बेनीपट्टी (मधुबनी)। शिक्षा विभाग के बेरुखी के कारण बाणेश्वर स्थान का सुदामा जलेश्वर प्लस टू उच्च विद्यालय बदहाली के कगार पर पहुंच चुका है। माध्यमिक शिक्षा के लिए कमरों का अभाव , शिक्षकों की किल्लत, विषयवार शिक्षक की कमी का दंश झेल रहा प्लस टू विद्यालय विभाग की लापरवाही के कारण संघर्ष कर रहा है। सुदूर ग्रामीण इलाकों में उच्च शिक्षा के लिए सरकार के द्वारा प्लस टू का दर्जा प्राप्त विद्यालय में प्लस टू की पढ़ाई के लिए महज दो शिक्षक ही उपलब्ध कराये गये। परंतु प्लस टू में एक भी नामांकन नहीं होने के कारण प्लस टू की पढ़ाई अभी भी अधर में लटका हुआ है। वहीं माध्यमिक की पढ़ाई के लिए एक ओर जहां वर्ग की घोर कमी है,वहीं संसाधन होने के बाद भी स्कूल में विषयवार शिक्षक नहीं है। जिसके कारण छात्र उक्त स्कूल से दूसरे स्कूल का रुख करने का विवश है। स्कूल में विभाग की ओर से लाखों रुपये के करीब एक दर्जन कम्प्यूटर एवं जेनरेटर की व्यवस्था कर दी गयी, परंतु विडंबना है कि स्कूल के छात्रों को प्रशिक्षण देने के लिए कम्प्यूटर शिक्षक की बहाली नहीं की जा सकी। स्थिति आज ये है कि लाखों का कम्प्यूटर स्कूल के एक कमरों में बंद धूल फांक रहा है। कम्प्यूटर का साफ-सफाई तक नहीं हो रही है। वहीं स्कूल के पास उपलब्ध जिम का सामान जंग खाने के लिए मजबूर है।  
     रंग-रोगन के अभाव में खंडहर बन रहा प्लस टू का भवन
महाभारत सर्किट से जुड़े बाणेश्वर नाथ मंदिर परिसर के मुहाने पर निर्मित सुदामा जलेश्वर उच्च विद्यालय प्लस टू का भवन रखरखाव एवं रंग-रोगन के अभाव में खंडहर बनता जा रहा है। जिसका परवाह न तो किसी जनप्रतिनिधि को है, न ही स्कूल प्रशासन को। आया राम-गया राम की तरह स्कूल प्रशासन रोजाना स्कूल में हाजिरी बनाकर छात्रों को पढ़ा कर चले जाते है। जानकारी के अनुसार स्कूल के जीर्णोद्वार एवं अन्य विकास कार्यों के लिए विकास मद में लाखों रुपये पड़े हुए है। बावजूद स्कूल की रंगाई-पुताई नहीं कराई जा रही है। प्लस टू के भवन निर्माण काल में हुई अनियमितता के कारण प्लस टू का भवन निर्माण के कुछ ही वर्षों के बाद टूटना प्रारंभ हो गया है। स्थिति इतनी खराब है कि कई कमरों का फर्स पूर्णरुप से टूट गया है तो छत का प्लास्टर गिरना प्रारंभ हो गया है।
           प्लस टू के मात्र पांच कमरों का है उच्च विद्यालय
अपने स्वर्णिम इतिहास को संजाये बाणेश्वर स्थान का ये उच्च विद्यालय विभागीय लापरवाही का खुलेआम दंश झेल रहा है। विडंबना है कि स्कूल के पास प्लस टू का पांच कमरा है। जिसके बदौलत माध्यमिक पढ़ाई कराई जा रही है। अन्यथा माध्यमिक के लिए वर्षों पूर्व निर्मित पांच कमरा पढ़ाई के लिए तो दूर बैठने लायक भी नहीं रह गया है। उक्त पांच कमरों में एक कार्यालय, एक कमरा में जिम का सामान व पुस्तकालय, एक कमरा में कम्प्यूटर, एक कमरा में लैब का सामान पड़ा रहता है। जबकि एक मात्र अन्य कमरों में छात्रों को बैठा कर पढ़ाई कराई जाती है।
                   चार सौ छात्र के लिए मात्र पांच शिक्षक
बाणेश्वर स्थान के सुदामा जलेश्वर उच्च विद्यालय प्लस टू में फिलहाल चार सौ से अधिक छात्र व छात्राएं नामांकित है।परंतु , विडंबना है कि विभाग ने विषयवार शिक्षक तो दूर आधे दर्जन भी शिक्षक नहीं दिये है। विद्यालय के पास प्रभारी प्रधानाध्यापक सहित पांच शिक्षक है। जिसके सहारे सुदूर ग्रामीण इलाकों में शिक्षा का लौ जलाने का दावा किया जा रहा है। वहीं स्कूल के पास फिलहाल दो आदेशपाल, एक किरानी है। विद्यालय में साईंस का शिक्षक नहीं होने से छात्रों को काफी समस्या हो रही है।
          छात्र व छात्राओं के लिए सिर्फ एक जर्जर शौचालय
विद्यालय के पास संसाधन की घोर कमी साफ तौर पर देखी जा रही है। स्वच्छता अभियान को धरातल पर जागरुक करने के दावें कर रही शिक्षा विभाग के उक्त विद्यालय में एक मात्र शौचालय है, जो पूर्व से ही जर्जर अवस्था में है।वहीं तीन चापाकल में एक चापाकल का ही पानी पीने के लायक रह गया है।वहीं स्कूल की घेराबंदी नहीं होने के कारण स्कूल हमेशा असुरक्षित स्थिति में रहता है।
         दो अथवा तीन कमरों का निर्माण हो तो समस्या होगी दूर
बाणेश्वर नाथ के सुदामा जलेश्वर उच्च विद्यालय प्लस टू के समस्याओं पर प्रभारी प्रधानाध्यापक विनोद कुमार बैठा ने बताया कि प्लस टू भवन के अलावे माध्यमिक पढ़ाई के लिए दो अथवा तीन कमरों का निर्माण हो जाए, तो शिक्षा बेहतर ढंग से दी जा सकती है। प्रभारी प्रधानाध्यापक ने बताया कि स्कूल में कमरों के अभाव के संबंध में हर स्तर पर जानकारी दी जा चुकी है। उन्होंने बताया कि विकास मद की राशि से भवन का निर्माण संभव नहीं है।


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