बेनीपट्टी (मधुबनी)। नेपाल के बैराज से छोड़ी गयी कालरुपी पानी के कारण बेनीपट्टी के कई परिवार विस्थापितों की जिंदगी जीने को विवश है।बाढ़ से बेनीपट्टी के पाली के बाद सबसे अधिक बर्री पंचायत को क्षति पहुंचाया है।अन्य गांवों की तुलना में पूर्व से उपेक्षित बर्री पंचायत की स्थिति में बाढ़ के पांच दिन गुजर जाने के बाद भी सुधार नहीं हो पाया है।सड़के क्षत-विक्षत हो गयी है।कई घर पानी में बह गये है तो कई मवेशी की मौत असमय हो गयी है।बेनीपट्टी में आयी बाढ़ में डूबने से मौत की पहली खबर भी बर्री पंचायत के माधोपुर से ही आयी थी।जिससे सहज समझा जा सकता है कि बर्री पंचायत को इस बाढ़ ने कितने पीछे कर दिया।बर्री पंचायत के माधोपुर, रजघट्टा, सिरवारा सहित कई अन्य गांवो की तबाही का मंजर अब जलस्तर कम होने के बाद स्वतः दिख रहा है।बाढ़ से विस्थापित परिवार स्कूल के छत व मकान के छत पर रहकर समय गुजार रहे है।बर्री के मध्य विद्यालय में आज भी बीस परिवार शरण लिए हुए है।इनमें कई पीड़ितों का मकान ध्वस्त हो गया है। बाढ़ पीड़ित संजय मिश्रा, शिवेश मिश्रा, लखन कुमार , फिरदोस आलम, सचिन कुमार, नितेश कुमार, राजेश कुमार, अनिल कुमार मंडल, शिबू राम सहित कई लोगों ने बताया कि बाढ़ के पांच दिन गुजर जाने के बाद भी अब तक कोई राहत नहीं मिल पा रहा है।कोई भी अधिकारी गांव तक नहीं पहुंच पाये है।पीड़ितों ने बताया कि ऐसा मंजर किसी भी बाढ़ में देखने को नहीं मिला।गौरतलब है कि बर्री का पुरा पंचायत खिरोई नदी से घिरा हुआ है।नदी का पेट पूर्व से ही गाद व बालू से भरा होने के कारण नेपाल से आयी पानी के कारण कुछ ही समय में पुरा गांव बाढ़ के पानी से लबालब हो गया।बाढ़ के पानी की तीव्रता इतनी थी की रजवा में लगे स्लूईस गेट को बहा ले गया।अन्य पंचायतों की तुलना में बर्री पंचायत को ये बाढ़ काफी दर्द दे गया है।जिसे भरने एवं गांव को संवारने में काफी समय लगेगा।


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