सामा चकेबा
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"डाला ले बाहर भइली, बहिनी से .......बहिनी
बहिनो से ......... बहिनी
चकवा भैया लेल डाला छीन, सुन गे राम सजनी"
मिथिला में इ गीत घरे... घरे ..सुनबा में आबैत अछि , सामा -चकेबा के पावनि में !
मिथिलाक महान लोक संस्कृति सअ, जुड़ल भाई -बहिन के अटूट प्रेम के पावनि "सामा चकेबा " मात्र मिथिला में मनायल जाइत अछि !एकर जिक्र विष्णु पुराण में सेहो भेटैत अछि ! कहल जाइत छैक कि भगवान श्रीकृष्णजी के बेटी श्यामा ( सामा) के जंगल में खेलय के शौक छलन्हि ! प्रकृति प्रेमी श्यामा पेड़ -पौधा, चिरई -चुनमुन ,फूल- पत्ती,पशु-पक्षी संग खेलबाक लेल जंगल में चलि जायत छलीह ! इ बात "चुगिला" के नहि पसंद छल , ओ भगवान लग चुगलखोरी केलक आ अंट -शंट बात सअ भगवान के कान भरि देलक ! भगवान क्रोधी भय शाप दअ कअ श्यामा के चिरई बना देलखिन्ह !बहुत समय पश्चात जखन भगवान श्रीकृष्ण के पुत्र (सतभइया) के बहिन के बारे पता चलल, तअ बहिन के वापस लाबय लेल भगवान के जिद कअ बहुत कठिन परिश्रम कअ भगवान के मना लेलैथ !भगवान कहलाह कि कार्तिक मास के अहांक बहिन एतीह आओर पूर्णिमा के विदा भय जेतीह! तहिया सअ इ पर्व मनायल जाइत अछि ! अहि में सामा चकेवा,सतभइया,बृंदावन, चुगला, ढोलिया बजनिया,बन तितिर ,पंडित आओर दोसर मूर्ति खिलौना के डाला लय कअ बहिन जोतल खेत में खेलैत छैथ ! सन स बनल चुगला के जरायल जाइत अछि,ओकर मुंह झरकायल जाइत अछि ! भाई- बहिनक स्नेहक ई पावनि छैठ के खड़ना दिन शुरू होइत अछि, आ पूर्णिमा के दिन विदा कय विसर्जन करा देल जाइत अछि !
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"डाला ले बाहर भइली, बहिनी से .......बहिनी
बहिनो से ......... बहिनी
चकवा भैया लेल डाला छीन, सुन गे राम सजनी"
मिथिला में इ गीत घरे... घरे ..सुनबा में आबैत अछि , सामा -चकेबा के पावनि में !
मिथिलाक महान लोक संस्कृति सअ, जुड़ल भाई -बहिन के अटूट प्रेम के पावनि "सामा चकेबा " मात्र मिथिला में मनायल जाइत अछि !एकर जिक्र विष्णु पुराण में सेहो भेटैत अछि ! कहल जाइत छैक कि भगवान श्रीकृष्णजी के बेटी श्यामा ( सामा) के जंगल में खेलय के शौक छलन्हि ! प्रकृति प्रेमी श्यामा पेड़ -पौधा, चिरई -चुनमुन ,फूल- पत्ती,पशु-पक्षी संग खेलबाक लेल जंगल में चलि जायत छलीह ! इ बात "चुगिला" के नहि पसंद छल , ओ भगवान लग चुगलखोरी केलक आ अंट -शंट बात सअ भगवान के कान भरि देलक ! भगवान क्रोधी भय शाप दअ कअ श्यामा के चिरई बना देलखिन्ह !बहुत समय पश्चात जखन भगवान श्रीकृष्ण के पुत्र (सतभइया) के बहिन के बारे पता चलल, तअ बहिन के वापस लाबय लेल भगवान के जिद कअ बहुत कठिन परिश्रम कअ भगवान के मना लेलैथ !भगवान कहलाह कि कार्तिक मास के अहांक बहिन एतीह आओर पूर्णिमा के विदा भय जेतीह! तहिया सअ इ पर्व मनायल जाइत अछि ! अहि में सामा चकेवा,सतभइया,बृंदावन, चुगला, ढोलिया बजनिया,बन तितिर ,पंडित आओर दोसर मूर्ति खिलौना के डाला लय कअ बहिन जोतल खेत में खेलैत छैथ ! सन स बनल चुगला के जरायल जाइत अछि,ओकर मुंह झरकायल जाइत अछि ! भाई- बहिनक स्नेहक ई पावनि छैठ के खड़ना दिन शुरू होइत अछि, आ पूर्णिमा के दिन विदा कय विसर्जन करा देल जाइत अछि !