनीपट्टी प्रखंड के बर्री पंचायत का यह वीडियो तक़रीबन 3 से 4 दिन पुराना है। जिसमें वसूली का विरोध हुआ तो पैसे वापस किये जा रहे हैं। इस वसूली में वार्ड संख्या - 8 के वार्ड सदस्य मदद करते हुए नजर आ रहे। और जब वार्ड सदस्य को दिखा की वीडियो बनाया जा रहा है तो वह कैसे बमक गये

हमारा सवाल यहां भी है... अगर स्वैच्छिक वसूली सही है... बीडीओ साहब का लेटर सही है तो बर्री पंचायत के वार्ड संख्या - 8 के वार्ड सदस्य मोबाइल का कैमरा देखकर क्यों डर गये ? अगर सब कुछ सही है तो वार्ड सदस्य को नहीं डरना चाहिए था, क्योंकि पंचायत प्रतिनिधियों को इस स्वैच्छिक सर्वे वसूली में मदद करने का पत्र बीडीओ मनोज कुमार ने स्वयं जारी किया हुआ है



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