बेनीपट्टी (मधुबनी)। तालाबों का गांव के रुप में मशहूर बेनीपट्टी का अकौर गांव, आज सरकारी उदासीनता के कारण अपनी मौलिक पहचान खोने के कगार पर पहुंच चुका है। एक गांव में 72 तालाब, सुनकर थोड़ा अजीब लगेगा, परंतु ये सच है। बेनीपट्टी प्रखंड मुख्यालय के करीब 15 किमी उत्तरी-पूर्वी कोने पर बसा अकौर गांव, आज भी आध्यात्मिक गांव के तौर पर जाना जाता है। अकौर गांव में 72 तालाब का होना अपने आप ही प्राकृतिक व धार्मिकता से लगाव के बारें में बता रहा है। प्रशासनिक उदासीनता एवं रखरखाव में कमी आने के कारण आज गांव का सोलह तालाब अस्तित्व से ही बाहर हो चुका है। स्थिति इतनी खराब है कि तालाब से परिपूर्ण रहने वाला गांव में आज इक्का-दुक्का तालाब ही सुरक्षित रह गये है। ग्रामीणों के अनुसार कुछ तालाब को अतिक्रमण कर समतल कर दिया गया है। हैरत की बात है कि 72 तालाबों में से मात्र चार तालाब रक्साही, कमलदही, मलमालत व भटनी ही आज सैरात के काबिल रह गया है। जिससे मछुआ सोसायटी के माध्यम से मत्स्य विभाग को राजस्व प्राप्ति होती है। वहीं पटवा संस्कृत उच्च विद्यालय एवं एक तालाब शिवसर राजकीय बुनियादी विद्यालय के अधीन रह गया है। जानकारी के अनुसार इन दो तालाबों की आमदनी विद्यालयों को दिया जाता है। वहीं अन्य करीब चार दर्जन तालाबों को स्थानीय लोगों ने स्वामित्व स्थापित कर लिया है। उधर शेष बचे तालाबों पर वर्षों से कब्जा किया जा चुका है। अकौर में विराजमान है पिंडस्वरुपा भुवनेश्वरी भगवती बेनीपट्टी का अकौर गांव धार्मिक दृष्टिकोण से बहुत ही महत्वपूर्ण है।यहां साक्षात भगवती पिंडस्वरुपा माता भुवनेश्वरी विराजमान है। जो गांव के मुख्य सड़क के किनारे ही अवस्थित है। किवदंती है कि अकौर कभी अकरुर महाराज की राजधानी हुआ करती थी। जिसके प्रमाण आज भी अक्सर देखने को मिलता है। अकौर गांव के तालाबों एवं अन्य स्थलों से खुदाई के समय कई देवी-देवताओं की मूर्ति प्राप्त होती है। माना जाता है कि कभी यहां तालाबों के साथ कई देवी-देवताओं के मंदिर भी हुआ करती थी, जिसके कारण आज भी देवी के मूर्ति उखड़ते रहते है। माना जाता है कि माता भुवनेश्वरी के दरबार से आज तक कोई भक्त खाली हाथ नहीं लौटा है। माता सभी श्रद्धालुओं की मनोकामना पूर्ण करती है। अंचलाधिकारी ने कहा, होगी सार्थक पहल अकौर के संबंध में पूछे जाने पर बेनीपट्टी के अंचलाधिकारी पुरेन्द्र कुमार सिंह ने बताया कि एक गांव में 72 तालाब सुनने में भी अजीब लगता है। राजस्व कर्मचारी से इस संबंध में जानकारी ली जायेगी। अंचल के द्वारा जो भी सार्थक पहल करने की आवश्यकता होगी, अवश्य की जायेगी।