बिहार की मधुबनी लोकसभा सीट पर एक बार फिर से बीजेपी के उम्मीदवार अशोक कुमार यादव ने अच्छी जीत हासिल कर ली है. वहीं झंझारपुर सीट से जदयू प्रत्याशी रामप्रीत मंडल भी जीत चुके हैं. झंझारपुर सीट पर बसपा उम्मीदवार गुलाब यादव फैक्टर कहीं भी काम करता नहीं दिखा, यहां की लड़ाई जदयू के रामप्रीत मंडल बनाम वीआईपी के सुमन महासेठ के बीच रही. 

मधुबनी सीट पर अशोक यादव ने अपने निकतम प्रतिद्वंद्वी इंडिया गठबंधन के राजद प्रत्याशी अली अशरफ फातमी को डेढ़ लाख से अधिक मतों से पटखनी दी है. भारतीय जनता पार्टी के दबदबे वाली मधुबनी लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र के मतगणना के शुरुआती रुझानों से ही अशोक यादव अपने निकटतम प्रतिद्वंदी राजद के अली अशरफ फातमी से आगे रहे. अशोक यादव को मिली इस जीत में सबसे अधिक बढ़त बेनीपट्टी विधानसभा से मिली है. बेनीपट्टी सीट से चुनाव के लिए विधायक विनोद नारायण झा को प्रभारी बनाया गया था. 

बेनीपट्टी में जीत का जश्न मनाते बीजेपी कार्यकर्ता 

अशोक कुमार यादव जो इन रुझानों में बढ़त बनाने के साथ वोटों को जीत में तब्दील करने में सफल रहे. अशोक यादव के जीत की खबर सामने आते ही समर्थकों ने मधुबनी, बेनीपट्टी, हरलाखी, केवटी, जाले में खूब अबीर गुलाल उड़ाए हैं. 

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BJP - अशोक कुमार यादव (विजेता)

RJD - अली अशरफ फातमी (हारे)

निर्दलीय - शिव बोधन साहू (हारे)

BSP - विकास कुमार (हारे)

निर्दलीय - प्रिय रंजन (हारे)

AIMIM - मो. वकार सिद्दकी (हारे)


जानकारी के लिए बता दें कि इस बार मधुबनी लोकसभा क्षेत्र के चुनावी मैदान में 12 प्रत्याशी थे. लेकिन शुरूआती दिनों से ही मुख्य मुकाबला भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय जनता दल के बीच नजर आया. जन सुराज के माध्यम से जिले में कई महीनों तक गतिविधियों में शामिल रहे विकास महासेठ, जो कि चुनाव के समय मायावती की पार्टी बहुजन समाज पार्टी का दामन थाम चुनावी मैदान में थे, वह भी कोई ख़ास प्रभाव नहीं छोड़ सके. 

मिथिलावादी पार्टी व एमएसयू समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार प्रिय रंजन पांडेय पांचवें, व निर्दलीय शिव बोधन साहू तीसरे स्थान पर रहे. इस चुनाव में पहली बार असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी भी उम्मीदवारी दे रही थी, माना जा रहा था कि मुसलमान मतदाताओं में AIMIM की सेंधमारी देखने के लिए मिलेगी. लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ. कुल मिलाकार एनडीए व इंडिया के उम्मीदवारों के अलावे किसी उम्मीदवार का परिणाम ऐसा नहीं रहा जो हार जीत के फैसलों में कारक साबित हुए हों. 

जीत हुई लेकिन 5 लाख से नहीं... कहां हुई चूक ?

मधुबनी से बीजेपी के उम्मीदवार अशोक यादव ने जीत तो हासिल कर ली है, लेकिन जिस तरह से उन्होंने हार जीत के अंतर का दावा किया था, उन दावों को झटका लगा है. नामांकन के समय से ही बीजेपी प्रत्याशी अशोक कुमार यादव ने पांच लाख वोटों से जीत हासिल करने की ताल ठोकी थी.

दरअसल पूर्व केंद्रीय मंत्री व मधुबनी से सांसद रहे हुक्मदेव नारायण यादव के बेटे अशोक यादव ने साल 2019 लोकसभा चुनाव में मधुबनी सीट पर भारतीय जनता पार्टी की टिकट पर 3,53,635 मतों के अंतर से बड़ी जीत हासिल की थी, इस लिहाज से इस जीत की चर्चा देश भर में हुई थी.

2019 के चुनाव में अशोक यादव ने विकासशील इंसान पार्टी के बद्री कुमार पूर्वे को कड़ी शिकस्त दी  थी. अशोक यादव को जहां 5,95,843 वोट मिले थे वहीं वीआईपी के बद्री कुमार पूर्वे को 1,40,903 वोट मिले थे. निर्दलीय डॉ शकील अहमद 131,530 वोट पाकर तीसरे स्थान पर रहे थे. 2019 में इस बंपर जीत की लिहाज से इस बार भी अशोक कुमार यादव अच्छी खासी मार्जिन से जीत की उम्मीद कर रहे थे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. इससे पहले अशोक यादव के पिता हुक्मदेव नारायण यादव ने 1977 में जनता पार्टी से, 1999, 2009 व 2014 में बीजेपी से जीत हासिल की थी.

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यह लोकसभा क्षेत्र 1957 में अस्तित्व में आया. यहां हुए पहले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी के श्याम नंदन मिश्रा ने जीत हासिल की थी. कांग्रेस ने यहां लगातार दो चुनाव में जीत हासिल की थी. 1967 और 1971 में यहां भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, 1977 में जनता पार्टी की जीत हुई. मधुबनी में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने छह बार, कांग्रेस पार्टी ने छह बार, भारतीय जनता पार्टी ने चार बार जीत दर्ज की है. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के भोगेन्द्र झा यहां से सबसे अधिक पांच बार जीत कर संसद पहुंचे.

इस लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत छह विधानसभा क्षेत्र - जाले, हरलाखी, केवटी, बेनीपट्टी, बिस्फी और मधुबनी शामिल है. लोकसभा चुनाव के पांचवें चरण में यहां पर 20 मई को मतदान हुआ, जिसमें 52.20 प्रतिशत लोगों ने मताधिकार का इस्तेमाल किया था.


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