भरदुतिया (भातृ द्वितीया)

भरदुतिया (भातृ द्वितीया)
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''गंगा नोतय छैथ यमुना के, हम नोतय छी (भाई के नाम ) भाई के.
जहिना जहिना गंगा-यमुना के धार बहय,हमर भाय सबहक औरदा बढ़य" 
सब बहिन, अपन भाय के सुख, समृद्धि एवम् दीर्घायु के कामना करैत, भाइ- भैयाके टीका लगबैत छैथ आ नौत लेत छैथ। बहिन सब भाइ के हाथ मे पिठार सिन्दुर लगाकऽ, हाथ मे पान सुपारी पैसा रखैत, जल सँ हाथ नौतति छैथ। नौतऽ काल माथ मे टीका लगा कऽ बहिन सब "गंगा नोतय...." मंत्र पढ़ैत छैथ । तकर बाद अपन इच्छाशक्ति के अनुसार भाइ सब बहिन के उपहार दैत छैथ।
भरदुतिया, कार्तिक मासक शुक्ल पक्ष के द्वितीया तिथि कें मनाओल जाइत अछि. एकरा यम द्वितीया सेहो कहल जाइत छैक ! कहल जाइत छैक कि , यम देवता अपन बहिन जमुना कें एही दिन दर्शन देने छलाह! यम महाराज व्यस्तता केर कारणें अपन बहिन सं भेट नहि क' पबैत छलाह ! एहि दिन बहिन अरिपन दअ, ठाओ पीढ़ी क' भाइ के बाट तकैत अछि

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