कन्हैया मिश्रा  : एक बार फिर देश की राजधानी दिल्ली में मिथिला की बेटी के साथ हुए शर्मशार करने वाली यौन शौषण जैसे कृतृत्य घटना में सरकार द्वारा कानूनी कारवाई  में संवेदनहीनता यह बता रही है की महिला सुरक्षा के बड़े बड़े दावे करने वाली दिल्ली सरकार महिला सुरक्षा के प्रति कितनी गंभीर है। इस के इतर दिल्ली तक अपनी ओछी राजनीति की पंहुच बनाने के मंशा लिये विभिन्न राजनीतिक पार्टियां व स्वघोषित मिथिला हितेषी दुकान चलाने वाले दुकानदारों  द्वारा इस घटना के खिलाफ आवाज़ उठाने के श्रेय लेने के होड़ में निचली स्तर की राजनीति का नमूना देखने को मिल रहा है। सोचने की बात यह है की इस समय परिवार किस मनोदशा स्थिति से गुज़र रहा होगा इस बात की फिक्र ना करते हुए बिभिन्न माध्यमों से राजनीति में नाम कमाने के चक्कर में नये नये पार्टी के लोग पीड़िता परिवार के प्रति औपचारिकता मात्र संवेदना का मौखिक बयान सोशल साइट्स पर पब्लिकली पीड़ित परिवार के जानकारी सार्वजनिक कर जनता से सहानभूति प्राप्त करना चाह रहे है।  
मिथिला स्टूडेंट यूनियन के महासचिव कमलेश मिश्रा ने पीड़ित परिवार को मुकदमा वापस लेने की धमकी वाले बात पर सवाल पूछे जाने पर बताया की मिथिला मैथिलि के नाम पर दुकान चलाने वाली एक पार्टी के कुछ असामाजिक लोग हमलोगों पर पीड़ित परिवार को मुकदमा वापस लेने की धमकी देने का आरोप लगायें है, जो की निराधार है। वास्तविकता यह है की इस मामले में सबसे पहले मिथिला स्टूडेंट यूनियन के द्वारा आवाज उठाया गया। हमलोग चौबीस घंटे पीड़ित परिवार के साथ संपर्क में है। हमारे यूनियन के अधिकृत अमित सिंह के मौजूदगी में सर्वप्रथम परिवार से मिलकर स्थानीय विधायक संजीव झा के समक्ष न्याय दिलवाने का आश्वाशन मिला। उसके बाद राजनीति रोटी सेकने के लिये मुद्दे की तलाश कर रही एक (स्वघोषित मिथिला हितेषी) पार्टी ने मामले को तूल पकड़ता हुआ देख उस राजनितिक पार्टी के लोग लोकप्रियता हासिल करने के चक्कर में मान-मर्यादा को ताक पर रखते हुए हम लोगो पर आरोप लगाये। जबकि इस बात की सार्थकता किस प्रकार है यह आप पीड़ित परिवार से पता कर सकते है। हमने पहले भी कहा था और आज भी कह रहा हूँ हम लोग पीड़ित परिवार के साथ तब तक है। जब तक की न्याय नहीं मिल जाता है। हमारी नीवं राजनितिक नहीं  सामाजिक है, किसी के आरोप-प्रत्यारोप से हमारी नीवं पर कोई असर नहीं पड़ेगा। वो लोग अपना काम कर रहे है हमलोग अपना काम कर रहे है। सवाल यह है की अगर अभी तक इस मामले में बात सिर्फ आवाज उठाने तक सिमित है और श्रेय लेने की होड़ लगी हुई है। तो क्या भविष्य में न्याय मिलने के बाद स्थिति क्या होगा ??  क्या इस प्रकार आरोप प्रत्यारोप से मिल पायेगा न्याय ?? ढीढोंरा पिट कर इस बात का श्रेय लेना कितना सही है ?? क्या राजनीति करने वाले लोग इस प्रकार की घटना का इंतजार कर रहे थे ?? आप की यही मंशा थी की उस नाबालिग के साथ इस प्रकार का घटना हो और आप श्रेय लेने पंहुचे ?? पीड़ित परिवार की जानकारी सार्वजनिक करना कितना सही ??
निर्णय आपको लेना है, घर परिवार से दूर दिल्ली में दो वक़्त की रोटी के लिये ऑटो चलाकर अपने परिवार का भरण-पोषण करने वाले एक परिवार के नाबालिग बेटी के साथ इस प्रकार का कृतृत्य घटना होता है और इस घटना पर भी न्याय दिलाने के बदले राजनीती शुरू हो जाती है।



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