बेनीपट्टी(मधुबनी)।कन्हैया मिश्रा: अपराध व अपराधियों पर लगाम लगाने की बात भले ही पुलिस विभाग का खास डाॅयलाग बन गया है,लेकिन बेनीपट्टी अनुमंडल प्रक्षेत्र में एक के बाद एक हो रही आपराधिक घटनाओं से स्पष्ट है कि पुलिस का अपराधियों पर से लगाम हट गया है।पुलिस विभाग के आंकडो की बात करें तो कांड का उद्भेदन से अधिक तेजी से अपराधिक घटना में तेजी आ रही है।बैंक लूट,चोरी,हत्या व डकैती की घटना में लगातार इजाफा हो रहा है।गत पांच वर्षो की रेकार्ड की चर्चा करें तो कछडा के हाजी साहब के घर वर्ष 2012 में हुई लाखों की डकैती के मामले में पुलिस की नाकामी साफ तौर पर देखी गयी,जहां कथित तौर पर कांड के उद्भेदन के दावें किये गये,मगर पुलिस के पकड में आये लगभग आधे दर्जन कथित डकैतों को गृहस्वामी तक पहचान नहीं पाये,जब कि सभी अपराधी बेनकाब होकर घटना को अंजाम दिया था।वहीं वर्ष 2013 के शुरुआती महीनों में बिस्फी के भैरवा में लाखों की डकैती का मामला हो या मधवापुर थाने के रामपुर वृत गांव के डाकेजनी का मामला हो।लगभग हर मामलों में अपराधियों का मनोबल पुलिस के अपेक्षा के अनुरुप अधिक तेज होता है।वहीं हाल ही में बेनीपट्टी के स्टेट बैंक का लाॅकर बडे ही भाग्य से बच गया,अन्यथा डकैतों ने तो अपनी ओर से पूरी कोशिश की थी।बैक डाकेजनी की घटना तो इस दौरान तो छाये ही रहे।2012 में शिवनगर के पीएनबी के शाखा से अपराधियों ने पुलिस को खुली चुनौती देते हुए लगभग 48 लाख की लूट कर ली थी,भला हो ग्रामीणों का जिन्होंने डकैतो का पीछा करते हुए बर्री चैर में राशि सहित तीन डकैतो को मौके पर धर-दबोचा था।उधर पाली के ग्रामीण बैंक व उच्चैठ का ग्रामीण बैंक पर भी डकैतों ने एक ही वर्ष में  घटना की पुनरावृति कर पुलिस के गश्ती दल की हवा निकाल दी थी।


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