1
तत्कालीन वार्ड क्रियान्वयन समिति के द्वारा उक्त स्थल की मापी करायी गयी और कनिय अभियंता को बुलाकर मापी भी करायी. मापी के बाद नाला निर्माण के लिये करीब साढ़े सात लाख रुपये की लागत से बनानेवाले नाले के लिये प्राकल्लन भी तैयार कराया गया. इसके बाद स्थानीय लोगों को बताया गया कि जल्द ही सड़क किनारे पक्का नाला का निर्माण कराया जायेगा, जिससे लोगों को अब जलजमाव की समस्या से निजात मिल जायेगी. समिति के अध्यक्ष व सचिव ने निर्माण कराने के नाम पर आपसी मिलीभगत कर अग्रिम के तौर पर तकरीबन साढ़े तीन लाख रुपये की निकासी भी कर ली और चुपचाप सो गये.
स्थानीय लोगों ने समिति के अध्यक्ष व सचिव को जब-जब नाला निर्माण कराने को कहा तो आज कल कर टालमटोल करते रहे और अब तक नाला निर्माण का कार्य शुरू भी नही कराय जा सका. आठ महीने से सरकारी राशि का उठाव कर गटक लिये गये और नाला की जैसे का तैसे छोड़ दिये.
2
लोगों ने बताया कि यह सर्वाधिक बाढ़ प्रभावित जोन वाला हिस्सा है. बाढ़ व बरसात के दिनों में सड़क पर जलजमाव होने से पांव पैदल आवाजाही करना भी मुश्किल हो जाता है. इतनी बड़ी राशि की निकासी के बावजूद नाला निर्माण हुआ कि नही इसका सुधि लेना भी किसी अधिकारियों ने उचित नही समझा. अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों की मिलीभगत से योजनाओं में किस कदर लूट खसोट मची है, इससे बेहतर उदाहरण क्या हो सकता है? लोगों ने कहा कि अगर जल्द ही नाला का निर्माण नही कराया गया तो हमलोग आंदोलन को बाध्य होंगे. इस बाबत पूछे जाने पर बीपीआरओ गौतम आनंद ने बताया कि मामला संज्ञान में आया है. इसकी जानकारी प्राप्त की जा रही है. अगर वार्ड क्रियान्वयन समिति या अधिकारी व कर्मी के स्तर से गड़बड़ी होगी तो जांच करा उचित कार्रवाई की जायेगी.
Follow @BjBikash