गिरते हैं शहसवार ही मैदान-ए-जंग में, वो तिफ्ल क्या गिरे जो घुटनों के बल चले... साल भी नहीं बीते हैं जब बेनीपट्टी प्रखंड क्षेत्र के भटहीशेर गांव निवासी स्वास्थ्य कर्मी कन्हैया ठाकुर की मौत कोरोना से हो गई। परिवार के सामने आर्थिक संकट खड़ी हो गई, बेटी कुमकुम की पढ़ाई चल रही थी... अब परिवार के सामने बड़ी चिंता इसी बात को लेकर थी कि कन्हैया ठाकुर के बच्चों के पढ़ाई कैसे होगी।
इस चिंता के बीच कोई मसीहा बनकर सामने आया तो वह बेनीपट्टी ब्लॉक रोड स्थित आरके कॉमर्स क्लासेज नाम से कोचिंग चलाने वाले राजेश रंजन थे, जिन्होंने ना सिर्फ कोरोना काल में ड्यूटी के दौरान जान गंवाने वाले कन्हैया ठाकुर की बेटी कुमकुम को निःशुल्क पढ़ाया बल्कि कुमकुम को ऐसा परिणाम हासिल करवाया है, जिससे ना सिर्फ परिवार बल्कि पुरे गांव का नाम रौशन हुआ है।
कुमकुम कुमारी ने बिहार बोर्ड इंटर के जारी रिजल्ट में कॉमर्स संकाय से 429 अंक प्राप्त किये हैं। कुमकुम पीडीसीपी कॉलेज, बसैठ की छात्रा हैं।कुमकुम का यह परीक्षा परिणाम लोगों के लिए सीख भी है कि भले लाख बाधाएं सामने आयें... जो लक्ष्य की तरफ अग्रसर होते है वह समस्याओं से घिरने के बावजूद भी लक्ष्य को हासिल कर सकते हैं।
कुमकुम के 4 बहन और एक भाई है। कुमकुम की एक बहन ने मैट्रिक की परीक्षा दी है, वहीं छोटी बहन सातवीं में पढ़ाई कर रही है। जबकि बड़े भाई आनंद मोहन ठाकुर पापा के देहांत के बाद गांव लौट आये और बेनीपट्टी में ही अपनी पढ़ाई को जारी रखते हुए परिवार चलाने के लिए एक निजी संस्थान में पढ़ा रहे हैं।
आरके कॉमर्स क्लासेज के संचालक राजेश रंजन के साथ कुमकुम |
बता दें कि साल 2020 में अगस्त महीने में बेनीपट्टी में कोरोना से मौत की पहली घटना जो सामने आयी थी, वह प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में कार्यरत चालक कन्हैया ठाकुर की थी। जिसके बाद परिवार के सामने बच्चों की पढ़ाई से लेकर परिवार को चलाने के लिए आर्थिक संकट सामने मुंह बाए खड़ी थी, लेकिन परिवार की एकजुटता व साहस से अब सब कुछ सही चल रहा है।
हालांकि कन्हैया ठाकुर के पुत्र आनंद मोहन ठाकुर जो कि पटना में रहकर पढ़ाई कर रहे थे, वह गांव लौट गये और परिवार चलाने के लिए पढ़ाई को जारी रखते हुए बेनीपट्टी के एक निजी कोचिंग संस्थान में पढ़ाने का काम कर रहे हैं। अपनी बहन की इस उपलब्धि से गदगद भाई आनंद मोहन ठाकुर कहते हैं कि बहन की इस सफलता में सबसे बड़ा योगदान आरके कॉमर्स क्लासेज के संचालक राजेश रंजन सर का है, उन्होंने पापा के निधन के बाद कुमकुम की पढ़ाई नहीं रुके, इसके लिए पहल किया और निःशुल्क कुमकुम की पढ़ाई करवाई।
वहीं पिता के देहांत के बाद परिवार चलाने की संकट सामने आने की बात पर आनंद मोहन ठाकुर कहते हैं कि भले भगवान ने हमसे पिता का साया छीन लिया, लेकिन आज भी भगवान पर भरोसा है। यही परिणाम है कि समय के साथ कदम से कदम मिलकर पारिवारिक एकजुटता के साथ हम लोग आगे बढ़ रहे हैं। कुमकुम की मां आशा कार्यकर्ता हैं, वह अपनी बेटी की इस उपलब्धि पर ख़ुशी व्यक्त करते हुए कहती है कि हमारे सभी बच्चे सही शिक्षा ग्रहण करें यही हमारी कामना है।
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