बीएनएन संपादकीय : बिहार में इन दिनों स्मार्ट मीटर और जमीन सर्वे को लेकर काम तेजी से हो रहे है। सरकार स्मार्ट मीटर के जरिये जहां बिजली चोरी को रोकने की बात कह रही है। वहीं, जमीन सर्वे को लेकर सरकार का स्पष्ट बयान है कि, इससे भूमि माफिया की कमर टूट जाएगी और बिहार में जमीनी विवाद खत्म होगा। ये दोनों बात पटना में हो रही है। जबकि, ग्रामीण इलाकों में लोग परेशान है। ऊर्जा विभाग स्मार्ट मीटर लगाने के लिए एड़ी चोटी लगा रही है। मीटर का विरोध करने वाले चंद उपभोक्ताओं के कारण पूरी गांव की बिजली आपूर्ति बंद की जा रही है। जगह-जगह लोग सड़कों पर आ रहे है।
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सूत्र बताते है कि सत्ताधारी दल के विधायकों ने सरकार तक इस आक्रोश को जता दिया है। जिसके बाद बैकफुट पर आई सरकार और विभाग अब हर शनिवार को प्रखंड स्तर पर उपभोक्ताओं के शिकायतों का निपटारा के लिए कैम्प लगाएगी। लेकिन, दूरस्थ गांव में रहने वाले लोग ब्लॉक तक आवाजाही कब तक करेंगे? लोग इस फैसले से भी नाराज होंगे, जनता तो कह रही है कि, हमलोग अपना समय और पैसा कब तक बर्बाद करेंगे। जब पुराना मीटर लाया गया, तब भी सरकार बिजली चोरी की कवायद कह रही थी। अब क्या हुआ।
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वहीं, हाल जमीन सर्वे को लेकर हो रही है। स्थिति ये है कि एक-एक कर्मचारी के पास कई कई राजस्व गांव है। पुराने लोगों के पास पुस्तैनी जमीन का कागज है, लेकिन, अपडेट नहीं है। बंटवारा को लेकर विवाद है, कहीं, कागज भी पूर्ण नहीं है। तो कही बदलेन जमीन को लेकर असमंजस है। लोगों में जमीन सर्वे को लेकर तरह तरह की भ्रम की स्थिति है। अब इस मुद्दे को लेकर विपक्षी पार्टी जनता के साथ खड़ी दिखाई देने के प्रयास में जुट गई है। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने तो बाकायदा दो सौ यूनिट बिजली फ्री करने की घोषणा कर दी है।
वहीं, स्मार्ट मीटर को लेकर कई राजनीतिक दल आंदोलन कर चुके है। जबकि, सत्ताधारी दल के विधायक स्थिति को भांप कर चुप्पी साधे हुए है। कई विधायक तो इन दोनों मुद्दों पर राय अलग कर रहे है, लेकिन, सार्वजनिक जगहों पर बोलने से परहेज कर रहे है। एनडीए के नेता भी समझ रहे है कि, जनता इन दोनों मुद्दों को लेकर सरकार से अलग राय रखती है। ऐसे में कौन बोले? राजनीतिक समझ रखने वाले लोग बता रहे है कि, स्मार्ट मीटर और जमीन सर्वे का काम अभी चलता रहेगा और लोगों का आक्रोश भी बढ़ता ही रहेगा। ऐसे में आगामी विधानसभा चुनाव कही एनडीए के लिए नुकसानदायक न साबित हो।