मधुबनी। राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम के तहत जिले में कुष्ठ रोग उन्मूलन के लिए अभियान चलाया गया है । जिसको लेकर डीएफआइटी संस्था के सहयोग से आरबीएसके के चिकित्सकों को एक दिवसीय प्रशिक्षण एएनएम सभागार में दिया गया । इस क्रम में अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. आर. के. सिंह ने बताया कि सरकार ने वर्ष 2030 तक कुष्ठ को पूरी तरह से खत्म करने का निर्णय लिया है। जिसके तहत जिले स्वास्थ्य समिति ने भी तैयारियां शुरू कर दी है । पिछले तीन वर्षों में जिन गांवों में कुष्ठ रोग के मामले सामने आए हैं, वहां आशा कार्यकर्ता द्वारा सक्रिय मामले का पता लगाने और नियमित निगरानी गतिविधि संचालित की जा रही है।
1
कुष्ठ का इलाज प्रारंभिक अवस्था में ईलाज होने से विकलांगता से बचा जा सकता
मास्टर ट्रेनर डॉ सुब्रत राय ने बताया कि कुष्ठ रोगी को इसे छुपाना नहीं चाहिए। शरीर के किसी भी हिस्से में तम्बाई रंग का दाग हो और उस दाग में सूनापन हो तो वह कुष्ठ रोग हो सकता है। हाथ और पैर के नस का मोटा होना, दर्द होना एवं झुनझुन्नी होना भी कुष्ठ के प्रारंभिक लक्षण हो सकते हैं। उन्होंने बताया कि कुष्ठ का इलाज प्रारंभिक अवस्था में होने से विकलांगता से बचा जा सकता है। उपचार के बाद कुष्ठ रोगी दूसरे व्यक्ति को संक्रमित नहीं करते हैं। कुष्ठ रोग में एमडीटी की दवा का पूरा खुराक खाना जरूरी होता है। हालांकि, लोगों में पूर्व की अपेक्षा थोड़ी जागरूकता बढ़ी तो है, लेकिन अभी कई मरीजों के मन में इसको लेकर दुविधाएं देखी जाती हैं।
2
समुदाय के हर व्यक्ति से कुष्ठ रोग की जानकारी देने की अपील
डॉ. सिंह ने प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे आरबीएसके के चिकित्सकों को समुदाय के हर व्यक्ति से कुष्ठ रोग की जानकारी देने की अपील की है। जिससे जिले को कुष्ठ मुक्त बनाया जा सके । उन्होंने जागरूक करते हुए कहा कि कुष्ठ मरीजों का इलाज संभव है। इसके लिए एमडीटी की टैबलेट ली जाती है। पीबी प्रकार के रोगियों को 6 महीने और एमबी प्रकार के रोगियों को 12 महीने नियमित दवा सेवन की सलाह दी जाती है।
ये हैं कुष्ठ रोग के लक्षण
कुष्ठ रोग के लक्षण में चमड़ी पर चमड़ी के रंग से फीके या बदरंग दाग धब्बे, जिसमें सुन्नपन्न हो यानी जिन दागों में खुजली, जलन या चुभन न हो। चेहरे पर लाल, तामिया, तेलिया चमक हो। तंत्रिकाओं में सूजन, मोटापा, हाथ-पैरों में सुन्नपन्न और सूखापन हो। यह भी कुष्ठ की पहचान है।
कुष्ठ रोग क्या है।
- कुष्ठरोग जीवाणु से होने वाला एक रोग है।
- कुष्ठ रोग नस और त्वचा दोनों को प्रभावित करता है।
- यदि समय पर इलाज नहीं किया जाए एवं लंबे समय तक साथ रहने पर एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलने की प्रबल संभावना रहती है और विकलांगता भी हो सकती है।
- यह किसी भी व्यक्ति, किसी उम्र की महिला-पुरुष को प्रभावित कर सकता है।
- सही समय पर रोग की पहचान एवं उपचार प्रदान कर रोग को पूर्ण रूप से समाप्त किया जा सकता है।
मौके पर आरबीएसके के जिला समन्वयक डॉ कमलेश कुमार शर्मा, डीईआरसी मैनेजर कॉम कोऑर्डिनेटर आरबीएसके सहित अन्य चिकित्सक उपस्थित थे.
Follow @BjBikash