आज के दौर में धर्म जाति व विचार के नाम पर खंड-खंड में बंटे समाज में कुछ ऐसे भी गांव है जो सामाजिक समरसता को बरक़रार रखने में अपनी भूमिका निभा रहे हैं। बेनीपट्टी प्रखंड का बनकट्टा गांव इस कड़ी में सामाजिक समरसता के मामले में आज भी एकजुट नजर आता है।

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जिसकी बानगी मंगलवार को अनंत चतुर्दशी के मौके पर भी देखने के लिए मिली, जहां गांव के रामजानकी मंदिर पर गांव के सभी जाति के लोग अनंत भगवान की पूजा में पहुंचे। पंडित प्रेम कुमार द्वारा भगवान की पूजा कराई गई, वहीं गांव के धैर्यु झा ने सभी लोगों ने घरों से आये अनंत सूत्र व भोग के साथ भगवान की पूजा की। यह दृश्य मनोरम था। काफी संख्या में पहुंची महिलाओं ने कथा का श्रवण किया।

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इसके अलावे गांव में मंदिर से सटे तालाब में छठ पूजा का आयोजन होता है, जिसमें सभी जाति के लोग एक जगह छठ पूजा को बड़े धूमधाम से मनाते हैं। इस बाबत राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े बनकट्टा गांव के ग्रामीण भोगेन्द्र झा भोगी बताते हैं कि यह गांव हमेशा से सामाजिक एकता को एकसूत्र में बांधने का काम किया है। गांव में काफी लोग आरएसएस की विचारधारा को मानते हैं, लिहाजा संघ हमेशा से यह मानती है कि समाज में जहां छुआछुत, उंच नीच का भाव अधिक है वहां लोग धर्म को भूलकर स्वार्थ के अधीन हो गये हैं। लेकिन इससे समरसता की कमी के साथ कटुता बढ़ती है। स्वस्थ्य समाज के निर्माण के यह बाधा है। इसके विपरीत समान भाव, पर्यावरण संरक्षण, कुटुंब प्रबोधन, स्व का भाव और नागरिक अनुशासन को जीवन में उतारने से समाजिक समरसता के माध्यम से परिवर्तन संभव है। इस दिशा में बनकट्टा गांव के सभी जाति के लोग एक सूत्र में बंधे हुए हैं।

वहीं ग्रामीण मुकुल झा गांव के इतिहास के बारे में बताते हैं कि गांव में कभी भी जातीय संघर्ष नहीं हुआ है, गांव के लोग मिलजुलकर सामाजिक दायित्वों का निर्वहन करते हैं। सुख दुःख के साथ सभी परिस्थितियों का मिलकर सामना करते हैं। यहां तक की गांव में सार्वजनिक श्मशान घाट व श्राद्धस्थली भी गांव की समरसता का एक उदाहरण है।


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