सिस्टम कॉलेप्स होना इसे ही कहते हैं...
बड़ी मशक्कत के बाद बेनीपट्टी को 2020-21 में नगर पंचायत का दर्जा मिला था, जिसमें बेनीपट्टी के बीजेपी विधायक पूर्व मंत्री विनोद नारायण झा का अतिशय प्रयास रहा। लेकिन हासिल के नाम पर बेनीपट्टी को जो मिला वह रहा नया नाम... ग्राम पंचायत से नगर पंचायत व सड़कों पर झाड़ू। जबकि बाज़ार में झाड़ू से अधिक जरूरी सीसीटीवी लगना था, बेनीपट्टी थाना व निकटवर्ती थाना क्षेत्रों में महज 6-7 महीने में करीब 12 हत्याएं हुई है। अपराधिक गतिविधियां बढ़ी हुई हैबाकी विकास कार्यों को लेकर जिस तरह की अपेक्षा व उम्मीदें थी वह धूमिल हो रही है। नगर का शायद ही कोई ऐसा वार्ड हो जहां आज भी सड़क की जर्जरता समस्या नहीं हो। वार्ड 1, 3, 17, 19 व 20 में तो प्रत्यक्ष यह देखने के लिए मिलता है बेनीपट्टी, सरिसब, जगत, उड़ेन, उच्चैठ तक यही हाल है


फिलहाल संलग्न तस्वीर बेनीपट्टी बाज़ार की जलजमाव की समस्या से जुड़ी हुई है
। 2022 में बेनीपट्टी नगर पंचायत के हुए पहले चुनाव में राजनीतिक व सामाजिक चेतना से कोसों दूर रहने वाली मंजू देवी जी को जनता ने नगर पंचायत का मुख्य पार्षद चुना था, इनकी पहचान बेनीपट्टी के किराना व्यवसायी रूपन साह जी की पत्नी के रूप में मात्र थी। चुनाव में व्यवसाइयों ने इस उम्मीद के साथ इनकी अच्छी खासी मदद की थी कि काम होगा। पोस्ट ऑफिस के समीप मुस्लिम टोले के अधिसंख्य लोग बताते हैं कि वह चुनाव में रूपन साह के साथ रहे, ताकि उनके मोहल्ले की संकीर्ण सड़क पर वर्षों से बनीं रही जलजमाव व जल निकासी की समस्या का समाधान हो। आश्वासन भी मिला था, जिसके नाम पर वोट भी मिला

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लेकिन 2 साल में काम यही हुआ है कि बिन मौसम बरसात जैसा हाल बेनीपट्टी का बना हुआ है। पोस्ट ऑफिस के समीप मुस्लिम टोले की गलियां हमेशा से संकीर्ण रही है, पानी निकासी का कोई ठोस प्रबंध नहीं है। मजबूरन मुस्लिम टोले के लोग रात को पानी की निकासी सड़क पर करते हैं, जो कि बाजार में सैकड़ों व्यवसाइयों के दुकानों के आगे लग जाती है। दुर्गंध के साथ व्यवसाय भी प्रभावित हो रहा है। प्रभावित व्यवसाइयों ने नगर पंचायत को आवेदन देकर समस्या समाधान के लिए भी कहा, महीनों बीत गए, कुछ नहीं हुआ। लिहाजा व्यवसाइयों द्वारा पिछले सप्ताह सड़क जाम भी किया गया था, एसडीएम मनीषा से मिलकर आवेदन भी दिया गया, फिर भी कुछ नहीं हुआ। नगर पंचायत के पास बाज़ार से जलनिकासी की कोई ठोस योजना नहीं है। इसके परे नगर पंचायत के पास एक योजना है अतिक्रमण हटाने की... जो कि कुछ दिनों के अंतराल पर बाज़ार में अफसरों के अमलों के साथ जेसीबी निकलता है लेकिन वह भी आधे एक घंटे में लौट आता है

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दरअसल, इस दुर्दशा के पीछे की वजह अपरिपक्व नेतृत्व को जनता द्वारा नेता चुना जाना प्रतीत होता है। दूसरी तरफ जिन्हें मजबूत विपक्ष बनकर नगर पंचायत के विकास कार्यों की देखरख करनी चाहिए थी, वह अपने धंधे में लगे हुए हैं। बेनीपट्टी नगर पंचायत के चुनाव रूपन साह की पत्नी मंजू देवी, संदीप झा मुरारी समर्थित काजल देवी, व्यवसायी सुरेश साह की पत्नी पिंकी देवी, मोहम्मद इसराइल समर्थित शहनाज बेगम जैसे अच्छे खासे नाम ओहदे पैसे वाले उम्मीदवार मैदान में थे। जो बेनीपट्टी की कायापलट करने की चाहत रखते थे, खूब वायदे हुए थे। हार जाएंगे फिर भी जनता के सुख दुःख में रहेंगे, ऐसा कहने वाले सभी नेता नदारद हैंमुख्य पार्षद मंजू देवी व उनके प्रतिनिधि, पति रूपन साह सहित उनकी टीम में विकास कार्यों के प्रति इच्छाशक्ति शिथिल पड़ चुकी है। शेष बचे विपक्ष के नेता, जो दूसरे तीसरे, चौथे स्थान पर रहे... वह सीजनल पॉलिटिशियन पार्ट टाइम पॉलिटिक्स करके अपने धंधे में लगे हुए हैं।

फिलहाल बेनीपट्टी नगर पंचायत की स्थिति यह है कि नेता व जनता दोनों निंद्रा में हैं। इसके परे उम्मीदों के विपरीत... पहले कौन जागता है यह देखना दिलचस्प होगा।


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