बेनीपट्टी(मधुबनी)। प्रखंड के बसैठ गांव की जनता को
पीएचईडी विभाग द्वारा संचालित पेयजलापूर्ति योजना निर्माण और उद्घाटन के महीनों बाद
भी एक बूंद जल नसीब नही हुआ है। वहां के आमजन आज भी केवल आस ही लगाये है कि अब नल का
शुद्ध जल मिलेगा। अब शुद्ध जल के लिये दर दर भटकना नही पड़ेगा। पीएचईडी विभाग का यह
योजना बसैठ, शिवनगर, बेनीपट्टी और अड़ेर सहित अन्य गांवों में महज हाथी का सफेद दांत
साबित होता दिख रहा है। विभिन्न गांवों की तरह बसैठ में भी उक्त योजना को उदघाटन के
बाद भगवान भरोसे छोड़ दिया गया है। करोड़ों की लागत से निर्मित इस योजना से आज तक बसैठ
पंचायत के आमजनों को एक बुंद जल नही मिला। कहा जाये तो यह योजना खानापूर्ति और उदघाटन
एवं शिलान्यास की भेट चढ़ चुका है। प्राप्त जानकारी के अनुसार बसैठ गांव में लोक स्वास्थ्य
अभियंत्रण विभाग द्वारा एक करोड़ 83 लाख की लागत से जलमीनार व पाइप लाईन तथा एक करोड़
50 लाख की लागत से ग्रामीण नल जल का निर्माण कराया गया। जिसके तहत पंचायत के वार्ड
6, 7, 8, 10, 11 और 12 में हर घर को कनेक्शन देकर नल का शुद्ध जल मुहैया कराना था।
11 अगस्त को पूर्व पीएचईडी मंत्री सह विधायक सहित अन्य अतिथियों द्वारा
योजना का उदघाटन किया गया था। उस दिन तो जल कुछ लोगों को नसीब हुआ, मगर उसके बाद आज
तक किसी घर को एक बुंद जल नही मिला। यू कहें तो इस योजना को उदघाटन के बाद भगवान भरोसे
छोड़ दिया गया। अब सवाल है कि बसैठ, शिवनगर सहित अन्य गांवों में करोड़ों की लागत से
उक्त योजना का निर्माण और उदघाटन कराया जाता है, मगर उसके बाद यह योजना धरातल पर क्यों
नही उतर पाती है। जब जनता को एक बुंद जल नसीब नही होता है तो करोड़ों रूपए खर्च कर इस
योजना का निर्माण आखिर क्यों किया जाता है। बसैठ पंचायत के लोगों ने बताया कि योजना
के उदघाटन के दौरान आशा जगी थी कि अब शुद्ध जल मिलेगा। मगर उसके बाद तो यह योजना ऊपर
वाले के भरोसे छोड़ दिया गया। इस पंचायत के लोगों को आज तक एक बुंद जल नसीब नही हुआ