बेनीपट्टी(मधुबनी)। बेनीपट्टी के तटबंध की स्थिति इतनी बद्तर है कि अगर बाढ़ आयी तो भारी तबाही मचेगी। करीब चालीस किमी में फैला जमींदारी बांध, सात किमी में फैला रिंग बांध व छब्बीस किमी में फैला वाटरवेज बांध बाढ़ के तेज बहाव को झेलने में सक्षम नहीं होगी। सभी तटबंध को कागज पर ही विभाग के द्वारा मजबूत कर दिये जाने का दावा किया जा रहा है। जिसका खामियाजा की आशंका ग्रामीणों को हो रही है। मानसून के संभावना को देख बाढ़ प्रभावित क्षेत्र के लोग एहतियातन अभी से ही घरेलू व्यवस्था के साथ घर के छप्पर को मजबूत करने में जुट गए है। तटबंध के स्थिति को गत दस दिन पूर्व बाढ़ नियंत्रण प्रमंडल, झंझारपुर के जेई सुरेश प्रसाद ने सीओ के साथ क्षेत्र भ्रमण कर देख लिया, बावजूद अब तक बांध के मजबूती के लिए विभागीय पहल सामने नहीं आ रही है। जबकि, विभाग को बाढ़ पूर्व बांध के सुरक्षा के लिए तमाम प्रयास किये जाने है। जानकारी के अनुसार विभाग को सभी बांध की स्थिति की रिपोर्ट विभाग के वरीय अधिकारी से कर बांध के मरम्मत के लिए कार्य शुरु करना देना है, लेकिन, कही भी बांध के मरम्मत के कार्य शुरु नहीं हुए है। जबकि, पाली के मंझिला टोल, नजरा, रानीपुर, अग्रोपट्टी, बगवासा, विशे-लरुगामा, हथियरवा गांव के सुरक्षा के लिए बांध की मरम्मत होना अतिआवश्यक है। इन गांव के बांधो की मरम्मत करीब नौ वर्षो से नहीं हुई है। वहीं रिंग बांध पर गत बीस वर्ष से एक टोकरी भी मिट्टी नहीं दी गयी है। जिससे बांध की स्थिति का अंदाजा लगाना सहज है। दरअसल, इन वर्षो में बांध से वाहन की आवाजाही, अवैध टै्रक्टर का परिचालन, रेनकट व चूंहो के बिल के कारण बांध अंदर से कमजोर हो चुका है। चूंहे के बिल बना देने के कारण ही गत बाढ़ में बसैठ हाईस्कूल के सामने रिंग बांध ध्वस्त हो गया था। जिसके बाद करीब पंद्रह हजार लोग बाढ़ से सीधे तौर पर प्रभावित हो गए थे। मेघवन के नजरा गांव के समीप बिजली का तार बांध के सामने झूके होने के कारण विभाग के द्वारा सुरक्षात्मक कार्रवाई करते हुए बांध को अधूरा छोड़ दिया। जिसकी वर्तमान में मरम्मत नहीं कराई गयी तो फिर बाढ़ का पानी सीधे मेघवन व नजरा को तबाह करते हुए सीधे बसैठ का नुकसान पहुंचाएगा।
नौ वर्ष पूर्व ढाई करोड़ की राशि से हुई थी पाली में बांध की मरम्मत
बाढ़ नियंत्रण प्रमंडल-झंझारपुर डिविजन के द्वारा गत नौ वर्ष पूर्व पाली के मंझिला टोल में करीब ढाई करोड़ की राशि से बांध की मरम्मत कराई थी। मरम्मत के दौरान संबेदक के द्वारा कम मात्रा में मिट्टी डालने एवं रोलिंग नहीं किए जाने के कारण बांध मरम्मत के एक वर्ष में ही ढह गया। कई जगह बांध में दरार उत्पन्न हो गया। इस दरम्यान बांध पर अवैध वाहन परिचालन के कारण बांध पर खेत का मेड़ का शक्ल ले चुका है। बांध के उंचाई नहीं होने के कारण मरम्मत के बाद आये दो बाढ़ में मंझिला टोल के लोगों का जीना मुहाल रहा। पाली में करीब जमींदारी बांध 16.5 किलोमीटर में फैला हुआ है।
गत वर्ष करीब सत्रह करोड़ से हुई थी जमींदारी बांध की मरम्मत
बेनीपट्टी के पश्चिमी भूभाग को बाढ़ से सुरक्षा के लिए विभाग के द्वारा करीब सत्रह करोड़ की राशि खर्च कर करहारा, पाली, मेघवन व बसैठ के रानीपुर के कुछ भागों के बांध का मरम्मत किया गया था। बांध मरम्मत में संबेदक के द्वारा भारी पैमाने पर अनियमितता किए जाने का आरोप लगा था। बताया जा रहा है कि संबेदक के द्वारा नदी के बालू युक्त मिट्टी डाल दिये जाने से बांध मजबूत नहीं हो पाया। बांध की स्थिति इतनी खराब है कि मरम्मत के पहले बारिश में ही बांध पर कई जगहों पर दरार हो गए थे।
                मलहामोर के सुरक्षा बांध में हो गए सुराख
नेपाल से आने वाली जलप्रलय से बेतौना, बनकट्टा, गंगूली सहित कई पंचायत को प्रभावित होने से रोकथाम के लिए बेतौना के मलहामोर के समीप सुरक्षा बांध का निर्माण किया गया। इस मध्य करीब चार भयंकर बाढ़ के प्रभाव को झेल चुके बांध अब जर्जरता का पूर्ण शिकार हो गया है। बांध पर आये दिन टै्रक्टर का परिचालन होता आ रहा है। बांध बेतौना के मलहामोर से सीधे पाली के सोउली पुल तक जाती है। नेपाल से आने वाले पानी को सोउली पुल तक जाने के लिए मजबूर करने वाली बांध अब क्षतिग्रस्त हो चुकी है। स्थानीय लोगों ने बताया कि इस बांध पर करीब पंद्रह वर्षो से मिट्टी नहीं डाली गयी है।


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