संपादकीयःकन्हैया मिश्रा-बिहार विधानसभा चुनाव मुख्यरुप से मोदी-नीतीश के खिलाफ देखा जा रहा था।बीजेपी जहां बिहार में नीतीश को मात देकर मोदी मैजिक को अन्य राज्यों में भी फैलाकर लाभ लेना चाह रही है।अगर कुछ न्यूज चैनलों के एग्जिट पोल की माने तो बिहार में एनडीए सत्ता से बाहर ही रहेगी।अगर ऐसा ही परिणाम कल देखने को मिला तो बीजेपी को दिल्ली विधानसभा चुनाव के बाद एक ओर जख्म मिलेगा तो वहीं बीजेपी के नेताओं के द्वारा बनाये जा रहे मोदी मैजिक का मायाजाल भी टूटेगा।जिसके बाद अन्य राज्यों में होने वालें विधानसभा चुनाव में बीजेपी को विपक्षी पार्टियों के साथ बिहार के सहयोगी दलों को भी मोदी मैजिक पर प्रश्नचिन्ह् लगाने का मौका मिलेगा।वहीं मोदी मैजिक के दम पर एनडीए के सहयोगी उपेंद्र कुशवाहा की रालोसपा व मांझी की हम एक बार फिर एनडीए के सहयोग पर पुनर्विचार करना शुरु कर देंगे।विधानसभा चुनाव में रालोसपा व हम पहले ही टिकट बंटवारें पर बीजेपी के रवैये पर नाखुशी जाहिर कर चुकी है।ऐसे में बीजेपी की हार एनडीए के टूटने के आशंका को भी बल देगा।तो दूसरी ओर बीजेपी के बिहार में हारने से पुराने वो भाजपाई नेता जो मोदी से नाराज है,उन्हें भी पार्टी में मोदी-अमित शाह के जोडी पर बोलने का मौका मिल जायेगा।बिहारी बाबू और आरके सिंह चुनाव के समय में ही बीजेपी के बिहार नेताओं के खिलाफ बिगुल फुंक दिया है।सांसद आरके सिंह ने तो खुलेआम बीजेपी के बिहार के नेताओं पर टिकट बेचने ओर सुशील मोदी पर कई गंभीर आरोप लगा चुके है,ऐसे में बिहार में बीजेपी के हारने की स्थिति में केंद्रीय बीेजेपी के पास बिहार के नेताओं पर कार्रवाई करने की मजबूरी बन जायेगी।सूत्र बतातें है कि बिहार विधानसभा चुनाव में टिकट बेचने के गंभीर आरोप पर खुद पीएम नरेंद्र मोदी की भी नजर है,चुनाव को देखते हुए कार्रवाई करने से बच रहे मोदी के पास ऐसे नेताओं पर कार्रवाई की दवाब रहेगी।जानकारी दें कि बिहार के कई नेता समय-समय पर सुशील मोदी के खिलाफ बिगुल फुंकते रहे है।ऐसे नेताओं को एक बार फिर मोदी के खिलाफ अभियान चलाने का समय मिलेगा।


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