इस दौरान रामाशीष यादव ने कहा कि किसान का आलू 6 रूपये किलो बिकता है और वही आलू बाज़ार में 30 रूपये मिलता है। लेकिन किसानों को उचित मूल्य नहीं मिल पाता है, सरकार के लिए किसानों की समस्या प्राथमिकता नहीं है। जैसे पहले किसानों का जमीन पर मालिकाना हक हुआ करता था वैसा भी आगे रहना चाहिए। सरकार के नए कानूनों से किसान पूंजीपतियों के हाथों का खिलौना हो जायेगा। कई दिनों से किसान यहां संघर्ष कर रहे हैं, जिनमें बुजुर्ग, बच्चे, और महिलाएं शामिल हैं। यह सभी आज अपनी मांगों को लेकर सड़कों पर हैं लेकिन इनकी कोई सुनवाई नहीं कर रहा। बजाए इसके इनके ऊपर पानी की बौछारें और लाठियां बरसाई जा रही हैं। किसानों के साथ ऐसा करके उन्हें परेशान किया जा रहा है।
किसान प्रदर्शन न करें इसके लिए सरकार ने सड़कें तक खोद दीं, सड़कों पर किले लगवा दी। सरकार ने ऐसा करके अन्नदाता के साथ अच्छा नहीं किया। देश में भाजपा सरकार लगातार किसी न किसी को निशाना बना रही है। जबकि यह सबका देश है। भारत एक गुलदस्ते की तरह है। यहां हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई सभी रहते हैं। यहां अगर किसी एक को भी तकलीफ होती है तो सबको दुख होता है। भाजपा सरकार आंदोलनों को फेल करने के लिए नकारात्मकता फैला रही है।
आगे उन्होंने कहा कि सरकार ने किसानों के साथ चालाकी की है, पहले लोकसभा में इस बिल को पास कराया, फिर राज्यसभा में और दो दिन बाद ही इसे राष्ट्रपति ने भी मंजूरी दे दी। सरकार ने यह सब इतनी जल्दबाजी में क्यों किया और जिनके लिए यह कानून बनाया जा रहा था उनसे एक बार बात तक नहीं की। अगर सरकार किसानों के साथ मिलकर इस कानून के बारे में बात करती और उसके बाद दोनों की सहमति से सुधार के साथ यह कानून लाया जाता तो आज इस तरह का संघर्ष सड़कों पर देखने को नहीं मिलता।
आज सिर्फ राजद ही नहीं बल्कि पूरा हिंदुस्तान किसानों के साथ खड़ा है, लेकिन सरकार को नहीं दिखाई दे रहा। सरकार को पीछे हटने की जरूरत है, नहीं तो यह आंदोलन और तेज होता जाएगा। सरकार को चाहिए कि वह किसानों के साथ मिलकर बैठक करे और इस समस्या का समाधान निकाले।
Follow @BjBikash