बेनीपट्टी(मधुबनी)। अनुमंडल मुख्यालय के इंदिरा चौक के समीप स्थित युगेश्वर आश्रम परिसर में मिथिलांचल सर्वांगीण विकास संस्थान के तत्वावधान में तीन दिवसीय मिथिला विभूति स्मृति पर्व समारोह का समापन सांस्कृतिक व पारंपरिक गीत, संगीत व नृत्य के साथ हुआ।
कार्यक्रम की शुरुआत से पहले आगत अतिथियों ने महाकवि विद्यापति के तैल चित्र पर माल्यार्पण कर श्रद्धासुमन व्यक्त किया। समारोह के तीसरे व अंतिम दिन रविवार के रात में आयोजित समापन कार्यक्रम का उद्घाटन मधुबनी नगर निगम के मेयर अरुण राय ने दीप प्रज्जवलित कर किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता संस्थान के संस्थापक अध्यक्ष अमरनाथ झा भोलन व संचालन संस्थान के महासचिव भाग्यनारायण मिश्र ने किया।
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कार्यक्रम की शुरुआत नितेंद्र झा नीति के गोसाउनिक एवं स्वागत गीत का गायन के साथ हुई। संस्थान के संस्थापक अध्यक्ष अमरनाथ झा भोलन ने आगत तमाम अतिथियों को मिथिलाके रीति-रिवाज के अनुसार पाग व दोपट्टा से सम्मानित किया।स्वागत भाषण संस्थान के प्रधान महासचिव सह वार्ड पार्षद रामवरण राम ने किया। इस दौरान महापौर अरुण राय ने महाकवि विद्यापति के कृतित्व व व्यक्तित्व पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि हमें मिथिला व मैथिली एवं अपनी मातृभाषा व संस्कृति को संजोये रखने व समुचित संवर्द्धन के लिये आगे बढ़कर काम करना चाहिये। ये हमारी मूल विरासत है। मिथिला व मैथिली को आगे बढ़ाने में हमेशा तत्पर रहूंगा।
वहीं मधुबनी नगर निगम के डिप्टी मेयर मो. अमानुल्लाह खां ने कहा कि अलग मिथिला राज्य की स्थापना के लिये हम सभी को दलीय भावना से उपर उठकर सड़क पर आकर संघर्ष करने की जरूरत है। महाकवि विद्यापति कई भाषाओं के ज्ञानी थे। सरकार से हमारी मांग है कि मैथिली भाषा की पढ़ाई मकतब तक हो, ताकि, मुस्लिम समाज के लोग में भी अपनी मातृभाषा मैथिली का ज्ञान बेहतर तरीके से प्राप्त सके। मिथिला व मैथिली के उत्थान के लिए समतामूलक समाज का निर्माण कर लड़ाई लड़ी जा सकती है।
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कांग्रेस जिला अध्यक्ष मनोज मिश्र ने कहा कि अलग मिथिला राज्य के बगैर मिथिला व मैथिली का चहुंमुखी विकास संभव नही है। हमें अपनी संस्कृति व मातृभाषा सहित अपने क्षेत्र के सर्वांगीण विकास के लिए अलग मिथिला राज्य की स्थापना के लिये सामूहिक संघर्ष करना चाहिये। इसके लिए मिथिला के सभी लोग जाति-धर्म और पार्टी से ऊपर उठकर संघर्ष करें। ऑल इंडिया कांग्रेस कमिटी के सदस्य नलिनी रंजन झा उर्फ रूपन ने कहा कि विश्व जनकवि विद्यापति हमारी लोकभाषा मैथिली के जनक हैं। हमारे लिए उनके आदर्शों और विचारों को अपनाना आवश्यक और समय की मांग है। अलग मिथिला राज्य बनने से न सिर्फ मिथिला क्षेत्र का सर्वांगीण विकास होगा बल्कि हमारी मातृभाषा और संस्कृति की भी रक्षा होगी। जबकि जानकी सेना ने संयोजक मृत्युंजय झा ने कहा कि मिथिलांचल के लोग देश-दुनिया में अपनी सफलताओं का परचम लहरा रहे हैं और यह सदियों से हो रहा है। मिथिला व मैथिली के विकास के लिए समय के साथ आगे जो भी पहल करना पड़ेगा वह जरूर किया जायेगा।
कार्यक्रम में मौजूद बेनीपट्टी नगर पंचायत के कार्यपालक पदाधिकारी अमित कुमार ने महाकवि विद्यापति, मिथिला व मैथिली को नमन करते हुए लोगों से अपनी संस्कृति व मातृभाषा के आदर्शों को अपनाने की अपील की। समारोह में जदयू के वरिष्ठ नेता डॉ. अमरनाथ झा, वरिष्ठ पत्रकार गांधी मिश्र गगन, माकपा के वरिष्ठ नेता पवन भारती, युवा कांग्रेस के प्रदेश नेता विजयकृष्ण झा, सुभाष झा, संस्थान के कोषाध्यक्ष शत्रुधन झा, कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. नवीन झा, कार्यकारी अध्यक्ष ललित झा, मुख्य प्रवक्ता सह पत्रकार संतोष कुमार मिश्र, वार्ड पार्षद मंगल कामत समेत अन्य लोगों ने भी भाग लिया।
कार्यक्रम के दूसरे सत्र में सांस्कृतिक व पारंपरिक गीत, संगीत व नृत्य का आयोजन किया गया। सांस्कृतिक कार्यक्रम का मंच संचालन मैथिली के प्रसिद्ध कलाकार राधे भाई ने किया।कार्यक्रम में एक ओर जहां सुप्रसिद्ध मैथिली गायक रामबाबू झा ने महाकवि विद्यापति के द्वारा रचित व लिखित गीत 'चानन भेल विषम सर रे भूषण भेल भारी'-सपनहुं हरि नहिं आएल रे गोकुल गिरधारी' गाकर श्रोताओं को भाव-विभोर कर दिया तो दूसरी ओर मैथिली की सुविख्यात गायिका जुली झा, रचना झा, बाल गायिका प्रिशा झा, डौली सिंह, कंचन पांडेय, विख्यात मैथिली गायक माधव राय आदि ने अपनी सांस्कृतिक व पारंपरिक गीतों से समा बांध दिया।
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