शिक्षा विभाग के आदेश का असर बिहार के विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में दिखने लगा है। विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने विद्यालयों महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों में छात्र-छात्राओं की 75 प्रतिशत उपस्थिति की अनिवार्यता का आदेश दिया है। आदेश के बाद अब विश्वविद्यालयों-महाविद्यालयों ने कड़े कदम उठाने शुरू कर दिए है। दाखिले के बाद लगातार गैरहाजिर चल रहे छात्र-छात्राओं के नामांकन रद्द किए जाने शुरू हो गए है।
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छात्र-छात्राओं के साथ ही उनके अभिभावकों को यह नोटिस मिलनी शुरू हो गयी है कि विद्यार्थी के नहीं आने पर कॉलेज से उनके नाम काट दिए जायेंगे। इस बाबत बुधवार को कालिदास विद्यापति साइंस कॉलेज, उच्चैठ (बेनीपट्टी) में प्रधानाचार्य डॉ. आलोक कुमार पाठक की अध्यक्षता में महाविद्यालय के शिक्षक एवं शिक्षकेतर कर्मियों की बैठक हुई, जिसमें पिछले सप्ताह तक महाविद्यालय में नामांकित सभी छात्र छात्राओं और उनके अभिभावकों से अपील की गई कि सभी छात्र छात्राएं समय पर कॉलेज आएं और अपने विषय के वर्ग में शामिल हों, इस विषय पर निर्णय लिया गया।
साथ ही बैठक में यह निर्णय लिया गया कि जो छात्र छात्राएं लगातार अनुपस्थित रहते है उनका नामांकन रद्द किया आएगा। छात्र-छात्राओं की कम-से-कम 75 प्रतिशत उपस्थिति के बाद ही परीक्षा में शामिल किया जायेगा।
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इस बाबत विश्वविद्यालय द्वारा अंगीभूत एवं संबद्ध कॉलेजों को न केवल सख्त निर्देश दिए गए है, बल्कि उसके अनुपालन का अनुश्रवण भी किया जा रहा है। शिक्षा विभाग के मानीटरिंग से प्राप्त सूचना के मुताबिक जो छात्र-छात्राएं कॉलेज में नामांकन लेने के बाद पढ़ाई करने नहीं आ रहे है और लगातार गैरहाजिर हो रहे है, उनके अभिभावकों को नोटिस देकर अपने बच्चों को कॉलेज भेजने की अपील की जा रही है। बावजूद अपनी को नजरअंदाज कर कॉलेज नहीं आने वाले छात्र-छात्राओं के नामांकन काटने को कहा गया है।
जानकारी के लिए बता दें कि शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने हर हफ्ते कॉलेज प्रशासन को छात्र-छात्राओं की उपस्थिति का मूल्यांकन करने को कहा है। उसके आधार पर लगातार अनुपस्थित पाये जाने वाले छात्र-छात्राओं के नामांकन रद्द किए जायेंगे।
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