बेनीपट्टी(मधुबनी)। मानसून पूर्व अगर बाढ़ सुरक्षा के तहत निर्मित बांधों की मरम्मत नहीं कराई गई तो भारी तबाही मचा सकती है। बाढ नियंत्रण प्रमंडल के अधिकारियों के लापरवाही के कारण गत छह माह पूर्व आए बाढ़ में ध्वस्त बांध की अब तक मरम्मत नहीं कराई गई है। जबकि हल्की-हल्की बारिश की बूंदे आनी प्रारंभ हो गई है। विभाग की कछुआ गति का यही आलम रहा तो मानसून के समय बांध का मरम्मत का कोई मायना नहीं रह जाएगा। जानकारी दें कि प्रखंड में रिंग बांध, महाराजी बांध व वाटरबेज बांध का जाल बिछा हुआ है। पूर्व में आई बाढ़ में अधिकांश बांध जर्जरता के चरम पर पहुंच चुकी है। अधिकांश बांध अवैध मिट्टी कटाव , रेनकट व चूंहा के बिल के कारण जर्जर हो गया है। स्थानीय लोगों की माने तो विभाग की कागजी बांध मरम्मत के कारण भी बांध की स्थिति ऐसी है। लोगों ने बताया कि बांध के मजबूती के लिए हर वर्ष लाखों-करोड़ों की योजना बना कर बांध पर नए मिट्टी डालने के बजाए बगल के निजी खेतों से मिट्टी काटकर बांध पर डाल दी जाती है। बांध पर डाले गए मिट्टी को रोलिंग नहीं किए जाने के कारण बारिश आने पर बांध पर डाली गई मिट्टी पुनः खेत में बह जाती है। जिसके कारण बांध की मजबूती नहीं हो पाती है। जानकारी दें कि प्रशासनिक लापरवाही के कारण मेघवन के पंचायत भवन से सामने से रानीपुर गांव को जोड़ने वाली बांध बाढ़ के समय से ही कटाव के अवस्था में पड़ा हुआ है। लोगों को फिलहाल आवाजाही में परेशानी हो रही है। वहीं बर्री, रजघट्टा, शिवनगर, चानपुरा, पाली समेत कई जगहों पर पूर्व में ध्वस्त बांध आज भी अपनी बर्बादियों की गाथा गाने को मजबूर है। बता दें कि नेपाल से हर बाढ़ में आने वाली जलप्रवाह को थामने के लिए करीब सौ किमी में महाराजी बांध का निर्माण कराया गया है। वहीं चानपुरा को सुरक्षित रखने के लिए वर्षों पूर्व रिंग बांध का निर्माण कराया गया था। तो विशनपुर व बर्री के कुछ हिस्सों का रक्षा के लिए वाटरबेज बांध का निर्माण कराया गया है। जो खिरोई नदी समेत कई छोटी नदियों के जलप्रवाह को थामने का काम करती है। अधिवक्ता महेन्द्र नारायण राय ने बताया कि खिरोई नदी के अंदर भारी मात्रा में गाद जमा हुआ है। जिसकी सफाई हो तो बाढ़ से तबाही कम होगी।


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