बेनीपट्टी (मधुबनी)। पशुपालन विभाग के उदासीनता के कारण प्रखंड के पशु अस्पताल में विगत छह माह से चिकित्सक की प्रतिनियक्ति नहीं की जा रही है। चिकित्सक की कमी का आलम है कि बेनीपट्टी के साथ माधोपुर में संचालित पशु चिकित्सालय को भी प्रभार के सहारे चलाया जा रहा है। माधोपुर पशु चिकित्सालय में बिस्फी के चिकित्सक को प्रभार दिया गया है। बाढ़ग्रस्त क्षेत्र होने के कारण जहां चिकित्सक को हमेशा रहना चाहिए, वहां विभाग प्रभार के सहारे अपनी उपलब्धि दिखा रही है। पशु चिकित्सालय के मृतप्राय होने से किसान खुले बाजार में पशुओं का इलाज कराने को विवश है। वहीं इसके आड़ में कई झोला छाप मवेशी चिकित्सक बनकर क्षेत्र में कमाई कर रहे है। प्रखंड परिसर स्थित पशु चिकित्सालय में कार्यरत कर्मी तक को नहीं मालूम रहता है कि विभाग के द्वारा चिकित्सालय के लिए क्या-क्या आपूर्ति की जाती है। दोपहर करीब एक बजे पशु चिकित्सालय पहुंचने पर कार्यालय में कार्यरत कम्प्यूटर ऑपरेटर, आदेशपाल व एक कर्मी ऑफिस में बैठकर आपसी बात करने में मशगुल दिखे। पूछने पर बताया कि यहां के बारे में जो भी जानकारी लेनी है, प्रभारी चिकित्सक ही दे सकते है। दवा के संबंध में पूछने पर बताया कि इस संबंध में भी उन्हें कुछ नहीं मालूम। उनके हाजिर जवाब से साफ तौर पर कहा जा सकता है कि कार्य अवधि में पहुंचने से उनलोगों के आपसी बातचीत में खलल डाली गयी। गौरतलब है कि लाखों की राशि खर्च कर पशुपालन विभाग ने करीब सात वर्ष पूर्व प्रखंड परिसर में किसानों को लाभ पहुंचाने के लिए दो मंजिला पशु चिकित्सालय का निर्माण कराया। परंतु निर्माण होने के बाद से विभागीय लक्ष्य से काफी भटक चुका पशु चिकित्सालय से किसानों अथवा पशुपालकों को कोई खास लाभ नहीं मिल पा रहा है। कार्यालय मे कार्यरत कर्मी सिर्फ अपना दैनिकी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए आते है। सूत्रों की माने तो पशु चिकित्सालय में मवेशी के जख्म को साफ करने के लिए दवा तक उपलब्ध नहीं कराई जाती है। जिससे स्पष्ट है कि पशु चिकित्सालय में कितने पैमाने पर लापरवाही की जा रही है। जिसका खामियाजा पशुपालकों को उठाना पड़ रहा है।इस संबंध में प्रभारी भ्रमणशील पशु चिकित्सा पदाधिकारी डा. सुमन कुमार ने बताया कि विभाग से समय पर दवा की आपूर्ति की जा रही है। पशुपालक के आने पर हर बीमारी का इलाज किया जा रहा है। फिलहाल विभाग हर पंचायत में टीकाकरण में जुटी हुई है।