बेनीपट्टी(मधुबनी)। अस्सी के दशक में किसानों के लिए वरदान थुमहानी नदी विभागीय अनदेखी के कारण अस्तित्व को खो रहा है। अधवारा समूह के इस नदी से क्षेत्र के हजारों किसान नदी के किनारे हरी सब्जी के साथ तरबूज व खीरे की बहुतायत खेती कर अपना आर्थिक विपन्नता को चुनौती दे रहे थे। किसानों की माली स्थिति नदी के कारण बदल गयी थी। उक्त अस्सी दशक के बाद अचानक ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गयी कि नदियों की उड़ाही तो दूर नदी को एक मायनो में भुला ही दिया गया। फलस्वरूप, नदी धीरे-धीरे नाले में परिणत होने लग गयी। नदी के अस्तित्व खत्म होने पर इस क्षेत्र के अधिकांश सब्जी उत्पादक किसान खेती के मूल सिद्धांत को त्याग कर धान व गेंहू की खेती की ओर रुख कर लिया। वही दर्जनों किसान खेती को छोड़कर दूसरे प्रदेश पलायन कर गए। आज स्थिति है कोरिया टोल के अधिकांश घरों के कमाऊ लोग घर से बाहर रह आजीविका चलाने के लिए मजबूर हो गए। स्थानीय किसान भुवनेश्वर महतो, ललित महतो, जग्गनाथ महतो, अजय ठाकुर, रामगुलाम महतो सहित कई किसानों ने बताया कि नदी का जब स्वर्णिम काल था, तब पटवन की समस्या नहीं थी। उक्त समय हर खेत में सब्जी के साथ धान व रबी फसल का उत्पादन उत्साहवर्धक था। अस्सी दशक के बाद जहां लोगों ने नदी के किनारे का अतिक्रमण करना शुरु कर दिया। वहीं नदी का उड़ाही नहीं होने के कारण नदी नाले के रुप में तब्दील होने लगी। स्थिति ये है कि आज दूर से नदी के पेट को देख कह नहीं सकता है कि उक्त भाग थुम्हानी नदी का अंदरुनी भाग है। गौरतलब है कि अधवारा समूह की थुम्हानी नदी नेपाल के सीधे पहाड़ियों से निकल कर मधुबनी के विभिन्न जगहों से गुजरती है। थुम्हानी नदी क्षेत्र के हमेशा वरदान साबित होती रही है। नदी खनुआ टोल से गुजरते हुए सीधे उच्चैठ तक पहुंचती है। किसानों ने बताया कि नदी की उड़ाही हो तो क्षेत्र पुनः हरियाली से भर जाएगी।


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