एक समय में शिक्षा का मूल केंद्र गुरुकुल हुआ करती थी जहां अभिभावक अपने बच्चों को घर से दूर भेज शिक्षा ग्रहण करने के लिए गुरु के पास भेजा करते थे, जहां से गुरु से प्राप्त ज्ञान उनके भविष्य निर्माण में सहायक सिद्ध होती थी.

लेकिन जैसे-जैसे समय बदला वैसे ही समय के साथ शिक्षा की पद्धति भी बदली, साथ ही पढ़ाने के तौर-तरीके भी बदले. लेकिन आज के आधुनिकता के दौर में भी कुछ ऐसे शिक्षक व शिक्षा के केंद्र हैं जो बच्चों को गुरुकुल की भांति ना सिर्फ शिक्षा देते हैं बल्कि उनके लक्ष्य प्राप्ति तक कोच की भूमिका में खड़े रहते हैं. यह तस्वीर ना किसी कोचिंग संस्थान में चल रही क्लास की है, ना ही किसी स्कूल की, बल्कि यह तस्वीर उन बच्चों की है जो हाल में चल रहे बिहार बोर्ड के मैट्रिक परीक्षा 2023 में शामिल हो रहे हैं, जिनका एग्जाम सेंटर मधुबनी है.

मधुबनी में परीक्षा सेंटर पर जाने से पहले बच्चों को तैयार करते सुखदेव सर 

यह सभी छात्र एक ही कोचिंग से अपनीं दशवीं की तैयारी कर एक साथ बोर्ड की परीक्षा दे रहे हैं.  मधुबनी जिले के बेनीपट्टी प्रखंड के सुखदेव प्रसाद सर द्वारा संचालित आदित्य ट्यूशन सेंटर के यह सभी छात्र हैं, जो कि आदित्य ट्यूशन सेंटर पिछले 25 सालों से संचालित है.

इस बाबत जानकारी देते हुए आदित्य ट्यूशन सेंटर के संचालक शिक्षक सुखदेव सर ने बताया कि उनके द्वारा बेनीपट्टी प्रखंड के करही, बिचखाना और नवटोली में कोचिंग सेंटर चलाया जा रहा है. पूर्व में यह सिर्फ एक जगह से संचालित हुआ करता था, लेकिन समय के साथ बेहतर परीक्षा परिणाम के कारण पिछले कुछ वर्षों में बच्चों की संख्या में काफी वृद्धि हुई है, जिसे देखते हुए दूसरे जगहों पर भी सेंटर खोली गई ताकि यहां से ट्यूशन लेने की इच्छा रखने वाले बच्चों को कोई परेशान ना हो.

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विशेष तौर पर हमारे यहां नामांकन लेने वाले बच्चे ग्रामीण परिवेश के ही होते हैं, ऐसे में उनके अभिभावकों की आर्थिक स्थिति को देखते हुए आज भी कोचिंग की फीस न्यूनतम है, ताकि आर्थिक अभाव के कारण बच्चे पढ़ाई से वंचित ना रह पायें. इसके अलावे अनाथ बच्चों को किसी भी तरह की फीस नहीं ली जाती है. 

एक साथ योगाभ्यास व भोजन करते हुए परीक्षार्थी

वहीं इस वर्ष 2023 के मैट्रिक बोर्ड परीक्षा में हमारे सेंटर के 100 छात्र व 90 छात्रा शामिल हो रहे हैं. जिनमें करीब 70 छात्रों का परीक्षा केंद्र MTT मधुबनी है जबकि अन्य छात्रों का सेंटर कोतवाली चौक, रहिका व कपिलेश्वर में है. इन सभी परीक्षार्थियों को परीक्षा के अंतिम दिन तक अपने देख-रेख में एक साथ रखकर परीक्षा दिलाई जाती है.

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इस बाबत सुखदेव सर बताते हैं कि आम तौर पर सिलेबस खत्म होने के साथ ही शिक्षक की जिम्मेदारी खत्म हो जाती है, लेकिन दशवीं के जो परीक्षार्थी होते है वह हमारे यहां काफी कम उम्र में पहुंचते हैं, कोई पहला क्लास से मेरे यहां पढ़ रहा होता है तो कोई दूसरा तीसरा क्लास से, ऐसे में बच्चे जब दशवीं की परीक्षा देने के लिए तैयार होते हैं तो वह किशोरावस्था में रहते हैं. ऐसे में मैट्रिक परीक्षा उनके शैक्षणिक जीवन का पहला लक्ष्य केन्द्रित परीक्षा होता है, जिसमें हमारी समझ से बच्चों को अंतिम समय तक मार्गदर्शन की आवश्यकता होती है.

इसी सोच व ध्येय के साथ निरंतर हर वर्ष मैं अपने ट्यूशन सेंटर के बच्चों को एक साथ रखकर, खुद साथ रहकर परीक्षा के अंतिम दिन तक पढ़ाता हूं. बच्चे करही, बिचखाना, नवटोली सहित विभिन्न गांवों के होते हैं. ऐसे में उनको परीक्षा केन्द्रों के निकट स्थान पर रहने-खाने की व्यवस्था की उलझनों से दूर रखकर अपने नेतृत्व में परीक्षा के लिए तैयार करते है. इस दौरान बच्चों की दिनचर्या भी पहले से तय होती है, सुबह होते सभी बच्चों को एक साथ योग अभ्यास, उसके बाद पढ़ाई फिर साथ में भोजन की व्यवस्था होती है. इससे बच्चे अन्य उलझनों से दूर होकर सिर्फ पढ़ाई पर केंद्रित रहते हैं. साथ ही एक साथ योगाभ्यास, पढ़ाई व भोजन यह सारे काम बच्चों के जीवन में सामाजिकता, व्यवहारिकता को बेहतर ढंग से जीने का गुण भी सिखाती है.

आगे उन्होंने बताया कि 25 वर्षों से संचालित उनके आदित्य ट्यूशन सेंटर से पढ़े बच्चे डॉक्टर, इंजिनियर, बैंकर, ASM, शिक्षक, ICSR में सफल हो चुके हैं. साथ ही हर वर्ष हमारे यहां के अधिकांश बच्चे बेहतर अंकों से सफल होते हैं. जिसका परिणाम है कि इस क्षेत्र के बच्चों को मैट्रिक तक की पढ़ाई के लिए गांव छोड़ शहर जाने की जरूरत नहीं होती.


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