कहते हैं... जिसनें संघर्ष को जिया है, वही सफलता के असली मायने को समझ सकता है. संघर्ष से सफलता की यह दास्तां सिर्फ एक किरदार की नहीं बल्कि एक पिता-पुत्र की जोड़ी की है, जिनकी उम्मीद व कोशिसों ने ऐसा रंग लाया है, जिसे जानकर आप भी गर्व का एहसास करेंगे.
मधुबनी जिले के बेनीपट्टी प्रखंड के दुर्गौली गांव निवासी तुलाकांत झा के एकलौते पुत्र रविशंकर झा ने SSC CGL - 2019 के परीक्षा परिणाम में बड़ी सफलता हासिल की है, रवि शंकर झा ने पुरे देश भर में 16वां रैंक हासिल किया है, जिसमें उन्हें इनकम टैक्स इंस्पेक्टर का पद मिला है.
महज 24 साल की उम्र में रवि शंकर झा ने यह मुकाम पाकर माता-पिता, गांव सहित इलाके का नाम रौशन किया है, वह वर्तमान में दिल्ली में रक्षा मंत्रालय में LDC के पद पर कार्यरत हैं.
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गांव से हुई प्रारंभिक पढ़ाई
रवि शंकर झा ने अपनी प्रारंभिक पढ़ाई गांव से ही की है, बेनीपट्टी प्रखंड के दुर्गौली गांव के मध्य विद्यालय से उन्होंने आठवीं तक की पढ़ाई की, नौवीं व दशवीं की पढ़ाई खिरहर उच्च विद्यालय से की. इंटर में उन्होंने बेनीपट्टी के डॉ. एनसी कॉलेज में दाखिला लिया व ग्रेजुएशन उन्होंने आरके कॉलेज, मधुबनी से किया है.
सफलता के पीछे है प्रेरणादायक संघर्ष
रवि शंकर झा के इस सफलता के पीछे संघर्ष की एक ऐसी दास्तां है, जिससे सभी को प्रेरणा मिल सकती है.
अपने पुत्र रविशंकर झा के बारे में जानकारी देते हुए उनके पिता तुलाकांत झा ने बताया कि उनकी दो बेटियां व एक पुत्र रविशंकर झा हैं. शुरूआती दिनों में पहले वह किसानी किया करते थे, आमदनी ख़ास नहीं थी. हिस्से में एक बीघा यानी 20 कट्ठा जमीन था, उसी से जो अनाज की उपज होती थी, उससे घर चलता था.
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पुत्र - रविशंकर झा (बाएं) पिता - तुलाकांत झा (दाएं) |
लेकिन समय के साथ खर्चे भी बढ़ रहे थे, और आमद का कोई रास्ता नहीं था. इस बीच उनके पुत्र रविशंकर झा का दाखिला अपने दुर्गौली गांव के ही मध्य विद्यालय में हुआ. यहां वह पढ़ने लगे, शुरूआती पढ़ाई के दौरान ही रवि शंकर के पिता तुलाकांत झा को एहसास हो गया था कि रवि शंकर की पढ़ाई में ख़ास दिलचस्पी है. ऐसे में बेटे की पढ़ाई के लिए वह सारे साधन, जरूरत की चीजें मुहैया करवाने के लिए जैसे तैसे जुटे रहें.
जब रविशंकर हाई स्कूल में जाने वाले थे, उसी समय उनकी मां की तबियत खराब रहने लगी. जिसे देख उनके पिता ने रविशंकर को 9वीं व 10वीं में गांव से दूर मधुबनी रखा, ताकि वह बीमार मां को देखते हुए पढ़ाई से भटक ना जाए.
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संघर्ष के साथ यह सिलसिला चलता रहा, मैट्रिक के बाद रवि शंकर को आगे की पढ़ाई के लिए पिता ने पटना भेजा, जहां अब खर्चे भी बढ़ रहे थे. रवि शंकर परिवार की स्थिति को बखूबी समझ रहे थे, वह घर से भेजे गए रूपये को संयमित रूप से खर्च करते थे, लेकिन वाबजूद भी पढ़ाई का खर्चा कर्ज का रूप लेने लगा था.
आगे तुलाकांत झा ने बताया कि बढ़ते कर्ज को देखते हुए हमनें अपने बेटे रविशंकर से गांव की जमीन बेचने को लेकर बात की. इस समय मेरे हिस्से में 1 बीघा यानी 20 कट्ठा जमीन था, जिसमें हमें बेटे की पढ़ाई के लिए 15 कट्ठा जमीन बेचनी पड़ गई.
जमीन बेचने की बात बताते हुए तुलाकांत झा की आवाज कुछ देर के लिए रुक गई...
आगे गहरी सांस लेते हुए उन्होंने बताया कि आज भी मेरे पास सिर्फ 5 कट्ठा जमीन ही है, जमीन बिकने का अफ़सोस उस समय भी नहीं था, ना ही अभी है. क्योंकि जिस उम्मीद की किरण को मेरे बेटे ने दिखाया था, आज वह किरण जगमगा रहा है. रविशंकर ने अपनी सफलता से सारी कमी पूरी कर दी है.
आगे तुलाकांत झा ने अपने बेटे रवि शंकर झा के बारे में बताया कि आज ही के दिन, यानी रामनवमी के दिन ही उसका जन्म हुआ था. जब भी वह गांव आता है तो वह बच्चों को पढ़ाने की कोशिस करता है. पिछले वर्ष भी जब वह कुछ दिनों के लिए गांव में था तो वह मैट्रिक के बच्चों को पढ़ाता था, आज भी पढ़ाई से उसका नाता जुड़ा हुआ है.
वहीं दुसरी तरफ रविशंकर झा को SSC CGL - 2019 के परीक्षा परिणाम में देश भर में 16वां रैंक लाकर इनकम टैक्स इंस्पेक्टर बनने पर बधाई व शुभकामना देने वालों का तांता लगा हुआ है.
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