बेनीपट्टी(मधुबनी)। बेनीपट्टी के पश्चिमी भूभाग के विशनपुर पंचायत के लडुगामा में अवस्थित राजकीय बुनियादी स्कूल विभागीय उपेक्षा के कारण दम तोड़ रहा है। नामांकित छात्र स्कूल के खप्पर गिरने के आशंका से सहमे रहते है। कब किस भाग का खप्पर बच्चों के सिर पर गिर जाए, कहना मुश्किल है। स्कूल स्थापना काल का भवन अब खंडहर के साथ साथ खतरनाक भी हो चुका है। ग्रामीण स्कूल भवन निर्माण के लिए अबतक न जाने कितने जनप्रतिनिधि व अधिकारियों के आगे गुहार लगा चुके है, ये अब ग्रामीणों को भी स्मरण नहीं है। मिली जानकारी के अनुसार उक्त स्कूल की स्थापना वर्ष-1950 में की गई थी। उक्त स्कूल के निर्माण होने से मुख्यालय से कोसों दूर लडुगामा के आसपास के छात्र इस स्कूल से बुनियादी शिक्षा ग्रहण करते थे। कालांतर में इस स्कूल को वर्ग-08 की पढ़ाई की भी सुविधा दी गयी। लेकिन, विभाग ने उक्त स्कूल के जर्जर हो गए भवन पर कभी ध्यान ही नहीं दिया। जिसके कारण आज स्थिति ये हो गयी है कि आगे बिना प्रोटेक्शन के तालाब है तो पीछे खतरनाक हो चुके स्कूल भवन। बताया जा रहा है कि स्कूल में फिलहाल करीब चार सौ बच्चे नामांकित है। बच्चों को शिक्षा देने के लिए प्रभारी एचएम सहित पांच शिक्षक है। स्कूल में पेयजल हेतु चापाकल व शौचालय की घोर किल्लत है। फलस्वरूप,बाहर में बैठकर शिक्षा ग्रहण करना भी मुश्किल है। ग्रामीणों ने बताया कि स्कूल को विभाग भूल चुका है। जहां छात्र व शिक्षक नहीं है, वहां भवन के लिए राशि आवंटित कर दी जाती है, लेकिन, इस स्कूल में छात्र के साथ शिक्षक भी है तो भवन की समस्या है। ग्रामीणों ने जिलाधिकारी से भवन निर्माण के लिए पहल किये जाने की मांग की है। Follow @BjBikash
बेनीपट्टी(मधुबनी)। बेनीपट्टी के पश्चिमी भूभाग के विशनपुर पंचायत के लडुगामा में अवस्थित राजकीय बुनियादी स्कूल विभागीय उपेक्षा के कारण दम तोड़ रहा है। नामांकित छात्र स्कूल के खप्पर गिरने के आशंका से सहमे रहते है। कब किस भाग का खप्पर बच्चों के सिर पर गिर जाए, कहना मुश्किल है। स्कूल स्थापना काल का भवन अब खंडहर के साथ साथ खतरनाक भी हो चुका है। ग्रामीण स्कूल भवन निर्माण के लिए अबतक न जाने कितने जनप्रतिनिधि व अधिकारियों के आगे गुहार लगा चुके है, ये अब ग्रामीणों को भी स्मरण नहीं है। मिली जानकारी के अनुसार उक्त स्कूल की स्थापना वर्ष-1950 में की गई थी। उक्त स्कूल के निर्माण होने से मुख्यालय से कोसों दूर लडुगामा के आसपास के छात्र इस स्कूल से बुनियादी शिक्षा ग्रहण करते थे। कालांतर में इस स्कूल को वर्ग-08 की पढ़ाई की भी सुविधा दी गयी। लेकिन, विभाग ने उक्त स्कूल के जर्जर हो गए भवन पर कभी ध्यान ही नहीं दिया। जिसके कारण आज स्थिति ये हो गयी है कि आगे बिना प्रोटेक्शन के तालाब है तो पीछे खतरनाक हो चुके स्कूल भवन। बताया जा रहा है कि स्कूल में फिलहाल करीब चार सौ बच्चे नामांकित है। बच्चों को शिक्षा देने के लिए प्रभारी एचएम सहित पांच शिक्षक है। स्कूल में पेयजल हेतु चापाकल व शौचालय की घोर किल्लत है। फलस्वरूप,बाहर में बैठकर शिक्षा ग्रहण करना भी मुश्किल है। ग्रामीणों ने बताया कि स्कूल को विभाग भूल चुका है। जहां छात्र व शिक्षक नहीं है, वहां भवन के लिए राशि आवंटित कर दी जाती है, लेकिन, इस स्कूल में छात्र के साथ शिक्षक भी है तो भवन की समस्या है। ग्रामीणों ने जिलाधिकारी से भवन निर्माण के लिए पहल किये जाने की मांग की है। Follow @BjBikash