सदा सुहागन रहि...सदिखन सधवा रहि... आजीवन पति के सुख मिलैत रहय... एहि लेल महिला लोकनि वट सावित्री करय छथीह. वट सावित्री व्रत जेठ मास के अमावस्या के होएत अछि.
मधुश्रावणी...कोजगरा जकां नवविवाहिता कनिया के लेल एहि व्रत के विशेष महत्व अछि. ओना तं ई पावनि देश भर मे मनाएल जाएत अछि. मुदा मिथिला मे एकर खास महत्व अछि.
नवविवाहिता सभ के तं मायका...नैहर सं एहि पावनि के लेल पूजा
के सामान सभ सेहो आबैत अछि. पूरा परिवार के लेल वस्त्र...कपड़ा-लत्ता... फल मे आम... लीची आओर सामर्थ्य लायक गहना-जेवर सेहो आबैत अछि.
कनिया सभ मे तं उत्साह रहबे करय छनि...गाम-घरक सभ महिला ई व्रत करय छथीह. वट सावित्री दिन सभ पोखर कात.... मंदिर कातक वरक गाछ मे हाथ मे आम लs जल ढारय छथीह.
जल ढारला के बाद बांसक या तारक वियनि...पंखा सं हवा करय छथीह. वरक गाछ के वियनि करला के बाद धागा सं गाछ के सात फेरा सेहो लगाबय छथीह. भगवती के गीत सेहो गायल जाएत अछि.
वरक गाछ लग गौरी पूजा.. माटि केर बनाएल गेल नाग-नागिनक... विषहरा के पूजा आओर वट सावित्रीक पूजा होएत अछि.
पूजा मे चना... मुंगक अंकुरी... आम... लीची... केरा... दूध... धानक लाबा... अरवा चाउर... केराउ के दालि सेहो चढ़ाएल जाएत अछि. पावनि करनिहार सभ आमतौर पर पियर साड़ी-ब्लाउज पहिनय छथीह.
गाम घर मे तं माई-बहिन सभ एहि दिन नून सेहो नहि खाय छथीह. अनूने रहय छथीह. दिन पूजा-पाठ करय...कथा सुनय मे गुजरैत अछि. गामघर मे तं वरक गाछ धरि पूजा करय मे कोनो परेशानी नहि होएत अछि.
मुदा शहर मे कई ठाम वरक गाछ खोजला पर नहि मिलैत अछि. मिलबो करैत अछि तं बर दूर. जतय कामकाजी लोक के जनाय मुश्किल रहय छनि. एहन मे शहरर मे लोक सभ वरक गाछक ठारि...टहनी तोड़ि कs ल आबय छथिन्ह.
ओहि वरक गाछsक ठारि के आंगन...दलान पर रोपि...गाड़िsक पूजा करि लेल जाएत अछि. बेर अगिला दिन नदी...पोखर मे भसा देल जाएत अछि.