बेनीपट्टी(मधुबनी)। बेनीपट्टी प्रखंड के मनपौर पंचायत के गम्हरिया गांव में एकमात्र अंकुरित देवी सरस्वती के पूजा की तैयारी जोरों से की जा रही है। मंदिर के रंग-रोगन से लेकर साफ-सफाई का काम युद्धस्तर पर किया जा रहा है। गम्हरिया गांव में अंकुरित मां सरस्वती का मंदिर है। जहां दो दिवसीय पूजा का आयोजन होना है।

माना जाता है कि गम्हरिया को छोड़ कर अन्य किसी भी स्थल पर माता सरस्वती की मूर्ति अब तक अंकुरित नहीं हुई है। काले रंग के दिव्य शिलाखंड पर ढ़ाई फीट की अंकुरित मां सरस्वती की मूर्ति है। बीते 72 वर्षों से अंकुरित सरस्वती माता की पूजा धूमधाम से मनाया जा रहा है, सरस्वती मंदिर में प्रत्येक दिन सुबह शाम पूजा, आरती एवं भव्य श्रृंगार किया जाता है। बसंत पंचमी के सरस्वती पूजा के दिन अंकुरित सरस्वती माता को विधि-विधान से 56 प्रकार का भोग लगाया जाता है।

मंदिर के इतिहास के बारे में मंदिर के पुजारी बताते है कि वर्ष 1948 में गम्हरिया गांव के डीह के निकट से मिट्टी खुदाई के दौरान अंकुरित सरस्वती माता की मूर्ति मिली । खुदाई होने के बाद ग्रामीणों ने माता सरस्वती की मूर्ति को विधि-विधान पूर्वक स्थापित कर पूजा-अर्चना शुरु कर दी। ग्रामीणों ने अपने सामूहिक प्रयास से मूर्ति स्थल पर मंदिर का निर्माण कराया। अंकुरित सरस्वती को देखने एवं पूजा के लिए सालों भर दूसरे प्रांत एवं पड़ोसी मुल्क नेपाल से अधिक श्रद्धालु मंदिर पहुंच कर पूजा पाठ कर मनचाहा आशिर्वाद प्राप्त करते है।

ग्रामीणों ने बताया कि बिहार सरकार को इस मंदिर को पर्यटन स्थल के तौर पर मान्यता देकर विकास कार्यों के लिए राशि खर्च करना चाहिए। मनपौर के मुखिया अमरेन्द्र मिश्र सुगन ने कहा कि सरस्वती की अंकुरित मूर्ति गम्हरिया को छोड़ अन्य कही नहीं है। बिहार सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए। ताकि, पूरे बिहार के श्रद्धालु गम्हरिया पहुंच कर देवी की दर्शन का लाभ ले सके।


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