बेनीपट्टी(मधुबनी)। शिक्षा के स्तर को बढ़ाने व गुणवत्तापूर्व शिक्षा के भले ही विभाग कितना भी दावा कर लें, लेकिन बेनीपट्टी प्रखंड के सुदूर ग्रामीण इलाकों में गुणवत्तापूर्व शिक्षा देने के लिए जब शिक्षक ही अनुपस्थित हो, तो शिक्षा के स्तर का अंदाजा लगाना सहज हो जाता है। शनिवार को प्रखंड के परसौना पंचायत के सुदूर व अल्पसंख्यक मुहल्ला मधवापट्टी स्थित प्राथमिक उर्दू विद्यालय का जायजा लिया। स्कूल में पहुंचने पर स्कूल में न तो बच्चों को पढ़ने की आवाज आ रही थी। न ही कोई शिक्षक स्कूल परिसर से बाहर नजर आए। अलबत्ता, स्कूल की रसोईयां बाहर में बैठ कर एमडीएम योजना के तहत चावल पकाने की तैयारी कर रही थी। इसी बीच स्कूल के एक वर्ग में पहुंचा तो वहां प्रभारी एचएम कुल आठ छात्रों के साथ बैठकर स्कूल की उपस्थिति पंजी का दुरुस्त करने में मशगूल दिखाई दिए। इधर वर्ग में पहुंचने पर हड़बड़ाए प्रभारी एचएम ने स्कूल में शिक्षक की अनुपस्थिति की बात कह इधर-उधर की बातें करने लगे। जानकारी दे कि उक्त स्कूल में उक्त समय करीब महज आठ ही छात्र उपस्थित थे। जबकि स्कूल में कुल 71 छात्र व छात्राएं नामांकित है। शिक्षकों के संबंध में पूछे जाने पर बताया कि दो शिक्षक अवकाश में है। वहीं एक अन्य शिक्षिका भी बिना आवेदन स्वीकृत कराए गायब पायी गई। जायजा के क्रम में वर्ग पांचवी में पढ़ रही एक छात्रा से चंद सवाल किए तो छात्रा कभी उपर तो कभी शिक्षक की ओर देख रही थी। छात्रा ने न तो बिहार के सीएम का नाम बता पायी, न ही पंद्रह का पहाड़ा ही पढ़ पायी। वहीं दूसरी छात्रा ने तो मामूली अंग्रेजी के सवालों का जवाब नहीं दे पायी। वहीं शिक्षकों की मनमानी स्कूल में इस कदर दिखाई पड़ी, कि स्कूल के सभी शौचालय में ताला लटका हुआ था। जबकि स्कूल का सारा शौचालय दुरुस्त पाया गया। स्कूल में अधिकांश ग्रामीण शिक्षक के होने के कारण ग्रामीण भी स्कूल के संबंध में कुछ भी बताने से परहेज करते दिखाई दिए। इस संबंध में पूछे जाने पर प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी मीना कुमारी ने बताया कि जल्द ही सुदूर ग्रामीण इलाकों के स्कूलों का औचक निरीक्षण किया जाएगा। गड़बड़ी पाए जाने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। शिक्षा व्यवस्था में कोताही सहन नहीं की जाएगी।


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