बेनीपट्टी (मधुबनी)। कन्हैया मिश्रा : बसैठ स्थित सीता मुरलीधर उच्च विद्यालय के सैकडों छात्र व छात्राओं को विधालय प्रभारी के अजीबों गरीब फैसले के तहत शिफ्ट डे के नियम पर शिक्षा ग्रहण करना पड रहा है. कमरे के अभाव व विधालय में संसाधन की घोर कमी के कारण विधालय ने विभाग से अलग ही एक ऐसा नियम इजाद कर लिया कि स्कूल के 1400 छात्र-छात्रा प्रभावित हो रहे है. विद्यालय प्रभारी गजाला यास्मीन ने दो दिन छात्रों को एवम् अगले दो दिन छात्राओं को पढाने का फार्मूला लागू कर दिया है.जिससे छात्र व छात्राओं का काफी परेशानियों का सामना करना पड रहा है. छात्रों का कहना है कि विद्यालय  में उपस्थिति नहीं दर्ज होगी तो सरकार की योजनाओं से उन्हें बंचित रहना होगा.अभिभावक बासुकी नाथ झा ने बताया कि ये नियम शायद ही किसी प्रदेश में लागू हुआ होगा. कमरे का अभाव है तो विभाग को पत्राचार करें.
        1952 में स्थापित उच्च विधालय बना खंडहर
बेनीपट्टी प्रखंड के बसैठ स्थित सीता मुरलीधर उच्च विद्यालय की स्थापना 1952 ईं में की गयी थी, विद्यालय ने एक से बढकर एक होनहार छात्र दिये,जो आज देश व विदेशों में विभिन्न पदो को सुशोभित कर स्कूल का नाम रौशन कर रहे है,मगर उक्त  विद्यालय स्थिति इतनी बद्तर हो गयी है कि उक्त  विद्यालय में छात्रों का पढना तो दूर सही से खड़े भी नहीं हो सकते है. विद्यालय के पास कहने को तो दस कमरे है, मगर दुर्भाग्य है कि एक भी कमरा बैठने लायक नहीं है. सांसद कोष से निर्मित दो कमरे में किसी तरह छात्र को भेड़-बकरी की तरह बैठाकर पढाया जाता है.आलम ये है कि बारिश के होते ही छात्र व छात्रा को भींगने से अधिक किताबों की चिंता सताने लगती है.वर्ष 2007-08 में उच्च विद्यालय जीर्णोद्वार व भवन निर्माण के लिए विभाग से 30 लाख की राशि स्वीकृत की थी, तत्कालीन विद्यालय प्रभारी के द्वारा वर्तमान प्रभारी को वित्तीय प्रभार समय पर नहीं देने के कारण निर्माण कार्य के लिए मिले राशि का समय पूर्व उपयोग नहीं किया गया. कुछ दिनों के उपरांत विभाग ने राशि सरेंडर कराया दिया. जिस कारण विधालय का भवन निर्माण नहीं हो सका. प्रभारी ने बताया कि उक्त समय अगर विधालय के साथ वित्तीय प्रभार मिल गया होता तो शायद स्कूल का ये हाल नहीं हुआ होता. स्कूल के कमरों की स्थिति के संबध में विभाग को कई बार पत्राचार किया जा चुका है.दो कमरों को छोडकर किसी भी कमरे में पढाई कराना असंभव है,कब छत गिर जायेगा, कहना मुश्किल है.ऐसी स्थिति में कुछ दिनों से बच्चों को अलग-अलग दिनों में बुलाकर पढाई करायी जाती है.


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