घोघरडीहा। कचरा प्रबंधन में घोघरडीहा मॉडल एक नजीर है, जिसे अपनाकर हम पंचायतों से नब्बे प्रतिशत कचरा का बोझ को कम कर सकते है। उक्त बातें डीडीसी विशाल राज ने नगर पंचायत स्थित किसनीपट्टी में ठोस एव तरल अपशिष्ट प्रबंधन इकाई का दौरा करने के बाद कही। शुक्रवार को जिला उपविकास आयुक्त विशाल राज के साथ घोघरडीहा, लौकही, बाबूबरही, पंडौल, खजौली एवं हरलाखी के बीडीओ ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन घोघरडीहा मॉडल का अध्ययन करने आए थे। उनके साथ कचरा प्रबंधन के लिए चयनित पंचायतों के मुखियागन भी पहुंचे थे। यहां पहुंचने के बाद डीडीसी एवं विभिन्न प्रखंडो के बीडीओ ने कचरा प्रबंधन के निमित विभिन्न आयामो को बारीकी से देखा। नपं के कार्यपालक पदाधिकारी शिवांशु शिवेश एवं कचरा प्रबंधन इकाई का संचालन करने वाला एनजीओ के कर्मियों ने कचरा प्रबंधन के तौर तरीकों को बारीकी से बताया। कहा कि वार्डों से कचरा उठाव कर लेने के बाद उसमे से ठोस कचरा से प्लास्टिक, पेपर, सीसा,मेटल और मेडिकल कचरा को अलग-अलग कैटेगरी में विभाजित किया जाता है। कीचन वेस्ट में गोबर मिलाकर चालीस दिनों तक कम्पोस्ट पिट में ढककर छोड़ दिया जाता है। चालीस दिनों के बाद उसे उर्वरक के रूप में उपयोग किया जाता है। ठोस कचरा जो डिकॉम्पोज़ नही होने वाला होता है जैसे प्लास्टिक, का रैपर, दूध का पलोथिन को बोतलबंद पानी के पुराने बोतल में डालकर इको फ्रेंडली ब्रिक बनाया जाता है। वही खतरनाक कचरा जैसे सीसा, सुई का निडिल, सेनेट्री पैड को मेडिकल कचरा के कैटेगरी में रखा जाता है। जिसे मुजफ्फरपुर के रिसायकल इकाई में भेजा जाता है। जबकि कागज,लोहा और टीना को कबाड़ी को बेच दिया जाता है। इस प्रकार नब्बे प्रतिशत कचरा को दुबारा उपयोग के लायक बना दिया जाता है। मात्र 10 प्रतिशत कचरा को ही डंप करने की जरूरत होती है। डीडीसी को यह जानकर काफी खुशी हुई कि सौ क्विंटल कचरा में से नव्वे क्विंटल कचरा का दुवारा उपयोग हो जाता है। मात्र दस क्विंटल कचरा ही बच जाता है जिसे डम्प करने की आवश्यकता होती है। डीडीसी ने कचरा प्रबंधन के क्षेत्र में इसे बड़ी उपलब्धि बताया। डीडीसी ने बताया कि लोहिया स्वच्छ बिहार मिशन के तहत चयनित पंचायतों में घोघरडीहा मॉडल को लागू किया जाएगा। कचरा प्रबंधन का अध्ययन करने आये सभी बीडीओ से कहा हम घोघरडीहा मॉडल को अपनाकर पंचायतों से 90 प्रतिशत तक कचरा का बोझ को कम कर सकते हैं। मौके पर डीडीसी विशाल राज के साथ नप के कार्यपालक पदाधिकारी शिवांशु शिवेश, घोघरडीहा के बीडीओ धीरेन्द्र कुमार धीरज, खजौली के बीडीओ डॉ मनीष कुमार, पंडौल बीडीओ अभिजीत चौधरी, बाबूबरही बीडीओ रमन मुरारी, लौकही बीडीओ रितम चौधरी एवं बिहार लोहिया कार्यक्रम के समन्वयक अरविंद कुमार मौजूद थे।


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