बेनीपट्टी(मधुबनी)।कन्हैया मिश्रा:मिथिलाचंल की संस्कृति का लोहा आज पुरा विश्व मान रहा है,लेकिन आज मिथिलाचंल में ही मैथिली संस्कृति को खत्म करने का प्रयास किया जा रहा है।ये बातें कामेश्वर सिंह संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति पंडित देवनारायण झा ने बेनीपट्टी के श्री लीलाधर उच्च विद्यालय के परिसर में आयोजित तीन दिवसीय मिथिला विभूति पर्व के प्रथम दिन के कार्यक्रम की विधिवत् उद्घाटन करते हुए कहा.कुलपति ने कहा कि मिथिलाचंल के कवि हर युग में नामी रहे है,लेकिन आज लोग मैथिली से दुर होते जा रहे है,जो काफी दुःखद है।उन्होंने सभी युवाओं को मैथिली व मिथिला के संस्कृति को बचाने के लिए आगे आने की अपील की।वहीं साहित्य अकादमी से सम्मानित कवि उदय चंद्र झा विनोद ने कहा कि हिन्दुस्तान के छः दर्शन में से चार दर्शन मिथिलांचल में ही है.मिथिलाचंल का गौरव हमेशा से पुजनीय रहा है,लोग आज मिथिलाचंल की ओर देख रहे है कि इस क्षेत्र से  कितने पंडित,कवि व उच्च पद योग्य प्रशासक दिये है,आखिर इस मिट्टी की क्या खासियत है,लेकिन हम लोग न जाने क्यूं इस मिथिला को ही उपेक्षित कर रहे है।प्रथम दिन के सत्र का उद्घाटन के बाद गायिका काजल गुप्ता ने गौसाउनी गीत जय-जय भैरवी असुरी भयाऔनी गाकर सभी श्रोता को भाव विभोर कर दिया।कार्यक्रम की अध्यक्षता रामवरण राम ने किया तो मंच संचालन अखिलेश कुमार झा ने किया।


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