बेनीपट्टी की धरती हमेशा से विद्वानों की धरती रही है, कालिदास विद्यापति की इस धरती पर विशेषकर संस्कृत शिक्षा के क्षेत्र में अलख जगाने वालों में डॉ. विद्यानाथ झा का नाम अग्रणी रहा, आज उनकी तीसरी पुण्यतिथि है। 

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डॉ. विद्यानाथ झा का जन्म मधुबनी जिले के हरसुवार ग्राम में सन 1964 में एक संस्कृतनिष्ठ परिवार में हुआ था, संस्कृत साहित्य और ज्योतिष के मेधावी छात्र रहे विद्या बाबू तीन तीन विषयों से आचार्य और फिर पीएचडी की प्रतिष्ठा हासिल किये थे।  बहुमुखी प्रतिभा के धनी विद्या बाबू छात्र जीवन में  रेडियो स्टेशन में वाचन, राष्ट्रीय कार्यक्रम में KSDS विश्वविद्यालय का प्रतिनिधित्व, विश्वविद्यालय के रंगमंच, पत्र पत्रिकाओं में लेखन इत्यादि में शामिल रहे।

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बाद में चानपुरा संस्कृत महाविद्यालय में सहायक प्राध्यापक के तौर पर शिक्षण कार्य प्रारंभ किया और सन 1994 में बेनीपट्टी आ गए। उसके बाद से बेनीपट्टी ही उनकी कर्मभूमि रही। बेनीपट्टी और आसपास के युवाओं को संस्कृत, हिंदी और अंग्रेजी की शिक्षा प्रदान की। कई युवाओं को ज्योतिष, कर्म कांड इत्यादि की शिक्षा देकर उन्हें अपने पैर पर खड़े होने में मदद की। साथ ही 8 छात्रों ने उनके अंदर पीएचडी शोध भी किया है। संस्कृत का विकास और शिक्षा क्षेत्र में उनके अमूल्य योगदान के लिए उन्हें विश्वविद्यालय स्तर पर और सामाजिक स्तर पर कई बार सम्मानित भी किया गया। डॉ. विद्यानाथ झा की कृति ने उन्हें विद्या बाबू नाम से एक अलग पहचान दिया।


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